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हैलो भाइयों बहनों, नमस्कार, मैं इरफ़ान आज आपके साथ हूँ भी और नहीं भी...

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कई बार कुछ कलाकार हीरोगीरी वाली लाइन पार करके आपके दिल में उतर जाते हैं. इतना उतर जाते हैं कि आप उनके डायलॉग रोजाना अपनी भाषा में इस्तेमाल करने लगते हैं और इरफ़ान हमारे लिए तुम वही थे. दुनिया के लिए रहे होंगे बहुत बड़े अभिनेता जिसने हॉलीवुड की फिल्मों में भी काम किया था लेकिन मेरे लिए "पान सिंह तोमर" के सूबेदार चचा थे. वही सूबेदार चचा जो कहते हैं कि "अंग्रेज भगे मुल्क से, पंडिज्जी परधानमंत्री बने और नव भारत के निर्माण के संगे-संगे हमाओ भी निर्माण शुरू भओ". आज सूबेदार चचा चले गए तो उनका ही एक डायलॉग याद रह गया जिसमे वो कहते हैं कि "जे बात को जवाब कौन देगा दद्दा, हम ऊपर आकर भी जवाब लेंगे". तुम वही कहते थे जो हमें सुनना था- तुम्हारे डायलॉग बर्फ की पहाड़ियों में खड़े किसी अभिनेत्री के साथ नहीं थे. बल्कि बीहड़ में घूम रहे एक बागी के डायलॉग थे जिन्हे सुनकर लगता था यार क्या ही बोल गया. ये तो मतलब मजा आ गया. चाहे बात हासिल के रणविजय सिंह की हो या फिर हिंदी मीडियम में साडी बेच रहे उस दुकानदार की, हर बार तुमने दिल जीता है. अब तुम्हारे चले जाने पर तरह-तरह के बयान आएँगे। ल...

वो अनकही बातें हो कभी कह नहीं पाया

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तकलीफें बहुत सी रही है जिंदगी में। कुछ को हँस कर काट लेते हैं और कुछ को संघर्ष में। तुमको जाने देना भी बहुत तकलीफदेह था। मगर तकलीफों को सहन करना पड़ता है। उस दिन भी यही किया था। काश! तुम देख पाती, समझ पाती कि अपने ही हाथों से अपनी क़ीमती चीज को तोड़ देना कितना दुःखद होता है। ये ठीक उसी तरह था जैसे आसमान में इकलौती पतंग आपकी उड़ रही हो और आप उसकी डोर अपने ही हाथों से तोड़ दें, हवा में बह जाने के लिए। उस दिन तुम्हारे सवाल का जवाब "हाँ" में देना था। मगर दिया कुछ और गया था। तुमसे मोहब्बत के सारे सबूत, सारी भावनाएं चेहरे पर से मिटा दी गयी थीं। वो खोखली मुस्कान,जो चेहरे पर तैर रही थी, उसको पढ़ने भी नही दिया तुमको। ये बहुत मुश्किल था,मगर ये करने का निर्णय बहुत दृढ़ था। तुम जा रही थी, और मैं देख रहा था। कई बार रोकना चाहा, कई बार सोचा कि तुम्हारा नाम पुकार कर बुला लूँ वापस और समेट लूँ तुम्हे अपनी बाहों की कैद में। मगर मेरे लिए ये मुमकिन न था उस दिन। तुम्हें जाने देना ही मेरी मोहब्बत की जीत थी और न मैं खुद हारना चाहता था और न ही तुमको हारने देना चाहता था। बेईमानी, कभी-कभी रिश...