आदिवासी क्षेत्र में नरसंहार और नई विचारधारा का विकास है खतरनाक
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झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम में पत्थलगड़ी का विरोध करने पर उपमुखिया जेम्स बूढ़ समेत सात लोगों की हत्या कर दी गयी। उनके शवों को पास के ही जंगलों में फेंक दिया गया। पुलिस का कहना है कि पत्थलगड़ी समर्थकों द्वारा रविवार को ग्रामीणों के साथ बैठक की गई थी। इसी दौरान समर्थकों ने विरोध करने वालों को पीटने लगे और जंगल में फेंक दिया। यह पूरी तरह नरसंहार ही है। पत्थलगड़ी हमेशा से स्वतंत्र व्यवस्था स्थापित करने के लिए आंदोलन करती आ रही है। ये सरकार की योजना का पुरजोर विरोध करते हैं। ये अपने क्षेत्र में सिर्फ आदिवासी को ही घुसने देते हैं। इसीलिए सीमा पर चेतावनी भी लिख दी जाती है। इनपर देशद्रोह का भी मुकदमा चल रहा है। हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री बनने के बाद 29 दिसंबर को फैसला लिया था कि पत्थलगड़ी समर्थकों पर लगे देशद्रोह के मुकदमे खत्म किए जाएंगे। इसके साथ साथ एक नई विचारधारा "कुटुंब परिवार" पांव पसार रही है। ये खुद को 'आदिवासी भारत' और खुद को 'आदिमानव' बताते हैं। तभी उनलोगों के नाम के आगे 'एसी' लिखा होता है। वे खुद शासक हैं, इसीलिए उनपर कोई राज नहीं कर ...