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Showing posts with the label फीचर

हैलो भाइयों बहनों, नमस्कार, मैं इरफ़ान आज आपके साथ हूँ भी और नहीं भी...

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कई बार कुछ कलाकार हीरोगीरी वाली लाइन पार करके आपके दिल में उतर जाते हैं. इतना उतर जाते हैं कि आप उनके डायलॉग रोजाना अपनी भाषा में इस्तेमाल करने लगते हैं और इरफ़ान हमारे लिए तुम वही थे. दुनिया के लिए रहे होंगे बहुत बड़े अभिनेता जिसने हॉलीवुड की फिल्मों में भी काम किया था लेकिन मेरे लिए "पान सिंह तोमर" के सूबेदार चचा थे. वही सूबेदार चचा जो कहते हैं कि "अंग्रेज भगे मुल्क से, पंडिज्जी परधानमंत्री बने और नव भारत के निर्माण के संगे-संगे हमाओ भी निर्माण शुरू भओ". आज सूबेदार चचा चले गए तो उनका ही एक डायलॉग याद रह गया जिसमे वो कहते हैं कि "जे बात को जवाब कौन देगा दद्दा, हम ऊपर आकर भी जवाब लेंगे". तुम वही कहते थे जो हमें सुनना था- तुम्हारे डायलॉग बर्फ की पहाड़ियों में खड़े किसी अभिनेत्री के साथ नहीं थे. बल्कि बीहड़ में घूम रहे एक बागी के डायलॉग थे जिन्हे सुनकर लगता था यार क्या ही बोल गया. ये तो मतलब मजा आ गया. चाहे बात हासिल के रणविजय सिंह की हो या फिर हिंदी मीडियम में साडी बेच रहे उस दुकानदार की, हर बार तुमने दिल जीता है. अब तुम्हारे चले जाने पर तरह-तरह के बयान आएँगे। ल...

फैंस के नाम इरफान खान का पत्र...

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कुछ महीने पहले अचानक मुझे पता चला था कि मैं न्यूरोएन्डोक्राइन कैंसर से ग्रस्त हूं, मैंने पहली बार यह शब्द सुना था. खोजने पर मैंने पाया कि मेरे इस बीमारी पर बहुत ज्यादा शोध नहीं हुए हैं, क्योंकि यह एक दुर्लभ शारीरिक अवस्था का नाम है और इस वजह से इसके उपचार की अनिश्चितता ज्यादा है. अभी तक अपने सफ़र में मैं तेज़-मंद गति से चलता चला जा रहा था. मेरे साथ मेरी योजनायें, आकांक्षाएं, सपने और मंजिलें थीं. मैं इनमें लीन बढ़ा जा रहा था कि अचानक टीसी ने पीठ पर टैप किया, “आप का स्टेशन आ रहा है, प्लीज उतर जाएं.’ मेरी समझ में नहीं आया, “ना ना मेरा स्टेशन अभी नहीं आया है.’ जवाब मिला, ‘अगले किसी भी स्टाप पर आपको उतरना होगा, आपका गन्तव्य आ गया. अचानक एहसास होता है कि आप किसी ढक्कन (कॉर्क) की तरह अनजान सागर में, अप्रत्याशित लहरों पर बह रहे हैं… लहरों को क़ाबू कर लेने की ग़लतफ़हमी लिए. इस हड़बोंग, सहम और डर में घबरा कर मैं अपने बेटे से कहता हूं, “आज की इस हालत में मैं केवल इतना ही चाहता हूं… मैं इस मानसिक स्थिति को हड़बड़ाहट, डर, बदहवासी की हालत में नहीं जीना चाहता. मुझे किसी भी सूरत में मेरे पैर चाहिए, जिन पर...

वसंत ऋतु के आगमन से नए कपोलों को मिलते हैं पंख

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वसंत के आगमन के साथ बारिश होने से उन नए कपोलों को पंख मिल जाते हैं। जो बाहर आकर इस नई दुनिया को देखना चाहते हैं और महसूस करना चाहते हैं। पतझड़ के बाद आने वाले नए पत्ते का भी प्रकृति हवा के झोंको से स्वागत करती है। गेंदा के नए फूल भी सहमति से मधुमक्खी को पराग ले जाने के लिए आमंत्रित करती है। वो नए उगे गेंहू के हरे पौधे जिसे देखकर लगता है किसी ने हरी घास की कालीन बिछा दी हो। उन गोभी मटर या आलू के पौधे जो अपना सर्वस्व न्यौछावर कर लोगों को पोषक तत्व प्रदान कर रही हो। पक्षियों का झुंड कलरव करते तालाब के इर्दगिर्द अटखेलियां करते हैं। दूर कहीं एक मशीन की आवाज के साथ सौंधी सौंधी खुशबू आती रहती है। पास जाकर पता चलता है कि यहां चूड़ा तैयार होता है। यहां लोग लंबी कतार के साथ उस भट्ठी के किनारे बैठकर हाथ सेंकते हुए अपनी बारी का इंतजार करते हैं। एक खुशी होती है कि कई महीनों की मेहनत के बाद निकले फसल को आज पूरा परिवार मिलकर एक साथ बड़े चाव से खाएगा। उन दिहाड़ी मजदूरी करने वालों की आंखों में खुशी झलकती है कि अब जल्दी काम मिलेगा और कमाए उन पैसों से बच्चों की ख्वाहिशें पूरी करूंगा। वो मकर सं...

मेरठी हैं कूल डूड : टी शर्ट दिवस पर विशेष

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मेरठ के लोगों में स्वैग काफी होता है। वे खुद को कूल दिखाना पसंद करते हैं। अगर आपके टी शर्ट पर जाट, गुर्जर या सख्त लौंडा लिखा हो तो लोगों का ध्यान खुद ब खुद चला जाता है। 21 जून को टी शर्ट डे है। आइये जानते हैं मेरठ में टी शर्ट के चलन के बारे में... मेरठ शहर खास तौर पर स्पोर्ट्स और कैंची के लिए मशहूर है। इसके अलावा यहां स्पोर्ट्स वियर काफी मशहूर है। खेल से संबंधित कपड़ो की डिमांड देश ही नहीं विदेशों में भी है। मेरठ की धरती से ढेरों फैशन के चलन निकले हैं। आजकल के युवा टी शर्ट पहन कर कूल दिखने की कोशिश करते हैं और उन्हें कूल लगने के लिए बाजार में कई तरह के टी शर्ट्स उपलब्ध है जैसे जाट व गुर्जर समेत अन्य टीशर्ट्स लोग काफी पसंद कर रहे हैं। योग टी शर्ट की बढ़ रही डिमांड 21 जून को विश्व योग दिवस है इसे लेकर लोगों में काफी उत्साह है। इसे देखते हुए लोगों में योग से संबंधित टी शर्ट की डिमांड काफी बढ़ गयी है। टी शर्ट पर लिखे योगस्य चित्त वृति निरोध:, करो योग रहो निरोग के अलावा योगासन व संस्कृत के श्लोक  छपे टी शर्ट्स लोगों ने पहनने शुरू कर दिए हैं। मोदी-योगी की बढ़ी डिमांड युव...

कभी प्रेम का प्रतीक माने जाने वाले मटुकनाथ गुजार रहे अकेली जिंदगी

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कभी प्रेम का प्रतीक माने जाने वाले मटुकनाथ गुजार रहे अकेली जिंदगी कहते हैं न प्यार की गहराई अनंत होती है। उम्र की सीमा न वक्त का तकाजा होता है। प्यार तो प्यार है जिससे होना होता है वो हो ही जाता है। एक ऐसे ही प्यार की कहानी है पटना में रहने वाले बीएन कॉलेज के प्रोफेसर मटुकनाथ और उनकी छात्रा जूली की। इनके प्रेम प्रसंग के चर्चे काफी मशहूर थे। प्रोफेसर मटुकनाथ और उनकी स्टूडेंट जूली के बीच 30 साल का अंतर था। दोनों को अपनी लव लाइफ के लिए काफी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ा था। बावजूद दोनों ने एक-दूसरे का बखूबी साथ दिया। फिलहाल, दोनों ने शादी नहीं की, पर राजी-खुशी लिव इन में हैं। इस कारण मटुकनाथ को कॉलेज से बर्खास्त कर दिया गया और बाद में सेवा समाप्त कर दी गयी थी। फिर अदालत का दरवाजा खटखटाने पर उन्हें बहाल किया गया था। अब मटुकनाथ अक्टूबर 2018 में रिटायर हो रहे हैं। आइये जानते हैं कि कैसे शुरू हुई थी इन दोनों की लव स्टोरी... कैसे शुरू हुई दोनों की लव स्टोरी... दोनों की पहली मुलाकात क्लासरूम में हुई थी। 2004 में मटुकनाथ ने एक कैंप लगाया था, जिसमें जूली भी गयी थी। इसी दौरान दोनों म...

एक ऐसा विधायक जिसके आगे सरकार का कद छोटा पड़ गया

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उत्तराखंड बीजेपी में प्रदीप बत्रा अकेले विधायक हैं जिन्होंनें सबसे कम समय में संघ परिवार समेत पूरे घराने को अपने खिलाफ खड़ा कर लिया है। कांग्रेस से बीजेपी में आए रूड़की के विधायक प्रदीप बत्रा ने पार्टी तो बदल ली लेकिन अपना तौर तरीका नहीं बदला। पूरी पार्टी इनके कारनामें को लेकर सड़क पर है। विधायक महोदय पर आरोप है कि एक व्यापारी-पटियाला लस्सी वाले को फायदा पहुंचाने के लिए इन्होनें सिविल लाइंस के चैराहे से चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा ही उखाड़ दी। चंद्रशेखर आजाद का दोष इतना था कि वो दुकान के सामने मूंछ ऐंठ रहे थे। इसके खिलाफ पीडब्लूडी को ही कोर्ट जाना पड़ा। कोर्ट ने तो मूर्ति के हक में फैसला सुना दिया लेकिन चंद्रशेखर आजाद जी तमाम दबाव के बाद भी विधायक जी की मर्जी के आगे बेबस है। जबकि चंद्रशेखर जी की मूर्ति हटाने पर जमकर बवाल हुआ था लोगों ने प्रदीप बत्रा के खिलाफ न सिर्फ नारेबाजी की थी बल्कि उनके पुतले की शवयात्रा भी निकाली थी।  विभिन्न संगठन भी सड़क पर उतरे थे। पश्चिमी रूड़की भाजपा के मंडल अध्यक्ष सौरभ पंवार भी इनके खिलाफ संगठन के कार्यकर्ताओं की अनदेखी करने की शिकायत कर चुके हैं...

भारत ही एक ऐसा देश है जहाँ लोग बीमार होने के लिए खाते हैं

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हम भारतीयों की एक खास बात है, हमलोग खाने पीने के शौकीन होते हैं। आपको राह चलते ऐसे बहुत से ठेले, रेहड़ी और स्टॉल मिल जायेंगे जहाँ ये सब खाने की चीजें आसानी से मिल जाती है और खासकर महिलाएं इन चीजों की शौकीन होती हैं। गोलगप्पे चटाखेदार मसाला पानी, उबले आलू मटर से भरे गोल गोल गोलगप्पे को देखकर ही मुंह में पानी आ जाता है। गोलगप्पे,  पानी बतासे,  फुचका और पता नहीं क्या क्या नाम से बोला जाता है। चाट अगर कुछ  चटपटा  खाने का मन है, तो  चाट  से स्वादिष्ट और  चटपटा  क्या हो सकता है। चाट कई प्रकार के होते हैं छोले चाट, टिक्की चाट  मोमोज़ मोमोज तो आज कल लगभग सभी की पसंद बन गयी है और ज्यादातर तो यह लड़कियों को पसंद होता है।  मोमोज को भाप में पकाकर बनाया जाता है।  इसे बनाने में तेल भी बहुत कम लगता है. इसलिए ये खाने में हल्के और पौष्टिक भी होते हैं. मोमोज़ एक तिब्बती, लज़ीज़ व्यंजन है जिसे भारत में लोग बेहद पसंद करते हैं . छोले-भटूरे छोले भटूरे  का नाम पंजाब में पॉपुलर डिश में लिया जाता है और वाकई इसका च...

हर बिहारी के अंदर क्यों होती है नेतागीरी

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हम सब जानते हैं कि बिहारी हर जगह हैं। देश हो या विदेश के अधिकांश कॉलेज में अपनी मौजूदगी बनाने में सक्षम हैं। उन में से आप एक दो को जानते होंगे। आप उसमे हमेशा अपनी चाहत को सच्चाई में बदलने की चाहत देखा होगा। उनमें एक जोश एक जूनून देखा होगा, जो किसी भी हद्द तक जाने को तैयार हो जाते होंगे।  बिहारी नेतागीरी करने में भी अपनी जिंदगी जीने के मायने ढूंढ लेते हैं, उनके  DNA में ही ये सब गुण होता है।   हमेशा अपनी लाइफ संघर्ष और आर्दशो में जीना पंसद करते हैं    बिहारी अपनी चाहत को पाने के लिए के लिए हमेशा अपनी लाइफ संघर्ष और आर्दशो में जीना पंसद करते हैं, वह अपने काम को लेकर दृढ़ संकल्प रहते है .अगर बिहारी आपका रुम मेट हो तो आपको इस बात का एहसास जरुर हो गया होगा.  अपनी मंजिल खुद तय करते हैं  मंजिल जब आसन हो तो चैले़ज का मजा निकल जाता हैं. उन्हें सब साफ मालुम होता हैं क्या करना हैं ? क्यों करना हैं ? कैसे करना हैं ? बिहारी हमेशा दौलत , शोहरत , ताकत , प्यार , दोस्ती , मंजिल की तलब में अपना रास्ता खुद व खुद साफ करते हैं. वे खुद को काफी गौरव...

योग है सभी रोगों का समाधान, बदलें अपनी दिनचर्या

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योग के जन्मदाता महर्षि पतंजलि ने कहा है कि " योगश्चित्तवृत्त  निरोधः "  चित्त की वृत्तियों के निरोध ही योग है। योग करने से शरीर के सब रोग ठीक हो जाते हैं। वैसे आजकल लोग प्रतिदिन योग करते है। जब से विश्व योग दिवस 21 जून को मनाया जाने लगा है तब से लोगों में योग के प्रति जागरूकता ज्यादा उत्त्पन्न हो गयी है। लोग प्रतिदिन योग करते हैं किन्तु योग करने के पूर्व कुछ ऐसे नियम होते हैं जिन्हे निरंतर पालन करना चाहिए वार्ना योग करने का पूर्णरूपेण फायदा नहीं मिल पायेगा।  प्रथम नियम है दिनचर्या  दिनचर्या  :-  सर्वप्रथम जरुरी होता है कि आपकी दिचर्या कैसी है, सुबह कितनी जल्दी उठ जाते हैं, रात में कितनी जल्दी सो जाते हैं। पुरे दिन में जो कार्य कर रहे है वह नियमित होनी चाहिए इसके साथ साथ खानपान पर भी ध्यान देना जरुरी है। जैसे सुबह खाने के साथ जूस पीना चाहिए दोपहर को छांछ एवं रात्रि में हलके भोजन के साथ दूध का सेवन करना चाहिए। यह आहार-विहार का प्रथम नियम होता है। इस पथ पर चलने से मनुष्य ज्यादा समय तक निरोग जीवन जीता है।  दिनचर्या हमें किस प्रकार अपनानी चाहिए...

गर्मी के दौरान बरतें सावधनियां

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गर्मी का मौसम शुरू हो गया है और ऐसे मौसम में अपने सेहत का ध्यान रखना काफी मुश्किल होता है। इस मौसम में थोड़ी सी भी लापरवाही हमें कई बीमारियों का शिकार बना सकती है। गर्मियां हमारे शरीर को बुरी तरह प्रभावित करती हैं। इस मौसम में बाहरी तापमान बढ़ने से हमारे शरीर का ताप भी बढ़ जाता है इसलिए हमें ऐसे भोजन का सेवन करना चाहिए जो शरीर को ठंडा रखे। गर्मियों में हमारा पाचन-तंत्र भी कमजोर पड़ जाता है इसलिए जरूरी है कि हल्का और ताजा भोजन किया जाए। ताकि पाचन-तंत्र सही ढंग से काम कर सके। बढ़ता हुआ तापमान संक्रमण का खतरा भी बढ़ा देता है, इसलिए इस मौसम में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। गर्मियों में अधिक समय घर से बाहर नही बिताना चाहिए। शरीर में पानी की कमी नही होने देना चाहिए इसके लिए समय  समय पर पानी पीना चाहिए। वर्ना डीहाइड्रेशन का खतरा बढ़ सकता है। इस गर्मी के मौसम में क्या-क्या खाना-पीना चाहिए । खीरा है सबसे फायदेमंद गर्मी के दिनों में खीरा खाना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है इसमें विटामिन ए, बी1, बी6, सी, डी पोटैशियम, फाॅस्फोरस, आयरन आदि पाए जाते हैं। खीरा पानी का बहुत अच्छ...

5वें दीक्षांत की तैयारी जोरों पर

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देवसंस्कृति विश्वविद्याालय में होने वाले 5 वें दीक्षांत की तैयारी काफी जोर शोर से चल रही है। सभी काफी उत्साह के साथ इस आयोजन को सफल बनाने में लगे हुए हैं। यहां के छात्र व शिक्षक सभी एकजूट होकर काफी उत्साह के साथ इस कार्य में लगे हुए हैं। यहां एक ऐसा माहौल बन गया है जिसमें सभी सहभाग के लिए हाथ बंटाने की कोशिश कर रहे हैं। इस कार्यक्रम में नोवेल शांति पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी एवं उत्तराखंड के माननीय राज्यपाल डाॅ के के पाॅल मुख्य अतिथी के रूप में मौजूद रहेंगे। आयोजन स्थल की भव्यता सबसे पहले बात की जाए रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट ग्राउंड की जहां इस पूरे कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। वहां की भव्यता का वर्णन जितना किया जाए उतना ही कम होगा। पूरे मैदान में कार्यक्रम के लिए पंडाल से सजा हुआ है। चारों तरफ प्रदर्शनी के लिए स्टाॅल तैयार हो रहे हैं। गेट की साज सज्जा देखकर कोई भी सम्मोहित हो सकता है। सांस्कृतिक कार्यक्रम की तैयारी इस भव्य आयोजन में सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए यहां के छात्र व छात्राऐं नृत्य, संगीत, नाटक एवं अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए दिन रात एक कर तैयारी में लगे...

मनुष्य के श्रेष्ठता का प्रतीक है प्रार्थना

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                                        प्रार्थना मनुष्य की श्रेष्ठता की प्रतीक है क्योंकि यह उसके और परमात्मा के घनिष्ठ संबंधों को दर्शाती है। प्रार्थना एक तरह से परमेश्वर और भक्त के बीच बातचीत है । इस में भक्त भगवान को अपनी सारी स्थिति स्पष्ट कर देता है कुछ छिपाता नहीं। हर एक धर्म में प्रार्थना का बड़ा महत्व है । सभी धर्म-गुरुओं, ग्रंथों और संतों ने प्रार्थना पर बड़ा बल दिया है । उन्होंने प्रार्थना को मोक्ष का द्वार कहा है। प्रार्थना में परमेश्वर की प्रशंसा, स्तुति, गुणगान, धन्यवाद, सहायता की कामना, मार्गदर्शन की ईच्छा, दूसरों का हित चिंतन आदि होते हैं। प्रार्थना चुपचाप, बोलकर या अन्य किसी विधी से की जा सकती है। यह अकेले और सामूहिक, दोनों रूपों में होती है । यह ध्यान के रूप में या किसी धर्म ग्रंथ के पढ़ने के रूप में भी हो सकती है। प्रार्थना में माला, जाप, गुणगान पूजा संगीत आदि का सहारा लिया जाता है। बिना किसी ऐसे साधन के भी प्रार्थना की जा सकती है। प्रार्थना करने की कोई भी विधि अपनायी ज...