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बिहार की प्रचलित कुप्रथा 'पकड़ौआ विवाह' के पीछे की वजह और सच्चाई

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पकड़ौआ विवाह खासकर बिहार राज्य में प्रचलित एक कुप्रथा है। इसमें शादी योग्य लड़के को घर या उनके कार्यस्थल से अपहरण कर तय जगह पर ले जाते हैं और जितनी जल्दी (25-30 मिनट) में शादी कर देते हैं। शादी के लिए नहीं मानने पर लड़के के साथ मारपीट की जाती है। गोली मारने की धमकी दी जाती है। हथियार से आतंकित कर जबरदस्ती लड़की की मांग में सिंदूर डलवाया जाता है। क्यों:- इसके पीछे बड़ी वजह दहेज था। ज्यादा दहेज देने से सक्षम न होने के कारण गांव के लोग अपने जानने वालों से पता कर एक लड़के का चुनाव करते थे। जो ढंग का कमाता हो या जमीन-जयदाद ज्यादा हो। खेती बाड़ी खुद संभालता हो। उसके पीछे काफी मेहनत करते थे। जैसे- बार बार जाकर लड़के के पिता को कहना कि आपके लिए हमने एक लड़की देखी है अगर कहो तो आपके बेटे की शादी करवा देता हूं, लड़की अच्छी है। अगर नहीं माने तो फिर हंसी मजाक में कह देते थे कि आपके लड़के को उठवा लूंगा। इसके बाद वो तैयारी करना शुरू कर देते थे। मौका मिलते ही लड़के को हथियार के बल पर और दबंगों की सहायता से उठवा लिया जाता था। शादी के बाद:- शादी के बाद लड़का कहता है कि मैं फांसी पर चढ़ गया। अब लड़की और लड़के के गांव...

अभी नहीं तो कब सुधरोगे बिहार वालों?

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वर्तमान में सबसे ज्यादा लट्ठ बजाने की जरूरत बिहार में है। आज भी गांधी सेतु पर दरभंगा, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर आदि जगह जाने वाली बसों में खचाखच भीड़ है। लोग बस की छतों पर बैठकर सफर कर रहे हैं। ये ऐसे लोग हैं जो दिहाड़ी मजदूरी करते हैं और इसी जानबूझकर आस में अभी तक पटना में बैठे थे कि ये तामझाम एक दो दिन में खत्म हो जाएगा तो हम काम कर सकेंगे। जब बिहार लॉकडाउन हुआ तब जाकर समझ में आया कि अब कोई चारा नहीं है। अब बोरिया बिस्तर समेटकर घर पहुंचने नहीं भाग ने की फिराक में एक का तीन गुणा भाड़ा देकर घर जा रहे हैं। इन्होंने ये स्थिति जान बूझकर बनाई है। वैसे अमूमन दरभंगा जाने में 200-300 रुपये लगते हैं लेकिन वर्तमान में 600-700 रुपये देकर लोग घर जा रहे हैं। दुःख इस बात का है कि पिछले 10 दिनों से सूचना दी जा रही है कि ज्यादा से ज्यादा खुद को बचाने की कोशिश करें फिर भी ये लोग नहीं मान रहे हैं। शायद इन लोगों को इस बात का अंदाजा नहीं है कि अगर ये महामारी गांव तक पहुंच गया तो स्थिति कितनी विकट होगी। वैसे भी स्वास्थ्य सेवा के मामले में बिहार फिसड्डी है। लोग अच्छे डॉक्टर से दिखाने के बजाय ...

गंगा को लेकर स्वामी शिवानंद ने शुरू लिया अनशन

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दैनिक जागरण में प्रकाशित खबर गंगा रक्षा को लेकर चल रहे अनशन की शुरुआत डेढ़ साल पहले हुई थी। इस कड़ी की शुरुआत ब्रह्मलीन प्रोफेसर ज्ञान स्वरूप सानंद ने की थी। मुझे याद है 9 अक्टूबर 2019 को मैं हरिद्वार गया था और रात मैं ज्वालापुर मेरे मित्र (हिमांशु भट्ट) के यहां रुका था। सुबह अचानक पता चला कि आश्रम पर पुलिस तैनात हो गई है और सानंद जी को AIIMS ऋषिकेश भेजने की तैयारी हो रही है। उन्हें भर्ती कराया गया। अनशन तोड़ने के लिए कई बार फ़ोर्स फीडिंग कराई गई। उनकी मौत के बाद क्रमिक अनशन चल ही रहा है। यहां तक कि इसके लिए प्रयागराज के कुंभ में भी जाकर अनशन किया गया था। वर्तमान में ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने दिल्ली एम्स से लौटकर 40वें दिन अपना अनशन समाप्त कर दिया है। इसके साथ ही साध्वी पद्मावती का अनशन 88वें दिन भी दिल्ली एम्स में जारी है।   राज्य में डबल इंजन की सरकार है। केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक हरिद्वार से सांसद हैं। राज्य में शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक हरिद्वार से विधायक हैं। फिर भी इस मुद्दे पर दोनों पक्षों में सहमति नहीं बन पा रही है। पहले तो कोई बात करने भी नही...

पिथौरागढ़ के जन्मदिन पर जानिए कुछ खास बातें

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आज पिथौरागढ़ जिले का जन्मदिन है. 60 साल पहले आज ही के दिन पिथौरागढ़ जिले का गठन किया गया था. 24 फ़रवरी 1960 से पहले तक पिथौरागढ़ अल्मोड़ा जिले की एक तहसील हुआ करता था. 24 फरवरी 1960 को सीर, सोर, गंगोली व अस्कोट परगनों के साथ मुनस्यारी, धारचूला, डीडीहाट और पिथौरागढ़ को मिलाकर अलग जनपद के रूप में प्रदेश व देश के नक़्शे में ला दिया गया. यह उत्तराखण्ड के ऐतिहासिक नगरों में से एक है. इसे सोर घाटी के नाम से भी जाना जाता था. सोर का शाब्दिक अर्थ सरोवर होता है. कहा जाता है कि किसी समय में यहाँ पर सात सरोवर हुआ करते थे. वक़्त बीतने के साथ इन सरोवरों का पानी सूख जाने के कारण बनी पठारी भूमि में यह क़स्बा बसा. पठारी भूमि पर बसे होने के कारण ही इसका नाम पिथौरागढ़ पड़ा. इसके नाम एवं शासकों के बारे में इतिहासकारों के बीच मतभिन्नता है. पृथ्वीशाह का शासनकाल चौदहवीं शताब्दी का माना जाता है. इनका विवाह मायापुरहाट (अब हरिद्वार) के अमरदेव पुंडीर की बेटी गंगादेई के साथ हुआ. बाद में उनका विवाह गंगादेई की छोटी बहन मौलादेवी के साथ हुआ. यही मौलादेवी बाद में कत्यूरी राजमाता जिया रानी के नाम से जानी गयीं. ज...

आदिवासी क्षेत्र में नरसंहार और नई विचारधारा का विकास है खतरनाक

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झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम में पत्थलगड़ी का विरोध करने पर उपमुखिया जेम्स बूढ़ समेत सात लोगों की हत्या कर दी गयी। उनके शवों को पास के ही जंगलों में फेंक दिया गया। पुलिस का कहना है कि पत्थलगड़ी समर्थकों द्वारा रविवार को ग्रामीणों के साथ बैठक की गई थी। इसी दौरान समर्थकों ने विरोध करने वालों को पीटने लगे और जंगल में फेंक दिया। यह पूरी तरह नरसंहार ही है। पत्थलगड़ी हमेशा से स्वतंत्र व्यवस्था स्थापित करने के लिए आंदोलन करती आ रही है। ये सरकार की योजना का पुरजोर विरोध करते हैं। ये अपने क्षेत्र में सिर्फ आदिवासी को ही घुसने देते हैं। इसीलिए सीमा पर चेतावनी भी लिख दी जाती है। इनपर देशद्रोह का भी मुकदमा चल रहा है। हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री बनने के बाद 29 दिसंबर को फैसला लिया था कि पत्थलगड़ी समर्थकों पर लगे देशद्रोह के मुकदमे खत्म किए जाएंगे। इसके साथ साथ एक नई विचारधारा "कुटुंब परिवार" पांव पसार रही है। ये खुद को 'आदिवासी भारत' और खुद को 'आदिमानव' बताते हैं। तभी उनलोगों के नाम के आगे 'एसी' लिखा होता है। वे खुद शासक हैं, इसीलिए उनपर कोई राज नहीं कर ...

मशहूर गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का पटना के PMCH में निधन

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आज मशहूर गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का पटना के PMCH में निधन हो गया। 74 साल की ज़िंदगी में 44 साल तक वो मानसिक बीमारी सिजेफ्रेनिया से पीड़ित रहे। कहते हैं शुरुआती सालों में अगर गणितज्ञ की सरकारी उपेक्षा नहीं हुई होती तो आज वशिष्ठ नारायण सिंह का नाम दुनिया के महानतम गणितज्ञों में सबसे ऊपर होता। वशिष्ठ नारायण सिंह वशिष्ठ नारायण सिंह एक ऐसे गणितज्ञ थे जिन्होंने कई बार विश्व पटल पर गणितज्ञ का लोहा मनवाया था। इन्होंने ही आंइस्टीन के सापेक्ष सिद्धांत को चुनौती दी थी। उनके बारे में मशहूर है कि नासा में अपोलो की लांचिंग से पहले जब 31 कंप्यूटर कुछ समय के लिए बंद हो गए तो कंप्यूटर ठीक होने पर उनका और कंप्यूटर्स का कैलकुलेशन एक था। 1969 में उन्होंने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से पीएचडी की और वॉशिंगटन विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर बन गए। नासा में भी उन्होंने काम किया। भारत लौटने के बाद आईआईटी कानपुर, आईआईटी बंबई और आईएसआई कोलकाता में अपनी सेवा दी थी। उन्होंने साईकल वेक्टर स्पेस थ्योरी पर शोध किया। पिछले दिनों जब पटना के अस्पताल में भर्ती हुए थे तब सभी ने उनके स्वास्थ्य लाभ की कामना की थी। सभी ...

बिगबॉस-12 की कुछ यादें जो कभी भुलाई नहीं जा सकती!

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आखिर वो 106 दिन का सफर एक विनर के साथ समाप्त हो गया। कई लोग सपने लेकर किस्मत आजमाने आए। कुछेक का सपना टूटता चला गया। वे घर से बेघर होते चले गए। इन सब के बीच हम जैसे दर्शक जो बड़ी शिद्दत से व्यस्त समय से एक घंटा निकाल लेते थे। कुछ ग्रुप में गॉशिप भी कर लेते थे। इसकी आदत बन गयी थी। लगता था हमारी दिनचर्या में एक काम ये भी शामिल है। रात के 12 बजे या एक बजे ऑफिस से आने के बाद पहला काम इस शो को देखना ही था। कुछ प्रतिभागी फेवरेट थे जैसे शिवशीष, रोमिल, सोमी, नेहा पेडसे, सृष्टि, श्रीशांत, दीपक, सुरभी, करणवीर और दीपिका। इन सब में कुछ का सफर जल्द ही समाप्त हो गया लेकिन छोटे शहर से आये लोगों ने सब के दिलों पर राज किया। सुरभी :- हिमाचल प्रदेश की लड़की जिसने सभी टास्क में योगदान दिया। 5 बार कैप्टन रही। एक बार नॉमिनेट हुई वो भी श्रीशांत ने किया था। टिकट टू फिनाले जीत चुकी थी। इतनी उपलब्धि के बाद 15 वें हफ्ते घर से बाहर हो जाना दर्शकों के लिए निराशाजनक था। रोमिल :- हरियाणा के रोहतक जिले के वकील बाबू के अंदर काफी जज्बा था। काफी दमखम रखते थे। लेकिन कमी एक ही थी उनके लिए कई बार मु...

जब पटना के छात्रों ने कोचिंग संस्थान के शिक्षकों के खिलाफ आवाज उठाई थी

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हर कोई उच्च शिक्षा पाने के लिए शहर की ओर रुख करता है। बिहार के छात्र भी 10वीं पास कर आंख में इंजीनियर या डॉक्टर बनने का सपना लेकर राजधानी पटना की ओर रुख करते हैं। यहां कोचिंग संस्थान में एडमिशन लेकर जीतोड़ पढ़ाई करते हैं। बड़ी संख्या में छात्र होने के बाद कोचिंग सेंटर वाले भी मनमानी पर उतारू हो जाते हैं। आखिर कब तक छात्र इनकी मनमानी सहते। एक कहावत है स्प्रिंग को जितना दबाओगे छोड़ने पर वह तेज गति से उछलती है। इसका उदाहरण वर्ष 2010 में देखने को मिला जब एक संस्थान में गार्ड की बंदूक से एक छात्र को गोली लग गयी और उपचार के दौरान उसकी मौत हो गयी। छात्रों के आक्रोश ने काफी तबाही मचाई थी। प्रतीकात्मक तस्वीर बात उन दिनों की है जब बिहार में शिक्षकों के खिलाफ छात्रों ने आवाज उठाई थी। पटना के अधिकांश कोचिंग में छात्रों द्वारा उत्पात मचाया जा रहा था। सभी शिक्षक अपने संस्थानों को बंद कर छात्रों को पढ़ाने से इन्कार कर चुके थे। छात्रों का इतना उग्र रूप जयप्रकाश नारायण के आंदोलन के बाद बिहार की राजधानी में पहली बार देखने को मिल रहा था। छात्रों के उग्र रूप की शुरुआत एक कोचिंग संस्थान से हुई। किस...

बड़ा मनहूस है ये बंगला, कोई भी मंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया

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भूत बंगले के बारे में तो आप सभी ने सुना ही होगा या कई फिल्मों में देखा भी होगा। कोई अदृश्य शक्ति बंगले में किसी को घुसने नही देती है और अगर कोई जाता भी है तो उसे किसी कारणों से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। यही बात यहाँ भी सिद्ध हो रही है। यह मनहूस बंगला किसी भी मंत्री को उनका कार्यकाल पूरा करने नहीं देता। ऐसे ही बंगले के बारे में आपको बताने जा रहे हैं। यह सरकारी बंगला बिहार की राजधानी पटना में है। जब से मुजफ्फरपुर कांड हुआ है तब से यह बंगला काफी चर्चित हो गया है। पटना के स्ट्रैंड रोड पर स्थित बंगला नंबर 6 लोगों के बीच अब चर्चा का विषय बन गया है। यह बंगला नीतीश सरकार में समाज कल्याण विभाग की मंत्री कुमारी मंजू वर्मा को आवंटित है। हालांकि उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और अब उन्हें ये बंगला खाली करना होगा। दरअसल, उनके पति के ऊपर मुजफ्फरपुर कांड के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के साथ संबंधों को लेकर आरोप लगा है, जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा दिया है। बंगला नंबर 6 में रहने वाले मंत्रियों के पिछले कुछ सालों के आंकड़ों को देखें तो इस बंगले ने अब तक तीन मंत्रियों को उनका कार्...

कोलकाता का ऐसा बाजार जहां नुमाइंदगी होती है जिस्म की

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उतनी गिनती भी नही आती, जितने लोग मेरे उपर चढ़ जाते हैं। मेरी चादर के फूल भी शर्म से लाल हो जाती है। बस एक चीज लाल नहीं होती...मेरी मांग! मुझे सोनागाछी में सस्ते पाउडर लिपिस्टिक की पर्तों में छुपी ज़िंदा लाशों का क्रंदन इस क़दर सुनाई देता है। लगता है, जैसे पूरा सोनागाछी एक श्मशान है ,जहाँ हर कदम एक लाश जल रही है या दफ़न हो रही है।  यहाँ लड़की जैसे ही अपनी दैनिक वृत्तियों को लेकर आत्मनिर्भर हो जाती है यानी फौरन औरत बन जाती है। माहवारी शुरू होने के पहले ही उसे ग्राहक को रिझाने औऱ देर तक उसे यौन के संलिप्त रखने के गुर सीख लेना ज़रूरी होता है क्योंकि कच्ची कली के पहली बार खिलने की खुशबू इस क़दर हमारे देश के कामुक पुरुषों को मतवाला करती है। जब यहाँ किसी लड़की का ज़िस्म पहली बार मंडी में उतरता है तो उसके ख़ैरख्वाहों और दलालों को तगड़ी रक़म ग्राहक से मिलती है।  बाक़ायदा लड़कियाँ बॉलीवुड के सस्ते आयटम गानों पर भड़काऊ ढंग से नाचना सीखती हैं। शाम होते ही उनकी नुमाइश शुरू हो जाती है और रात गुजरते हुए ये लड़कियां या अपना जिस्म हारती है या ज़िन्दगी की दौड़ में रोटी हार जाती है। पश्चिम बंगाल...

क्या एक संपादक और एक जवान के मारने से अल्लाह खुश हो गया?

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14 जून 2018 की शाम अचानक मेरे फ़ोन पर एक अलर्ट आया। उस वक़्त मैं अपने ऑफिस में खबरों के साथ आंख मिचौली खेल रहा था यानी संपादन कर रहा था। फ़ोन उठा कर देखा तो बीबीसी का अलर्ट था। लिखा था कि कश्मीर के वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुखारी पर हुआ हमला, हालत गंभीर। उस वक़्त तो सिर्फ देखकर रह गया। थोड़ी देर में वाट्सएप पर अनगिनत मैसेज आने शुरू हो गए। एक मैसेज खोल कर देखा तब पता चला कि शुजात बुखारी की मौत हो चुकी है। शुजात बुखारी की हत्या आने वाले दिनों के लिए एक खतरनाक संकेत है। ये डरावने सिलसिले की एक कड़ी लगती है। इस कत्ल की निंदा और भर्त्सना के लिए सही शब्द नहीं मिल रहे हैं। क्या गलती थी उस संपादक की आखिर क्या गलती थी उस संपादक की जो थोड़ी देर पहले इफ्तार के लिए जा रहा था। क्या वे काफिर थे या यूं कहें तो वे आतंकवादियों की नजर में गुनाहगार थे। इन्हें मारने से अल्लाह खुश हो गया। कहा जाता है कि रमजान के पाक महीने में रोजा रखने से इंसान के ईमान में बरक्कत आती है। क्या यही बरक्कत दी थी आतंकवादियों को अल्लाह ने? कहा जाता है कि शुजात बुखारी कश्मीर में अमन और शांति चाहते थे। वे धारा 370 के समर्थक भी थे।...

कभी प्रेम का प्रतीक माने जाने वाले मटुकनाथ गुजार रहे अकेली जिंदगी

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कभी प्रेम का प्रतीक माने जाने वाले मटुकनाथ गुजार रहे अकेली जिंदगी कहते हैं न प्यार की गहराई अनंत होती है। उम्र की सीमा न वक्त का तकाजा होता है। प्यार तो प्यार है जिससे होना होता है वो हो ही जाता है। एक ऐसे ही प्यार की कहानी है पटना में रहने वाले बीएन कॉलेज के प्रोफेसर मटुकनाथ और उनकी छात्रा जूली की। इनके प्रेम प्रसंग के चर्चे काफी मशहूर थे। प्रोफेसर मटुकनाथ और उनकी स्टूडेंट जूली के बीच 30 साल का अंतर था। दोनों को अपनी लव लाइफ के लिए काफी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ा था। बावजूद दोनों ने एक-दूसरे का बखूबी साथ दिया। फिलहाल, दोनों ने शादी नहीं की, पर राजी-खुशी लिव इन में हैं। इस कारण मटुकनाथ को कॉलेज से बर्खास्त कर दिया गया और बाद में सेवा समाप्त कर दी गयी थी। फिर अदालत का दरवाजा खटखटाने पर उन्हें बहाल किया गया था। अब मटुकनाथ अक्टूबर 2018 में रिटायर हो रहे हैं। आइये जानते हैं कि कैसे शुरू हुई थी इन दोनों की लव स्टोरी... कैसे शुरू हुई दोनों की लव स्टोरी... दोनों की पहली मुलाकात क्लासरूम में हुई थी। 2004 में मटुकनाथ ने एक कैंप लगाया था, जिसमें जूली भी गयी थी। इसी दौरान दोनों म...

एक ऐसा विधायक जिसके आगे सरकार का कद छोटा पड़ गया

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उत्तराखंड बीजेपी में प्रदीप बत्रा अकेले विधायक हैं जिन्होंनें सबसे कम समय में संघ परिवार समेत पूरे घराने को अपने खिलाफ खड़ा कर लिया है। कांग्रेस से बीजेपी में आए रूड़की के विधायक प्रदीप बत्रा ने पार्टी तो बदल ली लेकिन अपना तौर तरीका नहीं बदला। पूरी पार्टी इनके कारनामें को लेकर सड़क पर है। विधायक महोदय पर आरोप है कि एक व्यापारी-पटियाला लस्सी वाले को फायदा पहुंचाने के लिए इन्होनें सिविल लाइंस के चैराहे से चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा ही उखाड़ दी। चंद्रशेखर आजाद का दोष इतना था कि वो दुकान के सामने मूंछ ऐंठ रहे थे। इसके खिलाफ पीडब्लूडी को ही कोर्ट जाना पड़ा। कोर्ट ने तो मूर्ति के हक में फैसला सुना दिया लेकिन चंद्रशेखर आजाद जी तमाम दबाव के बाद भी विधायक जी की मर्जी के आगे बेबस है। जबकि चंद्रशेखर जी की मूर्ति हटाने पर जमकर बवाल हुआ था लोगों ने प्रदीप बत्रा के खिलाफ न सिर्फ नारेबाजी की थी बल्कि उनके पुतले की शवयात्रा भी निकाली थी।  विभिन्न संगठन भी सड़क पर उतरे थे। पश्चिमी रूड़की भाजपा के मंडल अध्यक्ष सौरभ पंवार भी इनके खिलाफ संगठन के कार्यकर्ताओं की अनदेखी करने की शिकायत कर चुके हैं...

पत्नी को उसके प्रेमी से मिलाने के लिए पति ने दी बड़ी कुर्बानी

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साल 1999 में एक फिल्म आई थी. हम दिल दे चुके सनम. उसमें एक पति अपनी पत्नी को उसके प्रेमी से मिलाने के लिए धरती आसमान एक किए रहता है. फिल्म के क्लाइमेक्स में आंसू छिपाने की कोशिश जरूर किए होंगे आप. लेकिन बिहार में एक लव स्टोरी उस फिल्म से बहुत आगे बढ़ गई. एक पति ने अपनी 10 साल की शादी और 2 बच्चे अपनी पत्नी का प्रेम बचाने के लिए कुर्बान कर दिए. प्रेमी को अपनी पत्नी बच्चों समेत सौंप दी. कानूनी तरीके से शादी कराई. पढ़ने में आसान लग रहा होगा लेकिन बहुत बड़ा कलेजा किया भाई ने. तो अब सुनो पूरी कथा. बिहार के वैशाली जिले के बिदुपुर थाना क्षेत्र में ऊंचडीह गांव है. वहां अरुण अपनी बीवी मधु के साथ रहता था. 10 साल पहले शादी हुई थी. दो बच्चे थे. इधर मधु अपने मायके गई और वहां पड़ोसी श्रवण चौरसिया से प्यार हो गया.  प्यार माने लव माने मोहब्बत. श्रवण का आना जाना मधु की ससुराल तक होने लगा. तब अरुण को पता चला. इसके बाद बड़ा बवाल हुआ. काहे कि ये तो होना ही था. फिर अरुण ने मधु को समझाने का प्रयास किया लेकिन मधु ने अरुण को ही समझा दिया. कि मैं अब श्रवण के साथ रहना चाहती हूं. बीवी को दुव...

दौलत के मामले में अनिल अंबानी से भी अमीर है बिहार का यह शख्स

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पिछले दिनों मशहूर पत्रिका फोर्ब्स ने भारत के 100 सबसे धनी लोगों की सूची जारी की थी. 60 वर्षीय मुकेश अंबानी फिर से भारत के सबसे दौलतमंद इंसान हैं. आपसे देश के सबसे अमीर व्यक्ति की बात की जाएं तो फट से मुकेश अंबानी का नाम बता देंगे. जी हां आप बिल्कुल सही हैं. पिछले दिनों मशहूर पत्रिका फोर्ब्स ने भारत के 100 सबसे धनी लोगों की सूची जारी की थी.  60 वर्षीय मुकेश अंबानी फिर से भारत के सबसे दौलतमंद इंसान हैं. फोर्ब्स के अनुसार उनकी कुल संपत्ति 39 बिलियन डॉलर है. इस सूची में दूसरे नंबर पर अजीज प्रेम जी, तीसरे पर हिन्दुजा फैमिली, चौथे पर लक्ष्मी मित्तल और पांचवें पर पी मिस्त्री हैं. जबकि इस लिस्ट में मुकेश अंबानी के छोटे भाई अनिल अंबानी 2.4 बिलियन डॉलर की संपत्ति के साथ 45वें नंबर पर हैं. अब बात करते हैं बिहार के उस शख्स की जिन्होंने संपत्ति के मामले में अनिल अंबानी को भी पीछे छोड़ दिया है.  बिहार के जहानाबाद में जन्मे संप्रदा सिंह फोर्ब्स की लिस्ट में 43वें नंबर पर हैं. फोर्ब्स के अनुसार उनकी कुल संपत्ति 3.3 बिलियन डॉलर (करीब 2 खरब 13 अरब 41 करोड़ 59 लाख रुपए) है. ...

जानें उत्तर प्रदेश के मंत्रियों के विभाग

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मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के विभागों की सूची गृह आवास एवं शहरी नियोजन राजस्व खाद्य एवं रसद नागरिक आपूर्ति खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन अर्थ एवं संख्या भूतत्व एवं खनिकर्म बाढ़ नियंत्रण कर निबंधन कारागार सामान्य प्रशासन सचिवालय प्रशासन गोपन, सर्तकता नियुक्ति, कार्मिक सूचना, निर्वाचन संस्थागत वित्त नियोजन राज्य सम्पत्ति नगर भूमि उत्तर प्रदेश पुनर्गठन समन्वय प्रशासनिक सुधार कार्यक्रम कार्यान्वयन राष्ट्रीय एकीकरण अवस्थापना समन्वय भाषा वाह्य सहायतित परियोजना अभाव सहायता एवं पुनर्वास लोक सेवा प्रबंधन किराया नियंत्रण उपभोक्ता संरक्षण बाट माप  उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को लोक निर्माण, खाद्य प्रसंस्करण, मनोरंजन कर, सार्वजनिक उद्यम विभाग का कार्यभार आवंटित किया गया है। इसके साथ ही उप मुख्यमंत्री डाॅ. दिनेश शर्मा को माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रानिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग का कार्यभार आवंटित किया गया है। मंत्रियों के विभाग सूर्य प्रताप शाही को कृषि, कृषि शिक्षा, कृषि अनुसंधान सुरेश खन्न...

सड़क दुर्घटनाओं में हर 3 मिनट में एक मौत हो जाती है

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महानगर में रहने वाले ज्यादातर लोगों को ऑफिस से घर जाने में करीब घंटा भर या उससे ज्यादा समय लग जाता है. जरा सोच कर देखिए जितनी देर में आप ऑफिस से घर पहुंते हैं, उतनी ही देर में 17 लोग देश की खूनी सड़कों की भेंट चढ़ जाते हैं.  जी हां, ये सुनने में डरावना लगता है, मगर बिल्कुल सच है. सड़क परिवहन मंत्रालय ने सड़क दुर्घटनाओं की जो रिपोर्ट जारी की है उसके आंकड़ें इस बात की पुष्टि करते हैं.  आंकड़ों के मुताबिक, साल 2016 में 1,50,785 लोगों की सड़क दुर्घटनाओं में मौत हुई. जबकि घायल होने वालों की संख्या करीब पांच लाख थी. अधिकतर हादसे की वजह मोबाइल को बताया जा रहा है, मोबाइल के कारण  सड़क पर हर 3 मिनट में एक मौत हो जाती है, जबकि समय समय पर निर्देश दिए जाने के बावजूद लोग इसपर अमल नहीं कर रहे हैं  आंकड़ों के मुताबिक  हर दिन 413 मौत हो रही है    रिपोर्ट के मुताबिक देश में हर दिन 1317 सड़क दुर्घटनाएं होती हैं. इन हादसों में हर दिन 413 लोगों की मौत होती हैं. जबकि हर घंटे की बात की जाए तो मरने वालों की संख्या 17 है. 46 फीसदी युवा मरते हैं  सड़...

छात्र छात्राओं को अब साफ़ सुथरा और पौष्टिक भोजन मिलेगा

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उत्तराखंड के चार जिले देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल के सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में छात्र छात्राओं को अब अधिक साफ़ सुथरा और पौष्टिक भोजन उपलब्ध हो सकेगा और साथ ही बच्चे पठन-पाठन पर अधिक ध्यान दे सकेंगे, अब उन्हें दोपहर के भोजन को लेकर मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी। त्रिवेंद्र सरकार की मंत्रिमंडल ने इन चार जिलों में दोपहर का भोजन बनाने का जिम्मा अक्षय पात्र फाउंडेशन को सौंपा है।  बुधवार को सचिवालय में हुई त्रिवेंद्र सरकार की मंत्रिमंडल की बैठक में कई निर्णय लिए गए  । सरकार के प्रवक्ता और  कैबिनेट मंत्री  मदन कौशिक ने मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी दी । उन्होंने बताया कि दो मैदानी जिलों हरिद्वार व ऊधमसिंह नगर के साथ ही और दो जिलों में देहरादून व नैनीताल के मैदानी क्षेत्रों के विद्यालयों में मध्याह्न भोजन के लिए नई व्यवस्था पर सहमति बन गई है।  चार जिलों के कक्षा एक से आठवीं तक 3,59,435 छात्र-छात्राओं को दोपहर का भोजन स्वयंसेवी संस्था अक्षय पात्र फाउंडेशन के जरिए मुहैया कराया जाएगा। इस वक़्त संस्था वर्तमान में दोपहर का भ...

भगवा आतंकवाद है ? केसरीया आतंकवाद vs हरा आतंकवाद

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कुछ समय पहले की बात है भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संवित पात्रा ने कहा कि अगर केसरिया आतंकवाद है तो हरा भी आतंकवाद ही है और ये काफी हद तक सही भी है। कुकी हरा रंग मुस्लिम का प्रतीक माना जाता है।  आइये जानते है क्या है भगवा आतंकवाद  भगवा आतंकवाद का सबसे पहला प्रयोग अंग्रेज़ी में सन् 2002 में फ़्रंटलाईन नामक अंग्रेज़ी पत्रिका के एक लेख में गुजरात दंगे को संबोधन करने के लिए हुअा था। लेकिन इस शब्द का अधिक प्रयोग 29  सितंबर सन् 2008 के मुंबई के मालेगाँव धमाके के बाद हुआ क्योंकि जांच के सिलसिले में धमाके से संबद्धित, कथित तौर पर, एक हिन्दू संगठन से जुङे लोगों को गिरफ्तार किया गया। हालांकि इस्लामी उग्रवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन पर भी दोष आया था क्योंकि इसी इलाके में सन् 2006 के धमाके में इंडियन मुजाहिदीन का हाथ होने की आशंका थी (असल में इंडियन मुजाहिदीन उस समय 'स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट आॅफ़ इंडिया' के नाम से जाना जाता था)। लेकिन, जांच आगे बढ़ने के बाद किसी हिन्दू संगठन के शामिल होने की कथित तौर पर​ पुष्टि हो गई। शिवस...