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फिल्म रिव्यू : कागज़ पर मृत बने व्यक्ति की जीवंत कहानी दर्शाती फिल्म

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अगर कानून ने बिना अपराध के हमको मौत की सजा दे दी है, तो थोड़ा अपराध करके जिंदा होने का कोशिश कर लेते हैं. जी5 पर रिलीज हुई कागज फिल्म इस डायलॉग के साथ टर्न ले लेती है, जब एक आम आदमी व्यवस्थापिका से अपने हक की लड़ाई लड़ता है। चिट्ठियों पर चिट्ठी लिखकर जब उसे लगता है कि वह हारने वाला है, तो वह जीतने के लिए अपराध तक के लिए खुद को तैयार कर लेता है। कागज पूरी तरह गंवई कहानी है, जहां घरेलू संपति हड़पने के चक्कर एक इंसान को कागज पर मृतक घोषित कर दिया जाता है। उसे भनक तक नहीं होती है। फिर वह सिस्टम से ही जब मदद मांगने जाता है, तब पता चलता है कि उसे तो कागज पर मृतक बना दिया गया है। इसके बाद शुरू होती है, उसकी लड़ाई, सिस्टम से न्याय मांगने और हड्डी मांस के ढांचे को एक नाम देकर कागज पर जीवित घोषित करवाने की। हालांकि कागज की कहानी सत्तर से अस्सी दशक के आसपास गढ़ी गई है, पर जमीनी स्तर पर हालात अभी बदले नहीं हैं। मसलन आज भी तहसील में जन्म मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने के लिए सौ - दो सौ रुपए आसानी से लोग दे देते हैं। आप भले अंतरराष्ट्रीय कंपनी में काम करते हों, या उच्चाधिकारी हों, पर आम आदमी की परेशानी ...

Dhadak movie review : आगाज वही अंजाम नई

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हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया और बद्रीनाथ की दुल्हनिया फिल्मों का निर्देशन  निर्देशक शशांक खेतान ने   किया है, जिसमें मंझे हुए कलाकार वरुण धवन और आलिया भट्ट काम करते हुए नजर आये। इस बार शशांक ने नए कलाकार ईशान खट्टर और अभिनेत्री श्रीदेवी की बेटी जाह्नवी कपूर के साथ धड़क फिल्म बनायी है। हालांकि यह फिल्म ब्लॉकबस्टर मराठी फिल्म सैराट की ऑफिशियल हिंदी रीमेक है। सैराट फिल्म को पिछले साल 2017 में कन्नड़ और पंजाबी में भी रीमेक किया गया और इस साल इसका हिंदी रूपांतरण रिलीज हो गया है। फिल्म की कहानी उदयपुर से शुरू होती है जहां के रहने वाले रतन सिंह (आशुतोष राणा) बहुत ही दबंग इंसान है और उनकी बेटी पार्थवी सिंह (जाह्नवी कपूर) है। उदयपुर में ही एक रेस्टोरेंट चलाने वाले परिवार का लड़का मधुकर बागला (ईशान खट्टर) है, जो टूरिस्ट गाइड का भी काम करता है। मधुकर और पार्थवी के बीच आंखे मिलती हैं और प्यार हो जाता है जो बात रतन सिंह और उसके बेटे को बिल्कुल भी नहीं पसंद है। जिसकी वजह से कहानी में बहुत सारे ट्विस्ट और टर्न्स आते हैं। कहानी उदयपुर और नागपुर होते हुए कोलकाता पहुंचती है, अंततः क्या होत...

धर्म और आस्था के प्रति भ्रम को तोड़ती पी. के. की कहानी

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जिस प्रकार से देश में लोग धर्म और आस्था के नाम से लड़ते झगड़ते आ रहे हैं उसके प्रति हो रहे भ्रम को तोड़ने का काम फिल्म पी के ने किया है हालांकि धर्म के प्रति अत्यधिक आस्था होने के कारण यह फिल्म काफी सुर्खियों में रही किन्तु इन सभी मुसीबतों के बावजूद इसे रिलीज कर समाज को एक नया सच दिखाने की कोशिश की है राज कुमार हिरानी ने। फिल्म के किरदार से लेकर सभी पक्ष मजबुत दिखें, आमिर खान के अभिनय की क्या बात की जाए उन्हे इसलिए ही मिस्टर परफेक्ट कहा जाता है क्योंकि जैसा किरदार होता है आमिर उय किरदार में पूर्णरूपेण समाहित हो जाते हैं। और किरदार में आसानी से ढ़ल जाते हैं। वहीं अनुष्का शर्मा दिन प्रतिदिन नई चुनौतियों को पार कर उसे अपने रूप में और अच्छे तरीके से करने की कोशिश करती है। अब फिल्म की कहानी की बात की जाए तो यह कहानी है एक ऐसे परग्रही जीव की जो पृृथ्वी पर कुछ खोज करने आता है और किसी कारणवश उसके स्पेशशिप का रिमोट चोरी हो जाता है । उसी रिमोट को खोजने के लिए वह दर दर भटकता है। इसी बीच पी के की मुलाकात टीवी पत्रकार जग्गु (अनुष्का शर्मा) से होती है और वह पूरी कहानी जग्गु को बताता है लेक...