Posts

Showing posts from September, 2017

100 रेपिस्ट के इंटरव्यू ने लड़की की सोंच को बदल दिया

Image
100 दोषियों के इंटरव्यू लेने के बाद पता चला कि अधिकतर लोगों को ये पता नहीं होता कि हमने रेप किया है  हमारे सामने हर रोज कोई न कोई खबर आती है जो रेप या शारीरिक शोषण से जुड़ी होती है. हमारे मन में भी तब यही सवाल आता है कि आखिर कोई ऐसी हैवानियत कैसे कर सकता है. ब्रिटेन की एंग्लिया रस्किन यूनिवर्सिटी में क्रिमिनोलॉजी की छात्रा मधुमिता पांडे ने इसी सवाल को लेकर तिहाड़ जेल में बंद 100 रेप के दोषियों से बात की. इंटरव्यू के बाद जो तथ्य सामने आए उसने मधुमिता को बलात्कारियों को लेकर दिमाग में बैठी घृणा भरी सोच को बदल कर रख दिया। वाशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, 2013 में हुए निर्भया कांड के बाद दिल्ली में पली-बढ़ी मधुमिता की अपने शहर के प्रति सोंचने का नजरिया बदल गया. उन्होंने बताया कि हम सभी के दिमाग में ये सवाल था कि जो इंसान ये सब करता है वह ऐसे घिनौने काम क्यों करता है? हम उन्हें राक्षस समझते हैं. हमें लगता है कि कोई सामान्य शख्स ऐसा कभी नहीं कर सकता. लेकिन ये गलतसोंचनाहै. मधुमिता ने बताया कि मेरे मन में भी यही सवाल था कि आखिर क्यों कोई ऐसा बन जाता है? ऐसी कौन सी परिस्थितियां होती हैं जो

दान और दक्षिणा में क्या अंतर है ?

Image
दान - दान वह मूल्य है जो सामाजिक कर्तब्य के रूप में दिया जाता है।  दान किसी वस्तु पर से अपना अधिकार समाप्त करके दूसरे का अधिकार स्थापित करना दान है। साथ ही यह आवश्यक है कि दान में दी हुई वस्तु के बदले में किसी प्रकार का विनिमय नहीं होना चाहिए। इस दान की पूर्ति तभी कही गई है जबकि दान में दी हुईं वस्तु के ऊपर पाने वाले का अधिकार स्थापित हो जाए। मान लिया जाए कि कोई वस्तु दान में दी गई किंतु उस वस्तु पर पानेवाले का अधिकार होने से पूर्व ही यदि वह वस्तु नष्ट हो गई तो वह दान नहीं कहा जा सकता। ऐसी परिस्थिति में यद्यपि दान देनेवाले को प्रत्यवाय नहीं लगता तथापि दाता को दान के फल की प्राप्ति भी नहीं  हो सकती। दक्षिणा -  दक्षिणा वह मूल्य है जो किसी सेवा के रूप में दी जाती है।  भारतवर्ष  के गुरुकुलों में विद्यार्थी जब पढ़ने जाते थे तो वे या तो गुरु और उसके परिवार की सेवा करके अथवा यदि संपन्न परिवार के हुए तो कुछ शुल्क देकर विद्या प्राप्त करते, किंतु प्राय: शुल्क देनेवाले कम ही व्यक्ति होते थे और अधिकांश सेवासुश्रूषा से ही विद्या प्राप्त कर लेते थे। प्राय: ऐसे विद्यार्थी अपनी शिक्षा

सड़क दुर्घटनाओं में हर 3 मिनट में एक मौत हो जाती है

Image
महानगर में रहने वाले ज्यादातर लोगों को ऑफिस से घर जाने में करीब घंटा भर या उससे ज्यादा समय लग जाता है. जरा सोच कर देखिए जितनी देर में आप ऑफिस से घर पहुंते हैं, उतनी ही देर में 17 लोग देश की खूनी सड़कों की भेंट चढ़ जाते हैं.  जी हां, ये सुनने में डरावना लगता है, मगर बिल्कुल सच है. सड़क परिवहन मंत्रालय ने सड़क दुर्घटनाओं की जो रिपोर्ट जारी की है उसके आंकड़ें इस बात की पुष्टि करते हैं.  आंकड़ों के मुताबिक, साल 2016 में 1,50,785 लोगों की सड़क दुर्घटनाओं में मौत हुई. जबकि घायल होने वालों की संख्या करीब पांच लाख थी. अधिकतर हादसे की वजह मोबाइल को बताया जा रहा है, मोबाइल के कारण  सड़क पर हर 3 मिनट में एक मौत हो जाती है, जबकि समय समय पर निर्देश दिए जाने के बावजूद लोग इसपर अमल नहीं कर रहे हैं  आंकड़ों के मुताबिक  हर दिन 413 मौत हो रही है    रिपोर्ट के मुताबिक देश में हर दिन 1317 सड़क दुर्घटनाएं होती हैं. इन हादसों में हर दिन 413 लोगों की मौत होती हैं. जबकि हर घंटे की बात की जाए तो मरने वालों की संख्या 17 है. 46 फीसदी युवा मरते हैं  सड़क हादसों में मरने वाले ज्यादातर युवा हैं. आं