कुंभ कथा-5: अपने नंबर पर आए और कुंभ में गंगा नहाए देवी-देवता
कोरोना वायरस के संक्रमण की चुनौतियों के बीच हुए हरिद्वार कुंभ में गंगा नहाने आए श्रद्धालुओं के लिए तरह-तरह की पाबंदियां थी। हरिद्वार आने के लिए सबसे पहले तो श्रद्धालुओं के पास कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट होनी चाहिए थी और उसके बाद हरिद्वार में हरकी पैड़ी तक पहुंचने के लिए कड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा था। जिन दिनों में शाही स्नान पड़ रहे थे, उन दिनों आम श्रद्धालुओं के लिए हरकी पैड़ी को बंद कर दिया गया था। शाही स्नान के दिन हरकी पैड़ी पर केवल अखाड़े स्नान कर सकते थे। अखाड़ों के साधुओं के लिए स्नान का क्रम तय किया गया था। यानी सबसे पहले किस अखाड़े के संत स्नान के लिए जाएंगे और कितनी देर हरकी पैड़ी पर स्नान कर सकेंगे यह सब कुछ मेला प्रशासन ने तय कर दिया था। महाशिवरात्रि पर पहले शाही स्नान में सबसे पहले जूना अखाड़े के संतों ने स्नान किया था और 12 तथा 14 अप्रैल को हुए शाही स्नान में सबसे पहले श्री निरंजनी अखाड़े के संतों ने हरकी पैड़ी पर गंगा में डुबकी लगाई। हम सब जानते हैं कि सभी तेरह अखाड़ों के लिए स्नान का क्रम निर्धारित था लेकिन आपको जानकर आश्चर्य हो सकता है कि अखाड़ों की तरह ही कुंभ