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Showing posts from March, 2017

अपराधों से घिरता बिहार

जब से गठबंधन की सरकार आयी है तब से बिहार में आए दिन कुछ न कुछ अपराधिक घटनाएं हो ही रही है। चाहे वह विधायक प्रत्याशी की मौत हो या एम एल सी के बेटे का मामला हो । पिछले कुछ महीनो में अपराधिक धटना काफी बढ़ गई है। इसके कारण पुराने अपराधी प्रवृति के लोगों का भी हौसला बढ़ने लगा है। दिनदहाड़े लोगों को गोली मार दी जाती है, राह चलते बच्चों का अपहरण हो जाता है। शाम होते ही सुनसान रास्तों पर चोर सक्रिय हो जाते हैं और छीनतई करते हैं। जो लोग पिछले कुछ वर्षो में जो डर कर ये सब छोड़ चुके थे उनमें भी हौसलो के बीज पनप रहे हैं। आजकल के चोर इतने सक्रिय हो गये हैं आम आदमी तो दुर वे नेता मंत्री के घर को भी नही छोड़ते उनके घरो में भी अपना हाथ साफ कर देते हैं। आए दिन हो रहे अपराधों को लेकर कोई ठोस कदम नही उठाए जा रहे हैं। पुलिस सिर्फ शराब पकड़ने के अलावा कुछ नही कर रही है । सिर्फ शराब पकड़ना ही उनका कर्तव्य बन गया है, उसके अलावा सभी मामलों पर आंखे मूंद रहे हैं । लोगों के बीच प्रशासन के प्रति काफी रोष है , हालांकि वे प्रकट नही कर रहे है मगर ये चिंगारी धीरे-धीरे आग का रुप भी ले सकती है । अभी सिर्फ टाॅपर घोटाल

गढ़वाल हिमालय:- इतिहास, संस्कृति, यात्रा एवं पर्यटन

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प्रस्तुत गढ़वाल हिमालय:- इतिहास, संस्कृति, यात्रा एवं पर्यटन रमाकांत बेंजवाल द्वारा लिखित पुस्तक गढ़वाल की संस्कृति, सभ्यता, यात्रा एवं पर्यटन को दर्शाता है। गढ़वाल का इतिहास सैंकड़ों वर्ष पुराना है। यह वर्षों से तीर्थयात्रीयों के आगमन का स्थान रहा है। वेदों, पुराणों और महाकाव्यों में गढ़वाल का तपोभूमि के रूप में उल्लेख मिलता है। प्रत्येक ऋतु में यहां अपना विशिष्ठ सौन्दर्य है। गर्मी आते ही यात्री तीर्थाटन व घुम्क्करी के उमड़ पड़ते हैं। सर्दियो में स्कीइंग, राफ्टिंग, ग्लाइडिंग जैसे साहसिक पर्यटन इस क्षेत्र में होते हैं। इस पुस्तक को चार अध्यायों में बांटा गया है। प्रथम अध्याय में लेखक ने बताया है कि हिमालय के पांच खंडो में हरिद्वार से लेकर कैलाश पर्वत तक फैले वर्तमान गढ़वाल को पौराणिक समय में केदारखंड के नाम से जाना जाता था। पुराणों में केदारखंड को स्वर्गभूमि माना गया है। पुराने ग्रंथो में भी गढ़वाल का जिक्र किया गया है। यह भूमि रामायण एवं महाभारत के इतिहास की साक्षी है। रामायण काल के अवशेष भी यहां मिलते हैं। प्राचीन मंदिर, मूर्तियां, प्राचीन जातियां, पाल वंश एवं कई राजाओं के आगमन के कारण गढ़वा

आध्यात्म का मार्ग ही सरल है

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इंसान के जीवन में बहुत सी चुनौतियां है और उसे पुरा करने के लिए वह किसी न किसी माध्यम का साथ अवश्य लेता है वह एकमात्र सहारा है आध्यात्म की तरफ जाना आध्यात्म एक ऐसा मार्ग है जहां से व्यक्ति कोई भी मार्ग चुन सकता है। आज सामाज में चारों तरफ चारों तरफ बुराईयां देखने को मिलती है। कोई ऐसा व्यक्ति नही है जो इससे अछुता हो। इस समाज की मानसीकता बदलने के लिए आध्यात्म बहुत ही सरल मार्ग है। आध्यात्म सिर्फ पुजा-पाठ करना नही है इसका अर्थ है कि जो व्यक्ति चैमुखी विकास के लिए मार्ग अपनाता है उसे ही आध्यात्म कहा जाता है जिससे मनुष्य का सामाजिक, आर्थिक, वैश्विक, आध्यात्मिक, राजनैतिक सभी तरह से विकास होता है वह ही सरल आध्यात्म की तरफ जाने का रास्ता है। लेकिन प्रश्न यह उठता है कि किस तरीके से चैमुखी विकास किया जाए तो वह है सकारात्मकता। सकारात्मकता से किया गया कार्य ही हमें आध्यात्म की तरफ ले जाता है। गलत तरीके से किया गया कार्य विनाश की ओर ले जाता है शुरू-शुरू में तो यह कार्य करने में बहुत मजा आता है लेकिन यह उतना की विनाशकारी है। गलत तरीके से कमाया गया धन उतनी ही तेजी से खत्म हो जाता है जितनी तेजी से कम