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Showing posts from October, 2016

मनुष्य के श्रेष्ठता का प्रतीक है प्रार्थना

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                                        प्रार्थना मनुष्य की श्रेष्ठता की प्रतीक है क्योंकि यह उसके और परमात्मा के घनिष्ठ संबंधों को दर्शाती है। प्रार्थना एक तरह से परमेश्वर और भक्त के बीच बातचीत है । इस में भक्त भगवान को अपनी सारी स्थिति स्पष्ट कर देता है कुछ छिपाता नहीं। हर एक धर्म में प्रार्थना का बड़ा महत्व है । सभी धर्म-गुरुओं, ग्रंथों और संतों ने प्रार्थना पर बड़ा बल दिया है । उन्होंने प्रार्थना को मोक्ष का द्वार कहा है। प्रार्थना में परमेश्वर की प्रशंसा, स्तुति, गुणगान, धन्यवाद, सहायता की कामना, मार्गदर्शन की ईच्छा, दूसरों का हित चिंतन आदि होते हैं। प्रार्थना चुपचाप, बोलकर या अन्य किसी विधी से की जा सकती है। यह अकेले और सामूहिक, दोनों रूपों में होती है । यह ध्यान के रूप में या किसी धर्म ग्रंथ के पढ़ने के रूप में भी हो सकती है। प्रार्थना में माला, जाप, गुणगान पूजा संगीत आदि का सहारा लिया जाता है। बिना किसी ऐसे साधन के भी प्रार्थना की जा सकती है। प्रार्थना करने की कोई भी विधि अपनायी जा सकती है, और सभी श्रेष्ठ हैं । इसमें जितनी सच्चाई, सफाई, तन्मयता और समर्पण-भाव होगा, वह उतना ही प्

डिजीटल युग में भारतीय संस्कृति

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ज्यादातर देखा गया है कि मनोरंजन के लिए लोग बड़े-बड़े माॅल घुमने जाते हैं सिनेमा देखने जाते हैं या कहीं घुमने का प्लान बनाते हैं। यह भारतीय ही नही करते बल्कि विदेशी भी भ्रमण के लिए जाते हैं। इन सभी चीजों के लिए लोगों को एकजुट होते देखा गया है। इससे सिर्फ मनोरंजन ही नही होता बल्कि लोग कुछ नया सीखते हैं। अगर कहीं घुमने जाते हैं तो वहो की संस्कृति से अवगत होते हैं और उनकी संस्कृति जानने की कोशिश करते हैं। अगर डिजीटल की बात की जाए तो सबसे पहले हमारे दिमाग में कमप्युटर मोबाईल, इंटरनेट, गुगल आदि आता है और अगर संस्कृति की बात करें तों सबसं पहले खान पान रहन सहन वेश भुषा या उनके धर्म की बात आती है। अगर भारतीय संस्कृति को डिजिटल युग से जोड़ दिया जाए तो संस्कृति को एक नया आयाम मिल सकता है। जिससे लोगों के बीच भारतीय संस्कृति के बारे में नई नई जानकारी मिल सकती है। उन्हे इस संस्कृति के बारे में अवगत कराने का सही अवसर मिल सकता है। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने कहा है कि संस्कृति का अर्थ मनुष्य का भीतरी विकास और उसकी उन्नति हैं। एक दूसरे के साथ सद्व्यवहार और दूसरों को समझाने की शक्