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Showing posts from June, 2018

मेरठी हैं कूल डूड : टी शर्ट दिवस पर विशेष

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मेरठ के लोगों में स्वैग काफी होता है। वे खुद को कूल दिखाना पसंद करते हैं। अगर आपके टी शर्ट पर जाट, गुर्जर या सख्त लौंडा लिखा हो तो लोगों का ध्यान खुद ब खुद चला जाता है। 21 जून को टी शर्ट डे है। आइये जानते हैं मेरठ में टी शर्ट के चलन के बारे में... मेरठ शहर खास तौर पर स्पोर्ट्स और कैंची के लिए मशहूर है। इसके अलावा यहां स्पोर्ट्स वियर काफी मशहूर है। खेल से संबंधित कपड़ो की डिमांड देश ही नहीं विदेशों में भी है। मेरठ की धरती से ढेरों फैशन के चलन निकले हैं। आजकल के युवा टी शर्ट पहन कर कूल दिखने की कोशिश करते हैं और उन्हें कूल लगने के लिए बाजार में कई तरह के टी शर्ट्स उपलब्ध है जैसे जाट व गुर्जर समेत अन्य टीशर्ट्स लोग काफी पसंद कर रहे हैं। योग टी शर्ट की बढ़ रही डिमांड 21 जून को विश्व योग दिवस है इसे लेकर लोगों में काफी उत्साह है। इसे देखते हुए लोगों में योग से संबंधित टी शर्ट की डिमांड काफी बढ़ गयी है। टी शर्ट पर लिखे योगस्य चित्त वृति निरोध:, करो योग रहो निरोग के अलावा योगासन व संस्कृत के श्लोक  छपे टी शर्ट्स लोगों ने पहनने शुरू कर दिए हैं। मोदी-योगी की बढ़ी डिमांड युवाओं

क्या एक संपादक और एक जवान के मारने से अल्लाह खुश हो गया?

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14 जून 2018 की शाम अचानक मेरे फ़ोन पर एक अलर्ट आया। उस वक़्त मैं अपने ऑफिस में खबरों के साथ आंख मिचौली खेल रहा था यानी संपादन कर रहा था। फ़ोन उठा कर देखा तो बीबीसी का अलर्ट था। लिखा था कि कश्मीर के वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुखारी पर हुआ हमला, हालत गंभीर। उस वक़्त तो सिर्फ देखकर रह गया। थोड़ी देर में वाट्सएप पर अनगिनत मैसेज आने शुरू हो गए। एक मैसेज खोल कर देखा तब पता चला कि शुजात बुखारी की मौत हो चुकी है। शुजात बुखारी की हत्या आने वाले दिनों के लिए एक खतरनाक संकेत है। ये डरावने सिलसिले की एक कड़ी लगती है। इस कत्ल की निंदा और भर्त्सना के लिए सही शब्द नहीं मिल रहे हैं। क्या गलती थी उस संपादक की आखिर क्या गलती थी उस संपादक की जो थोड़ी देर पहले इफ्तार के लिए जा रहा था। क्या वे काफिर थे या यूं कहें तो वे आतंकवादियों की नजर में गुनाहगार थे। इन्हें मारने से अल्लाह खुश हो गया। कहा जाता है कि रमजान के पाक महीने में रोजा रखने से इंसान के ईमान में बरक्कत आती है। क्या यही बरक्कत दी थी आतंकवादियों को अल्लाह ने? कहा जाता है कि शुजात बुखारी कश्मीर में अमन और शांति चाहते थे। वे धारा 370 के समर्थक भी थे।

खैनी...बिहार की पहचान : यहां लोगों का स्वागत स्वैग से नहीं खैनी से होता है

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एक पंडितजी रास्ते से जा रहे थे तभी सामने से आवाज आई अरे पंडितजी कहां जा रहे हैं खैनिया त खा के जाईं। पंडितजी तुनककर बोले... अरे भक मर्दे अभी जजमानी में दसो रुपिया नहीं हुआ है, आ सूरज भी माथा पर चढ़ आया है। का करें खैनी खा के, घर जाएंगे त मेहरारू फिर से चिल्लाएगी... कि आ गए खाली हाथ, कइसे जजमानी करते हैं कि दस गो रुपिया नहीं जुड़ता है आपसे। इतना बोलते ही शर्मा जी बोले.. अरे ऊ सब छोड़िये गुस्सा पहिले खटिया पर बईठीये। का बइठे शर्मा जी बहुते परेशान हैं बेटा नालायक निकल गया है। ससुरा दिल्ली कमाने चला गया अउर जब से शादी किया है तब से पईसे नहीं भेजता है। तभी शर्मा जी बोले अरे ऊ सब छोड़िये लीजिये ई चिनउटी आ खैनी बनाइये। शर्मा जी ने अपने बेटे को आवाज लगाई अरे जित्तन जरा एक लोटा पानी लेते आना अउर देखो त का बनाई है तोहर माई। ई लीजिये पंडित जी पानी पीजिये। अउर खाना भी आ रहा है अभी जित्तना के माई ले के आती ही होगी। जित्तन की माँ खाना लेते हुए आयी अउर बोली...गोर लागी पंडित जी ई ली खाना खायीं । पंडित जी बोले...जियत रहीं भगवान अईसे ही भंडार भरल रखे। अउर सब कुशल मंगल है न घर में। जीपंडितजी। जाईं क