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बिहार की प्रचलित कुप्रथा 'पकड़ौआ विवाह' के पीछे की वजह और सच्चाई

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पकड़ौआ विवाह खासकर बिहार राज्य में प्रचलित एक कुप्रथा है। इसमें शादी योग्य लड़के को घर या उनके कार्यस्थल से अपहरण कर तय जगह पर ले जाते हैं और जितनी जल्दी (25-30 मिनट) में शादी कर देते हैं। शादी के लिए नहीं मानने पर लड़के के साथ मारपीट की जाती है। गोली मारने की धमकी दी जाती है। हथियार से आतंकित कर जबरदस्ती लड़की की मांग में सिंदूर डलवाया जाता है। क्यों:- इसके पीछे बड़ी वजह दहेज था। ज्यादा दहेज देने से सक्षम न होने के कारण गांव के लोग अपने जानने वालों से पता कर एक लड़के का चुनाव करते थे। जो ढंग का कमाता हो या जमीन-जयदाद ज्यादा हो। खेती बाड़ी खुद संभालता हो। उसके पीछे काफी मेहनत करते थे। जैसे- बार बार जाकर लड़के के पिता को कहना कि आपके लिए हमने एक लड़की देखी है अगर कहो तो आपके बेटे की शादी करवा देता हूं, लड़की अच्छी है। अगर नहीं माने तो फिर हंसी मजाक में कह देते थे कि आपके लड़के को उठवा लूंगा। इसके बाद वो तैयारी करना शुरू कर देते थे। मौका मिलते ही लड़के को हथियार के बल पर और दबंगों की सहायता से उठवा लिया जाता था। शादी के बाद:- शादी के बाद लड़का कहता है कि मैं फांसी पर चढ़ गया। अब लड़की और लड़के के गांव...

आदिवासी क्षेत्र में नरसंहार और नई विचारधारा का विकास है खतरनाक

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झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम में पत्थलगड़ी का विरोध करने पर उपमुखिया जेम्स बूढ़ समेत सात लोगों की हत्या कर दी गयी। उनके शवों को पास के ही जंगलों में फेंक दिया गया। पुलिस का कहना है कि पत्थलगड़ी समर्थकों द्वारा रविवार को ग्रामीणों के साथ बैठक की गई थी। इसी दौरान समर्थकों ने विरोध करने वालों को पीटने लगे और जंगल में फेंक दिया। यह पूरी तरह नरसंहार ही है। पत्थलगड़ी हमेशा से स्वतंत्र व्यवस्था स्थापित करने के लिए आंदोलन करती आ रही है। ये सरकार की योजना का पुरजोर विरोध करते हैं। ये अपने क्षेत्र में सिर्फ आदिवासी को ही घुसने देते हैं। इसीलिए सीमा पर चेतावनी भी लिख दी जाती है। इनपर देशद्रोह का भी मुकदमा चल रहा है। हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री बनने के बाद 29 दिसंबर को फैसला लिया था कि पत्थलगड़ी समर्थकों पर लगे देशद्रोह के मुकदमे खत्म किए जाएंगे। इसके साथ साथ एक नई विचारधारा "कुटुंब परिवार" पांव पसार रही है। ये खुद को 'आदिवासी भारत' और खुद को 'आदिमानव' बताते हैं। तभी उनलोगों के नाम के आगे 'एसी' लिखा होता है। वे खुद शासक हैं, इसीलिए उनपर कोई राज नहीं कर ...