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Showing posts from April, 2017

गर्मी के दौरान बरतें सावधनियां

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गर्मी का मौसम शुरू हो गया है और ऐसे मौसम में अपने सेहत का ध्यान रखना काफी मुश्किल होता है। इस मौसम में थोड़ी सी भी लापरवाही हमें कई बीमारियों का शिकार बना सकती है। गर्मियां हमारे शरीर को बुरी तरह प्रभावित करती हैं। इस मौसम में बाहरी तापमान बढ़ने से हमारे शरीर का ताप भी बढ़ जाता है इसलिए हमें ऐसे भोजन का सेवन करना चाहिए जो शरीर को ठंडा रखे। गर्मियों में हमारा पाचन-तंत्र भी कमजोर पड़ जाता है इसलिए जरूरी है कि हल्का और ताजा भोजन किया जाए। ताकि पाचन-तंत्र सही ढंग से काम कर सके। बढ़ता हुआ तापमान संक्रमण का खतरा भी बढ़ा देता है, इसलिए इस मौसम में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। गर्मियों में अधिक समय घर से बाहर नही बिताना चाहिए। शरीर में पानी की कमी नही होने देना चाहिए इसके लिए समय  समय पर पानी पीना चाहिए। वर्ना डीहाइड्रेशन का खतरा बढ़ सकता है। इस गर्मी के मौसम में क्या-क्या खाना-पीना चाहिए । खीरा है सबसे फायदेमंद गर्मी के दिनों में खीरा खाना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है इसमें विटामिन ए, बी1, बी6, सी, डी पोटैशियम, फाॅस्फोरस, आयरन आदि पाए जाते हैं। खीरा पानी का बहुत अच्छा स्

5वें दीक्षांत की तैयारी जोरों पर

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देवसंस्कृति विश्वविद्याालय में होने वाले 5 वें दीक्षांत की तैयारी काफी जोर शोर से चल रही है। सभी काफी उत्साह के साथ इस आयोजन को सफल बनाने में लगे हुए हैं। यहां के छात्र व शिक्षक सभी एकजूट होकर काफी उत्साह के साथ इस कार्य में लगे हुए हैं। यहां एक ऐसा माहौल बन गया है जिसमें सभी सहभाग के लिए हाथ बंटाने की कोशिश कर रहे हैं। इस कार्यक्रम में नोवेल शांति पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी एवं उत्तराखंड के माननीय राज्यपाल डाॅ के के पाॅल मुख्य अतिथी के रूप में मौजूद रहेंगे। आयोजन स्थल की भव्यता सबसे पहले बात की जाए रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट ग्राउंड की जहां इस पूरे कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। वहां की भव्यता का वर्णन जितना किया जाए उतना ही कम होगा। पूरे मैदान में कार्यक्रम के लिए पंडाल से सजा हुआ है। चारों तरफ प्रदर्शनी के लिए स्टाॅल तैयार हो रहे हैं। गेट की साज सज्जा देखकर कोई भी सम्मोहित हो सकता है। सांस्कृतिक कार्यक्रम की तैयारी इस भव्य आयोजन में सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए यहां के छात्र व छात्राऐं नृत्य, संगीत, नाटक एवं अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए दिन रात एक कर तैयारी में लगे

उसकी यादों का घराना

एक और शाम ढल गयी उसकी याद के शामयानें में। सो कर भी आँखे खुली रही उसकी यादो के आशियाने में । जाग जाग कर ना बीत जाये ज़िन्दगी बिना वजह के। वरना लोग कहेंगे, कमीं तो थी इसके दिल के इश्क़ वाले घराने में । और कितना शहर करेगा मुझे बद से बदतर। ज़िंदगी यूँ ही बितेगी तेरी इसी इश्क़ वाले घराने में । इज़्ज़त का ख़ौफ़ तो होगा ही तेरे पाक दिल-ए-घर में । बस थोड़ा सब्र कर फिर देख.... फिर क्या जशन होगा , इसी बेइज़्ज़त इश्क घराने में...

बूँद

कुछ बूँद गिरी है आज यहाँ, न समझू मैं वह क्यों आयी, भीग गया है जो तन मेरा, वह क्यों आई मैं ना जानू, मधु सी मीठी वह याद रही, सविता की किरणों सी लाली भायी, आज न जाने क्यों वह मेरे , नयनो में बिन बादल है आई, कुछ बूँद गिरी है आज यहाँ, मैं न समझू वह क्यों आई , है याद बड़ी कोमल उसकी, नित प्रेम उसी में ही पायीं , जिससे माँगा था मैंने उसको, उसको भी आज न लज़्ज़ा आई, कुछ बूँद गिरी है आज यहाँ , मैं न समझू वह क्यों आई।