आध्यात्मिक पर्यटन का केंद्र है भारत
भारत प्राचीन से ही समृ़द्ध संस्कृति एवं विरासत का देश रहा है यहां अनेकता में एकता है। यहाँ के रग रग में एक जूनून है प्रत्येक स्थान में महापुरुष एवं भगवान के भ्रमण के स्थान मिलते है यही कारन है की भारत को स्वर्ग की धरती कहा जाता है यहाँ दर्शन के लिए बहुत स्थान है जो अब पर्यटन के नाम से जाना जाता है भारत में जो भी यहां पर्यटन के लिए आता है वह यहीं का होकर रह जाता है। इतिहास गवाह है कि यहां भगवान भी विहार के लिए स्वर्ग से आते थे और यहां की प्रकृतिक सौन्दर्य के प्रति आकर्षित हो जाते थे किन्तु अब ऐसा नही है लोग अब आध्यात्मिक पर्यटन के नाम पर पर्यटन स्थल जाते हैं और पिकनीक एवं छुट्टीयां मनाते हैं। पर्यटन के क्षेत्र में आध्यात्मिक पर्यटन एक नवीन आस्था है भारत ने सदा से ही ‘‘अतिथी देवो भवः’’ के संस्कारों का परिपोषण किया है। आध्यात्मिक पर्यटन स्थल से तात्पर्य किसी धर्म या धार्मिक व्यक्ति से संबंधित स्थल नही होता बल्कि ऐसा स्थल जहां व्यक्ति अपने आंतरिक चेतना के विकास प्राप्ति करता है। और इसका अनुसरण करने वालो को किसी खास धर्म के संबधित होना जरूरी नहीं है। इस दृष्टि से भारत भूमि पर अनेक