दुर्व्यसन के दलदल में फंसते आज के युवा

हमारा देश वर्षों से पुरे विश्व का गुरू रहा है भारत ने ही पुरे विश्व को आध्यात्म की राह पर चलने को विवश किया वही देश का भविष्य आज गर्त में जाता दिख रहा है पुरा देश आज नशे की गिरफ्त में है। लोगों ने नशे को अपना जीवनसाथी बना लिया है। जहां देखो वहां नशा लोगों के दिलों दिमााग पर छाया हुआ है। लोग सब कुछ भुल कर नशे को अपना जीवनयापन का सहारा बनाते जा रहे हैं। मगर वे यह नही जानते कि यह कितना प्राणघातक है। देश में प्रतिवर्ष 5-10 लाख लोगों की मृत्यु नशे के कारण होती है और लोग जानते हुए भी इसे अपनाकर मौत के मुंह में घुसते जा रहे हैं। 
नशा करने वाले प्रत्येक सामग्री पर सरकार ने 80 प्रतिशत विज्ञापन लगाने के लिए आदेश दिया है किन्तु यह देखकर भी लोग नशा करना नही छोड़तें। वर्तमान युग युवाओं का युग है और देश के लगभग 70 प्रतिशत लोग युवा है। युवा चाहें तो कुछ भी कर सकते हैं लेकिन आज के युवा एक ऐसी दलदल में फंसता जा रहा है जहां पहले मजा आता है और फिर सजा मिलती है। जब तक लोगों को पता चलता है तब तक बहुत देर होे चुकी होती है। नशा एक ऐसी सामग्री है जो मनुष्य को कुछ समय के लिए आनंदित रोमांचित एवं शक्तिवर्धक वैसे ही बनाती है जैसे थके हुए घोड़े को चाबुक मारकर दौड़ाते हैं परन्तु अंत में उसकी शक्ति क्षीण हो जाता है। ठीक उसी प्रकार मनुष्य भी अपनी शक्ति बढाने के लिए नशा करता है और अंततः उसका विनाश निश्चित होता है। हमारे शरीर में उर्जा प्रयाप्त मात्रा में है अगर उसे किसी माध्यम के द्वारा बढाया जाए तो पहले असरकारक और बाद में हानिकारक सिद्ध होता है।

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