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फिल्म रिव्यू : कागज़ पर मृत बने व्यक्ति की जीवंत कहानी दर्शाती फिल्म

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अगर कानून ने बिना अपराध के हमको मौत की सजा दे दी है, तो थोड़ा अपराध करके जिंदा होने का कोशिश कर लेते हैं. जी5 पर रिलीज हुई कागज फिल्म इस डायलॉग के साथ टर्न ले लेती है, जब एक आम आदमी व्यवस्थापिका से अपने हक की लड़ाई लड़ता है। चिट्ठियों पर चिट्ठी लिखकर जब उसे लगता है कि वह हारने वाला है, तो वह जीतने के लिए अपराध तक के लिए खुद को तैयार कर लेता है। कागज पूरी तरह गंवई कहानी है, जहां घरेलू संपति हड़पने के चक्कर एक इंसान को कागज पर मृतक घोषित कर दिया जाता है। उसे भनक तक नहीं होती है। फिर वह सिस्टम से ही जब मदद मांगने जाता है, तब पता चलता है कि उसे तो कागज पर मृतक बना दिया गया है। इसके बाद शुरू होती है, उसकी लड़ाई, सिस्टम से न्याय मांगने और हड्डी मांस के ढांचे को एक नाम देकर कागज पर जीवित घोषित करवाने की। हालांकि कागज की कहानी सत्तर से अस्सी दशक के आसपास गढ़ी गई है, पर जमीनी स्तर पर हालात अभी बदले नहीं हैं। मसलन आज भी तहसील में जन्म मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने के लिए सौ - दो सौ रुपए आसानी से लोग दे देते हैं। आप भले अंतरराष्ट्रीय कंपनी में काम करते हों, या उच्चाधिकारी हों, पर आम आदमी की परेशानी ...

HAPPY BIRTHDAY: कभी छोटी पार्टियों में गाना गाकर जुटाते थे पैसे, आज इन गानों से सुपरहिट गायक हैं गुरु रंधावा

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पंजाबी के सबसे पॉपुलर सिंगर्स में से एक गुरु रंधावा का आज जन्मदिन है। आज गुरु अपना 29वां जन्मदिन मना रहे हैं। गुरु रंधावा को इंडस्ट्री में आए ज्यादा साल नहीं हुए हैं, लेकिन उनकी लोकप्रियता कई दिग्गज सिंगर्स से भी ज्यादा है। गुरु रंधावा ने अपने करियर की शुरुआत बतौर गायक साल 2012 में की। उनका पहला गाना 'सेम गर्ल' हिट नहीं हो सका। साल 2013 में गुरु रंधावा ने अपनी पहली एलबम 'पैग वन' को लॉन्च किया था। यह भी बहुत हिट नहीं हो सका। इसके बाद गुरु रंधावा ने मशहूर रैपर बोहेमिया के साथ मिलकर साल 2015 में 'पटोला' गाना बनाया। इस गाने से रातों-रात रंधावा की किस्मत चमक गई। पार्श्व गायक गुरु रंधावा गाने लिखने के अलावा धुन भी बनाते हैं। बीते कुछ सालों में उनके 'हाई रेटेड गबरू, बन जा तू मेरी रानी, लगदी लाहौर दी, तेनू सूट सूट करदा, मेड इन इंडया, इशारे तेरे' जैसे गाने खूब पॉपुलर हुए। इसी वजह से गुरु रंधावा के गानों के पास सबसे ज्यादा सुने जाने का रिकॉर्ड है। एक्टर के एक-एक गाने के व्यूज लाखों में नहीं बल्कि करोड़ों में हैं। वहीं, उनके हर गाने को 30-50 करोड़ तक व्यूज मिलते है...

दीपिका के JNU जाने पर मीडिया में क्यों मचा है बवाल?

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वरुण ग्रोवर ने सही कहा था। मीडिया बारूद और माचिस भी देती है। जरूरत पड़े तो आग भी लगाती है। आग लगने के बाद लोगों दिखाती भी है कि ये देखो हमारे देश में क्या हो रहा है। कल शाम जब से दीपिका JNU गई है तब से तथाकथित और SO CALLED पत्रकार फ़ेसबुक और ट्विटर पर शोर मचाए हुए हैं। कैसे पत्रकार हो बे...अगर तुम्हें क्रांति करनी है तो तुम भी जाकर छात्रों की तरह विरोध करो। लेकिन सोशल मिडिया पर आकर किसी को सपोर्ट और विरोध करना है तो मुख्यधारा में उतर जाओ लेकिन पत्रकार होने का ढोंग मत करो। पत्रकारिता समाज का आईना है और आईने में तुमने पहले ही प्रतिबिंब बना लिया है। तुमने वही भेड़ चाल को अपना लिया है जहां सभी जा रहे हैं। तब तुममें और आम आदमी में कोई अंतर नहीं है। तुमने दिमाग में बना लिया कि दीपिका का विरोध करना चाहिए या किसी द्वारा कह दिया गया कि सोशल मीडिया पर विरोध करो। तुम आंख मूंदकर उसी रास्ते पर चल पड़े। मुझे ये समझ मे नहीं आया कि दीपिका का विरोध किस बात पर किया जा रहा है। इसीलिए कि वो JNU गई? या छात्रों के विरोध में शामिल हुई? क्या किसी ने दीपिका को एक भी शब्द कहते सुना? नहीं न...