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Showing posts from January, 2017

स्वच्छ भारत नहीं स्वच्छ मानसिकता अभियान चलायें।

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आज हमारा देश बहुत तरक्की कर गया है, भारत के पास वह सबकुछ है जो एक देश के लिए उपयुक्त होना चाहिए। देश की जनता भी देश की तरक्की के लिए सरकार के साथ कदम से कदम मिला कर चल रही है और अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। जैसे हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए नोट बंदी में देश के लोगों ने काफी कष्ट झेला किन्तु बिना एक शब्द कहे वे देश के बदलाव में एकसाथ खड़े दिखाई दिये, वैसे ही स्वच्छ भारत अभियान में पुरे देशवासी एकजुट होकर इस इस कार्यक्रम को सफल बनाया। लेकिन एक बात जहन में आती है कि सभी अभियान को सफल बनाने के समय में कुछ ऐसी घटनाएँ घटित हुई जो राष्ट्र के लिए अशोभनीय साबित हुई। प्रत्येक दिन कहीं न कहीं रेप हुए, लड़कियों की इज्जत को सरेआम उछाला गया। हाल ही बेंगलुरु में हुए घटना ने काफी लोगों को सोंचने पर मजबुर के दिया। यह कुछ और नही इंसान की मानसिकता है जो अपनी बहन-बेटी को घर की लक्ष्मी और दूसरे की बहन-बेटी को पैर की जूती समझ कर जहां चाहे उसकी इज्जत सरेआम निलाम करने को सोंचते हैं। यह कैसी सोंच है हमारी जो हम महिलाओं को हवस की निगाहों से देखते हैं।  पहले लोग महिलाओं को देवी मा

पर्यावरण को बचाने की शुरू करें मुहिम

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पुरा विश्व आज प्रदुषण से ग्रसित है। आज जिस प्रकार से प्रदुषण फैलता जा रहा है आने वाले कुछ वर्षो में प्रदुषण के कारण ऐसी समस्याऐं उत्पन्न होगी जिससे निपटना आम बात नही होगी। प्रकृति और मनुष्य का संबंध पुराना है। पर्यावरण और जीवन की अभिन्नता से सभी परिचित हैं। पर्यावरण की स्वच्छता निर्मलता और संतुलन से ही संसार को बचाया जा सकता है। ऋगवेद में कहा गया है कि इस ब्रह्मांड में प्रकृति सबसे शक्तिशाली है, क्योंकि यही सृजन एवं विकास और यही हृास तथा नाश करती है। अतः प्रकृति के विरूद्ध आचरण नहीं करना चाहिए। लेकिन आज के मनुष्य ठीक इसके विपरीत कार्य कर रहे हैं। अपनी सुविधाओें के लिए वनों का नाश कर रहे हैं हरे भरे जंगल तबाह कर रहे हैं। जब जंगल नष्ट हो रहे हैं तो जंगली जानवरों के रहने की जगह खत्म हो रहे हैं और वे बस्तीयों-इलाकों में आ रहे हैं और यहां भी उन्हे मारा जा रहा है। हाल ही देश के कुछ राज्यों ने वन से आए पशुओं को मारने का निर्देश दिया है जिसमें नीलगाय, जंगली सुअर आदि आते हैं। ये ऐसे जानवर हैं जिनका आशियाना हम मनुष्यों ने पहले छीन लिया और जब वे हमारे क्षेत्रो में आए तो उसे बचाने के बजाय उसे म

शॉर्टकट से नही चलती जीवनरूपी नैया

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आज हमारा विधार्थी जीवन इस कदर हो गया है कि हम पढाई सिर्फ परीक्षा में पास होने के लिए करते हैं। वह परीक्षा जिसे न पढने वाले छात्र एक रात पढकर अच्छे नंबर से पास हो जाते हैं जिसे आजकल के छात्र इन्हे सरल शब्दों में ‘वन नाईट फाईट’ कहते हैं। वे यह नही जानते कि इस पढाई के बाद एक ऐसा मोड़ आएगा जहां सिर्फ संघर्ष होगा इसमें ‘वन नाईट फाईट’ नामक शाॅर्टकट इस्तेमाल नही किया जाएगा। न ही दोस्त साथ देंगे न साथी सभी अपने-अपने जीवन को बेहतर ढंग से जीने के प्रयास में लगे रहेंगे तभी जीवन की कड़वी सच्चाई का पता चलता है। तब पता चलता है कि पढने के समय में मैनें क्या गलतियां की है और यह उसी का परिणाम है। छात्र कॉलेज  पढने नही सिर्फ यह दिखाने जाते हैं कि वे कितने अमीर हैं। इंसान का आचरण उनके कपड़ों से नही बल्कि उनके विचार से दिखाई पड़ता है। सुभाषित जी ने कहा है कि जब दीपक बुझने लगता है तब उसकी लौ तेज हो जाती है। ठीक उसी प्रकार जब छात्र का जीवन गर्त की ओर जाने लगता है तो वह वर्तमान के बदलते परिदृश्य में संलिप्त होने लगता है।  प्रत्येक मनुष्य चाहता है कि वह जीवन में उच्च स्थान प्राप्त करे। लोगों के बीच अपना म

छोड़ दीं पढ़ाई

बिहार बोर्ड करे लागल अब कड़ाई । का करीं पढ़ी की छोड़ दी पढ़ाई ।। पहिला में रहनी त कुछो ना बुझाइल, दूसरा में गइनी त कखगघ आइल । तीसरा में लइकन से कइनी लड़ाई , का करीं पढ़ी की छोड़ दी पढ़ाई ।। पहाड़ा याद भइल चौथा में आके, हेड सर से कहनी हम पांचवां मे आके । डरेस के पैसा बोलीं कहिया भेंटाई, का करीं पढ़ी की छोड़ दी पढ़ाई ।। छठा मे लगनी खूब गीत हम गावे, गीतवा हमार लागल सबकर के भावे । मन बा खेसरिया से भी आगे जाई, का करीं पढ़ी कि छोड़ दी पढ़ाई ।। सातवाँ मे छोड़ देनी बकरी चरावल, भूल गइनी सब हम सर के पढ़ावल । उम्मीद बा नौंवा में साइकिल भेटाई, का करी पढ़ी कि छोड़ दी पढ़ाई ।। फेल अगर मैट्रिक में हो भी  हम जाएम, त बन जाएम नेता घोटाला कराएम । रोज अखबार में नाम हमरो छपाई, का करी पढ़ी की छोड़ दी पढ़ाई ।।