Posts

Showing posts with the label ज़रा सोचें

बिहार की प्रचलित कुप्रथा 'पकड़ौआ विवाह' के पीछे की वजह और सच्चाई

Image
पकड़ौआ विवाह खासकर बिहार राज्य में प्रचलित एक कुप्रथा है। इसमें शादी योग्य लड़के को घर या उनके कार्यस्थल से अपहरण कर तय जगह पर ले जाते हैं और जितनी जल्दी (25-30 मिनट) में शादी कर देते हैं। शादी के लिए नहीं मानने पर लड़के के साथ मारपीट की जाती है। गोली मारने की धमकी दी जाती है। हथियार से आतंकित कर जबरदस्ती लड़की की मांग में सिंदूर डलवाया जाता है। क्यों:- इसके पीछे बड़ी वजह दहेज था। ज्यादा दहेज देने से सक्षम न होने के कारण गांव के लोग अपने जानने वालों से पता कर एक लड़के का चुनाव करते थे। जो ढंग का कमाता हो या जमीन-जयदाद ज्यादा हो। खेती बाड़ी खुद संभालता हो। उसके पीछे काफी मेहनत करते थे। जैसे- बार बार जाकर लड़के के पिता को कहना कि आपके लिए हमने एक लड़की देखी है अगर कहो तो आपके बेटे की शादी करवा देता हूं, लड़की अच्छी है। अगर नहीं माने तो फिर हंसी मजाक में कह देते थे कि आपके लड़के को उठवा लूंगा। इसके बाद वो तैयारी करना शुरू कर देते थे। मौका मिलते ही लड़के को हथियार के बल पर और दबंगों की सहायता से उठवा लिया जाता था। शादी के बाद:- शादी के बाद लड़का कहता है कि मैं फांसी पर चढ़ गया। अब लड़की और लड़के के गांव...

जिंदगी की सच्चाई है मौत! जिसे छोड़कर कोई नहीं भाग सकता

Image
उस रात का इंतजार है जब मौत मुझसे आकर पूछे... चलें वो मुझे वक्त भी देगा लेकिन अब वक्त का क्या? जो बीत गया वो बीत गया... अब कोई उसे लौटा नहीं सकता मैं जनता हूं... अब ज्यादा वक्त नहीं है थोड़ी देर ही सही लेकिन हर किसी को एक न एक दिन आनी है वो हमेशा अपने चाहने वालों को पास बुला लेता है लेकिन मैंने कौन का कर्म किया जो तुम्हारा चाहने वाला हो गया चलो अच्छा है तुम ले चलो इस झंझावतों से शायद लोगों ने मेरा कद्र नहीं किया अब किसी और जन्म में आकर उन कमियों को पूरा करेंगे जो रह गई है... -नवनीत कुमार जायसवाल ये भी पढ़ें:- वो अनकही बातें हो कभी कह नहीं पाया

वसंत ऋतु के आगमन से नए कपोलों को मिलते हैं पंख

Image
वसंत के आगमन के साथ बारिश होने से उन नए कपोलों को पंख मिल जाते हैं। जो बाहर आकर इस नई दुनिया को देखना चाहते हैं और महसूस करना चाहते हैं। पतझड़ के बाद आने वाले नए पत्ते का भी प्रकृति हवा के झोंको से स्वागत करती है। गेंदा के नए फूल भी सहमति से मधुमक्खी को पराग ले जाने के लिए आमंत्रित करती है। वो नए उगे गेंहू के हरे पौधे जिसे देखकर लगता है किसी ने हरी घास की कालीन बिछा दी हो। उन गोभी मटर या आलू के पौधे जो अपना सर्वस्व न्यौछावर कर लोगों को पोषक तत्व प्रदान कर रही हो। पक्षियों का झुंड कलरव करते तालाब के इर्दगिर्द अटखेलियां करते हैं। दूर कहीं एक मशीन की आवाज के साथ सौंधी सौंधी खुशबू आती रहती है। पास जाकर पता चलता है कि यहां चूड़ा तैयार होता है। यहां लोग लंबी कतार के साथ उस भट्ठी के किनारे बैठकर हाथ सेंकते हुए अपनी बारी का इंतजार करते हैं। एक खुशी होती है कि कई महीनों की मेहनत के बाद निकले फसल को आज पूरा परिवार मिलकर एक साथ बड़े चाव से खाएगा। उन दिहाड़ी मजदूरी करने वालों की आंखों में खुशी झलकती है कि अब जल्दी काम मिलेगा और कमाए उन पैसों से बच्चों की ख्वाहिशें पूरी करूंगा। वो मकर सं...

दीपिका के JNU जाने पर मीडिया में क्यों मचा है बवाल?

Image
वरुण ग्रोवर ने सही कहा था। मीडिया बारूद और माचिस भी देती है। जरूरत पड़े तो आग भी लगाती है। आग लगने के बाद लोगों दिखाती भी है कि ये देखो हमारे देश में क्या हो रहा है। कल शाम जब से दीपिका JNU गई है तब से तथाकथित और SO CALLED पत्रकार फ़ेसबुक और ट्विटर पर शोर मचाए हुए हैं। कैसे पत्रकार हो बे...अगर तुम्हें क्रांति करनी है तो तुम भी जाकर छात्रों की तरह विरोध करो। लेकिन सोशल मिडिया पर आकर किसी को सपोर्ट और विरोध करना है तो मुख्यधारा में उतर जाओ लेकिन पत्रकार होने का ढोंग मत करो। पत्रकारिता समाज का आईना है और आईने में तुमने पहले ही प्रतिबिंब बना लिया है। तुमने वही भेड़ चाल को अपना लिया है जहां सभी जा रहे हैं। तब तुममें और आम आदमी में कोई अंतर नहीं है। तुमने दिमाग में बना लिया कि दीपिका का विरोध करना चाहिए या किसी द्वारा कह दिया गया कि सोशल मीडिया पर विरोध करो। तुम आंख मूंदकर उसी रास्ते पर चल पड़े। मुझे ये समझ मे नहीं आया कि दीपिका का विरोध किस बात पर किया जा रहा है। इसीलिए कि वो JNU गई? या छात्रों के विरोध में शामिल हुई? क्या किसी ने दीपिका को एक भी शब्द कहते सुना? नहीं न...

मशहूर गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का पटना के PMCH में निधन

Image
आज मशहूर गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का पटना के PMCH में निधन हो गया। 74 साल की ज़िंदगी में 44 साल तक वो मानसिक बीमारी सिजेफ्रेनिया से पीड़ित रहे। कहते हैं शुरुआती सालों में अगर गणितज्ञ की सरकारी उपेक्षा नहीं हुई होती तो आज वशिष्ठ नारायण सिंह का नाम दुनिया के महानतम गणितज्ञों में सबसे ऊपर होता। वशिष्ठ नारायण सिंह वशिष्ठ नारायण सिंह एक ऐसे गणितज्ञ थे जिन्होंने कई बार विश्व पटल पर गणितज्ञ का लोहा मनवाया था। इन्होंने ही आंइस्टीन के सापेक्ष सिद्धांत को चुनौती दी थी। उनके बारे में मशहूर है कि नासा में अपोलो की लांचिंग से पहले जब 31 कंप्यूटर कुछ समय के लिए बंद हो गए तो कंप्यूटर ठीक होने पर उनका और कंप्यूटर्स का कैलकुलेशन एक था। 1969 में उन्होंने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से पीएचडी की और वॉशिंगटन विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर बन गए। नासा में भी उन्होंने काम किया। भारत लौटने के बाद आईआईटी कानपुर, आईआईटी बंबई और आईएसआई कोलकाता में अपनी सेवा दी थी। उन्होंने साईकल वेक्टर स्पेस थ्योरी पर शोध किया। पिछले दिनों जब पटना के अस्पताल में भर्ती हुए थे तब सभी ने उनके स्वास्थ्य लाभ की कामना की थी। सभी ...

कोलकाता का ऐसा बाजार जहां नुमाइंदगी होती है जिस्म की

Image
उतनी गिनती भी नही आती, जितने लोग मेरे उपर चढ़ जाते हैं। मेरी चादर के फूल भी शर्म से लाल हो जाती है। बस एक चीज लाल नहीं होती...मेरी मांग! मुझे सोनागाछी में सस्ते पाउडर लिपिस्टिक की पर्तों में छुपी ज़िंदा लाशों का क्रंदन इस क़दर सुनाई देता है। लगता है, जैसे पूरा सोनागाछी एक श्मशान है ,जहाँ हर कदम एक लाश जल रही है या दफ़न हो रही है।  यहाँ लड़की जैसे ही अपनी दैनिक वृत्तियों को लेकर आत्मनिर्भर हो जाती है यानी फौरन औरत बन जाती है। माहवारी शुरू होने के पहले ही उसे ग्राहक को रिझाने औऱ देर तक उसे यौन के संलिप्त रखने के गुर सीख लेना ज़रूरी होता है क्योंकि कच्ची कली के पहली बार खिलने की खुशबू इस क़दर हमारे देश के कामुक पुरुषों को मतवाला करती है। जब यहाँ किसी लड़की का ज़िस्म पहली बार मंडी में उतरता है तो उसके ख़ैरख्वाहों और दलालों को तगड़ी रक़म ग्राहक से मिलती है।  बाक़ायदा लड़कियाँ बॉलीवुड के सस्ते आयटम गानों पर भड़काऊ ढंग से नाचना सीखती हैं। शाम होते ही उनकी नुमाइश शुरू हो जाती है और रात गुजरते हुए ये लड़कियां या अपना जिस्म हारती है या ज़िन्दगी की दौड़ में रोटी हार जाती है। पश्चिम बंगाल...

मेरठी हैं कूल डूड : टी शर्ट दिवस पर विशेष

Image
मेरठ के लोगों में स्वैग काफी होता है। वे खुद को कूल दिखाना पसंद करते हैं। अगर आपके टी शर्ट पर जाट, गुर्जर या सख्त लौंडा लिखा हो तो लोगों का ध्यान खुद ब खुद चला जाता है। 21 जून को टी शर्ट डे है। आइये जानते हैं मेरठ में टी शर्ट के चलन के बारे में... मेरठ शहर खास तौर पर स्पोर्ट्स और कैंची के लिए मशहूर है। इसके अलावा यहां स्पोर्ट्स वियर काफी मशहूर है। खेल से संबंधित कपड़ो की डिमांड देश ही नहीं विदेशों में भी है। मेरठ की धरती से ढेरों फैशन के चलन निकले हैं। आजकल के युवा टी शर्ट पहन कर कूल दिखने की कोशिश करते हैं और उन्हें कूल लगने के लिए बाजार में कई तरह के टी शर्ट्स उपलब्ध है जैसे जाट व गुर्जर समेत अन्य टीशर्ट्स लोग काफी पसंद कर रहे हैं। योग टी शर्ट की बढ़ रही डिमांड 21 जून को विश्व योग दिवस है इसे लेकर लोगों में काफी उत्साह है। इसे देखते हुए लोगों में योग से संबंधित टी शर्ट की डिमांड काफी बढ़ गयी है। टी शर्ट पर लिखे योगस्य चित्त वृति निरोध:, करो योग रहो निरोग के अलावा योगासन व संस्कृत के श्लोक  छपे टी शर्ट्स लोगों ने पहनने शुरू कर दिए हैं। मोदी-योगी की बढ़ी डिमांड युव...

क्या एक संपादक और एक जवान के मारने से अल्लाह खुश हो गया?

Image
14 जून 2018 की शाम अचानक मेरे फ़ोन पर एक अलर्ट आया। उस वक़्त मैं अपने ऑफिस में खबरों के साथ आंख मिचौली खेल रहा था यानी संपादन कर रहा था। फ़ोन उठा कर देखा तो बीबीसी का अलर्ट था। लिखा था कि कश्मीर के वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुखारी पर हुआ हमला, हालत गंभीर। उस वक़्त तो सिर्फ देखकर रह गया। थोड़ी देर में वाट्सएप पर अनगिनत मैसेज आने शुरू हो गए। एक मैसेज खोल कर देखा तब पता चला कि शुजात बुखारी की मौत हो चुकी है। शुजात बुखारी की हत्या आने वाले दिनों के लिए एक खतरनाक संकेत है। ये डरावने सिलसिले की एक कड़ी लगती है। इस कत्ल की निंदा और भर्त्सना के लिए सही शब्द नहीं मिल रहे हैं। क्या गलती थी उस संपादक की आखिर क्या गलती थी उस संपादक की जो थोड़ी देर पहले इफ्तार के लिए जा रहा था। क्या वे काफिर थे या यूं कहें तो वे आतंकवादियों की नजर में गुनाहगार थे। इन्हें मारने से अल्लाह खुश हो गया। कहा जाता है कि रमजान के पाक महीने में रोजा रखने से इंसान के ईमान में बरक्कत आती है। क्या यही बरक्कत दी थी आतंकवादियों को अल्लाह ने? कहा जाता है कि शुजात बुखारी कश्मीर में अमन और शांति चाहते थे। वे धारा 370 के समर्थक भी थे।...

सुलग रहे हैं उत्तराखंड के जंगल, कैसे बचेंगे जान-माल

Image
उत्तराखंड के जंगल में लगी भीषण आग वर्षों से उपेक्षित रहे राज्य उत्तराखंड में काफी समस्या है। यहां  शिक्षा, स्वास्थ्य व बेरोजगारी के साथ संसाधनों की कमी के कारण लोग पलायन करने को मजबूर हैं। इसके साथ हरेक साल जंगलों में आग लग जाने के कारण यह समस्या बन गयी है।  छह राष्ट्रीय पार्क, सात अभयारण्य और चार कंजर्वेशन रिजर्व वाला उत्तराखंड इन दिनों जंगलों की आग से हलकान है। 71 फीसद वन भूभाग वाले राज्य में जंगल सुलग रहे हैं। इससे वन संपदा को तो खासा नुकसान पहुंच ही रहा है साथ ही बेजुबान जानवर भी अपनी जान बचाने को इधर-उधर भटक रहे हैं। यही नहीं, वन्यजीवों के आबादी के नजदीक आने से मानव और इनके बीच संघर्ष तेज होने की आशंका से भी इन्कार नहीं किया जा सकता। ऐसे में जंगल की दहलीज पार करते ही उनके शिकार की भी आशंका है। जंगल में लगी आग के कारण वन्यजीव ग्रामीण क्षेत्रों में आ रहे हैं और इससे आम लोगों के सुरक्षा के साथ वन्यजीव की सुरक्षा भी सूबे की अहम समस्या बन गयी है। हालांकि राज्य सरकार का दावा है कि राज्यभर में गांवों, शहरों से लगी वन सीमा पर चौकसी बढ़ा दी गई है। साथ ही जंगल में वन्यजीव...

अपने लाइफ पार्टनर से जरूर करें ये बात जवां रहेगी लव लाइफ

Image
आजकल किसी के साथ रिलेशनशिप में रहना आम बात है। लेकिन उस रिलेशनशिप को लंबे समय तक चलाना थोड़ा मुश्किल होता है। अगर कपल्स के बीच अच्छी अंडरस्टैंडिंग नहीं होगी तो वह अपने रिलेशन को ज्यादा दिनों तक बेहतर तरीके से नहीं चला पाएंगे। ऐसे में अगर आप रिलेशनशिप में हैं या फिर शादी करने वाले हैं, तो अपने पार्टनर से इस बारे में बात जरूर करें। कुछ बातें ऐसी हैं, जिनके बारे में पहले ही बात करना सही रहता है। अगर आप पार्टनर से इन बारे में बात कर लेंगे तो यह आप और आपके रिश्ते के लिए अच्छा रहेगा। साथ ही आए दिन होने वाली नोंक-झोंक से भी बच पाएंगे। जानें क्या है वह बातें जो पहले करनी चाहिए... इजाजत लेना व्यक्ति को कभी नहीं सोचना चाहिए कि अगर वह अपने पार्टनर से किसी चीज की इजाजत लेगा तो वह गुलाम कहलाएगा। अगर आप कोई भी काम करने से पहले एक-दूसरे की इजाजत लेते हैं, तो यह आपके रिश्ते के लिए सही रहेगा। पर्सनल स्पेस रिलेशनशिप में होने के बाद कोई जरूरी नहीं है कि आपका पार्टनर पूरे टाइम आपके साथ रहें। अगर आपका पार्टनर अपने दोस्तों के साथ समय बिताना चाहते हैं, तो उसे वक्त दें। ऐसा करने से आपके रिश्ते ...

एक ऐसा विधायक जिसके आगे सरकार का कद छोटा पड़ गया

Image
उत्तराखंड बीजेपी में प्रदीप बत्रा अकेले विधायक हैं जिन्होंनें सबसे कम समय में संघ परिवार समेत पूरे घराने को अपने खिलाफ खड़ा कर लिया है। कांग्रेस से बीजेपी में आए रूड़की के विधायक प्रदीप बत्रा ने पार्टी तो बदल ली लेकिन अपना तौर तरीका नहीं बदला। पूरी पार्टी इनके कारनामें को लेकर सड़क पर है। विधायक महोदय पर आरोप है कि एक व्यापारी-पटियाला लस्सी वाले को फायदा पहुंचाने के लिए इन्होनें सिविल लाइंस के चैराहे से चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा ही उखाड़ दी। चंद्रशेखर आजाद का दोष इतना था कि वो दुकान के सामने मूंछ ऐंठ रहे थे। इसके खिलाफ पीडब्लूडी को ही कोर्ट जाना पड़ा। कोर्ट ने तो मूर्ति के हक में फैसला सुना दिया लेकिन चंद्रशेखर आजाद जी तमाम दबाव के बाद भी विधायक जी की मर्जी के आगे बेबस है। जबकि चंद्रशेखर जी की मूर्ति हटाने पर जमकर बवाल हुआ था लोगों ने प्रदीप बत्रा के खिलाफ न सिर्फ नारेबाजी की थी बल्कि उनके पुतले की शवयात्रा भी निकाली थी।  विभिन्न संगठन भी सड़क पर उतरे थे। पश्चिमी रूड़की भाजपा के मंडल अध्यक्ष सौरभ पंवार भी इनके खिलाफ संगठन के कार्यकर्ताओं की अनदेखी करने की शिकायत कर चुके हैं...

पत्नी को उसके प्रेमी से मिलाने के लिए पति ने दी बड़ी कुर्बानी

Image
साल 1999 में एक फिल्म आई थी. हम दिल दे चुके सनम. उसमें एक पति अपनी पत्नी को उसके प्रेमी से मिलाने के लिए धरती आसमान एक किए रहता है. फिल्म के क्लाइमेक्स में आंसू छिपाने की कोशिश जरूर किए होंगे आप. लेकिन बिहार में एक लव स्टोरी उस फिल्म से बहुत आगे बढ़ गई. एक पति ने अपनी 10 साल की शादी और 2 बच्चे अपनी पत्नी का प्रेम बचाने के लिए कुर्बान कर दिए. प्रेमी को अपनी पत्नी बच्चों समेत सौंप दी. कानूनी तरीके से शादी कराई. पढ़ने में आसान लग रहा होगा लेकिन बहुत बड़ा कलेजा किया भाई ने. तो अब सुनो पूरी कथा. बिहार के वैशाली जिले के बिदुपुर थाना क्षेत्र में ऊंचडीह गांव है. वहां अरुण अपनी बीवी मधु के साथ रहता था. 10 साल पहले शादी हुई थी. दो बच्चे थे. इधर मधु अपने मायके गई और वहां पड़ोसी श्रवण चौरसिया से प्यार हो गया.  प्यार माने लव माने मोहब्बत. श्रवण का आना जाना मधु की ससुराल तक होने लगा. तब अरुण को पता चला. इसके बाद बड़ा बवाल हुआ. काहे कि ये तो होना ही था. फिर अरुण ने मधु को समझाने का प्रयास किया लेकिन मधु ने अरुण को ही समझा दिया. कि मैं अब श्रवण के साथ रहना चाहती हूं. बीवी को दुव...

दौलत के मामले में अनिल अंबानी से भी अमीर है बिहार का यह शख्स

Image
पिछले दिनों मशहूर पत्रिका फोर्ब्स ने भारत के 100 सबसे धनी लोगों की सूची जारी की थी. 60 वर्षीय मुकेश अंबानी फिर से भारत के सबसे दौलतमंद इंसान हैं. आपसे देश के सबसे अमीर व्यक्ति की बात की जाएं तो फट से मुकेश अंबानी का नाम बता देंगे. जी हां आप बिल्कुल सही हैं. पिछले दिनों मशहूर पत्रिका फोर्ब्स ने भारत के 100 सबसे धनी लोगों की सूची जारी की थी.  60 वर्षीय मुकेश अंबानी फिर से भारत के सबसे दौलतमंद इंसान हैं. फोर्ब्स के अनुसार उनकी कुल संपत्ति 39 बिलियन डॉलर है. इस सूची में दूसरे नंबर पर अजीज प्रेम जी, तीसरे पर हिन्दुजा फैमिली, चौथे पर लक्ष्मी मित्तल और पांचवें पर पी मिस्त्री हैं. जबकि इस लिस्ट में मुकेश अंबानी के छोटे भाई अनिल अंबानी 2.4 बिलियन डॉलर की संपत्ति के साथ 45वें नंबर पर हैं. अब बात करते हैं बिहार के उस शख्स की जिन्होंने संपत्ति के मामले में अनिल अंबानी को भी पीछे छोड़ दिया है.  बिहार के जहानाबाद में जन्मे संप्रदा सिंह फोर्ब्स की लिस्ट में 43वें नंबर पर हैं. फोर्ब्स के अनुसार उनकी कुल संपत्ति 3.3 बिलियन डॉलर (करीब 2 खरब 13 अरब 41 करोड़ 59 लाख रुपए) है. ...

कर्म करें फल अपने आप मिल जाएगा

Image
किसी को कुछ दीजिए या उसका किसी प्रकार का उपकार कीजिए तो बदले में उस व्यक्ति से किसी प्रकार की आशा न कीजिए। आपको जो कुछ देना हो दे दीजिए। वह हजार गुणा अधिक होकर आपके पास लौट आएगा। परन्तु आपको उसके लौटने या न लौटने की चिन्ता ही न करनी चाहिए। अपने में देने की शक्ति रखिए, देते रहिए। देकर ही फल प्राप्त कर सकेंगे। यह बात सीख लीजिए कि सारा जीवन दे रहा है। प्रकृति देने के लिए आप को बाध्य करेगी। इसलिए प्रसन्नतापूर्वक दीजिए। आज हो या कल, आपको किसी न किसी दिन त्याग करना पड़ेगा ही। जीवन में आप संचय करने के लिए आते हैं परन्तु प्रकृति आपका गला दबाकर मुट्ठी खुलवा लेती है। जो कुछ आपने ग्रहण किया है वह देना ही पड़ेगा, चाहे आपकी इच्छा हो या न हो। जैसे ही आपके मुँह से निकला कि ‘नहीं, मैं न दूँगा।’  उसी क्षण जोर का धक्का आता है। आप घायल हो जाते हैं। संसार में कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जो जीवन की लम्बी दौड़ में प्रत्येक वस्तु देने, परित्याग करने के लिए बाध्य न हो। इस नियम के प्रतिकूल आचरण करने के लिए जो जितना ही प्रयत्न करता है वह अपने आपको उतना ही दुखी अनुभव करता है। ...

100 रेपिस्ट के इंटरव्यू ने लड़की की सोंच को बदल दिया

Image
100 दोषियों के इंटरव्यू लेने के बाद पता चला कि अधिकतर लोगों को ये पता नहीं होता कि हमने रेप किया है  हमारे सामने हर रोज कोई न कोई खबर आती है जो रेप या शारीरिक शोषण से जुड़ी होती है. हमारे मन में भी तब यही सवाल आता है कि आखिर कोई ऐसी हैवानियत कैसे कर सकता है. ब्रिटेन की एंग्लिया रस्किन यूनिवर्सिटी में क्रिमिनोलॉजी की छात्रा मधुमिता पांडे ने इसी सवाल को लेकर तिहाड़ जेल में बंद 100 रेप के दोषियों से बात की. इंटरव्यू के बाद जो तथ्य सामने आए उसने मधुमिता को बलात्कारियों को लेकर दिमाग में बैठी घृणा भरी सोच को बदल कर रख दिया। वाशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, 2013 में हुए निर्भया कांड के बाद दिल्ली में पली-बढ़ी मधुमिता की अपने शहर के प्रति सोंचने का नजरिया बदल गया. उन्होंने बताया कि हम सभी के दिमाग में ये सवाल था कि जो इंसान ये सब करता है वह ऐसे घिनौने काम क्यों करता है? हम उन्हें राक्षस समझते हैं. हमें लगता है कि कोई सामान्य शख्स ऐसा कभी नहीं कर सकता. लेकिन ये गलतसोंचनाहै. मधुमिता ने बताया कि मेरे मन में भी यही सवाल था कि आखिर क्यों कोई ऐसा बन जाता है? ऐसी कौन सी परिस्थितियां होती है...

छात्र छात्राओं को अब साफ़ सुथरा और पौष्टिक भोजन मिलेगा

Image
उत्तराखंड के चार जिले देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल के सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में छात्र छात्राओं को अब अधिक साफ़ सुथरा और पौष्टिक भोजन उपलब्ध हो सकेगा और साथ ही बच्चे पठन-पाठन पर अधिक ध्यान दे सकेंगे, अब उन्हें दोपहर के भोजन को लेकर मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी। त्रिवेंद्र सरकार की मंत्रिमंडल ने इन चार जिलों में दोपहर का भोजन बनाने का जिम्मा अक्षय पात्र फाउंडेशन को सौंपा है।  बुधवार को सचिवालय में हुई त्रिवेंद्र सरकार की मंत्रिमंडल की बैठक में कई निर्णय लिए गए  । सरकार के प्रवक्ता और  कैबिनेट मंत्री  मदन कौशिक ने मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी दी । उन्होंने बताया कि दो मैदानी जिलों हरिद्वार व ऊधमसिंह नगर के साथ ही और दो जिलों में देहरादून व नैनीताल के मैदानी क्षेत्रों के विद्यालयों में मध्याह्न भोजन के लिए नई व्यवस्था पर सहमति बन गई है।  चार जिलों के कक्षा एक से आठवीं तक 3,59,435 छात्र-छात्राओं को दोपहर का भोजन स्वयंसेवी संस्था अक्षय पात्र फाउंडेशन के जरिए मुहैया कराया जाएगा। इस वक़्त संस्था वर्तमान में दोपहर का भ...

उत्तराखंड में खेती की तकदीर

Image
उत्तराखंड में 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के लक्ष्य को राज्य के धरातल पर आकर देने के लिए त्रिवेंद्र सरकार ने कवायद शुरू कर दी है। इस कड़ी में कृषि व उससे जुड़े रेखीय बिभागों को विशिष्ट कृषि उत्पादन के लिए पंचायत के साथ ही क्लस्टर दृष्टिकोण को मौजूदा प्रणाली के अनुसार अपनाने को कहा गया है। राज्य सरकार उन्नत बीज, नयी तकनीकी और खेती के लिए एक लाख तक दो फीसदी ब्याज पर ऋण समेत अन्य योजनाओं के लिए कदम उठा रही है। ये तो ठीक है लेकिन पिछले अनुभवों को देखा जाये तो इसमें बहुत सी चुनौतियां है जिसे पार करना वर्तमान सरकार के लिए आम बात नहीं है।  दरअसल देखा जाए तो विषम भूगोल वाले उत्तराखंड की परिस्थितियां बेहद जटिल है। मैदानी क्षेत्रों में खेती पर शहरीकरण की मार पड़ी है तो वहीं पर्वतीय क्षेत्रो में सुविधाओं और रोजगार के आभाव से हो रहे पलायन के कारण गांव खाली हो रहे हैं। पलायन के कारण खेती की सबसे ख़राब हालत पहाड़ में ही है। यही नहीं मौसम की खराबी, जंगली जानवरों का भय, बंजर खेत जैसे कारणों से लोगों का खेती से मोह भंग हो रहा है।  आपको बता दें कि राज्य के 95 में से 7...

उत्तराखंड में रोजाना 50 किसान खेती छोड़ रहे हैं

Image
उत्तराखंड राज्य के लिए चुनौतियाँ दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है, वर्त्तमान में एक नयी चुनौती उभरकर सामने आयी है, प्रदेश में रोजाना 50 किसान खेती छोड़कर अन्य व्यवसाय अपना रहे हैं जो राज्य के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। बीते 17 वर्षो में जब से राज्य का गठन हुआ है तब से लगभग तीन लाख लोग खेती छोड़ चुके हैं। इनमे से ज़्यादातर लोग सूबे के दुर्गम पहाड़ी जिलों से पलायन कर चुके हैं। अखिल भारतीय किसान महासभा ने एक सर्वे किया है और उन्होंने दावा किया है कि राज्य में  करीब नौ लाख परिवार ही खेती कर रहे हैं। प्रदेश में घटती खेती के पीछे इन्वेस्टमेंट की कमी को भी प्रमुख कारन माना जा रहा है पहाड़ में जोत छोटी होने के कारण खेती में निवेश नहीं हो पा रहा है और जो किसान खेती के नाम पर लोन लेते हैं उसका उपयोग वे व्यवसाय या घर बनाने में कर देते हैं।  अभी तक पूरे प्रदेश में इतने लोग खेती छोड़ चुके है  अभी तक जिलावार खेती छोड़ने वाले किसान  देहरादून में 20625  किसान,  नैनीताल में 15075  किसान,  चमोली में 18535  किसान,  ...

भगवा आतंकवाद है ? केसरीया आतंकवाद vs हरा आतंकवाद

Image
कुछ समय पहले की बात है भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संवित पात्रा ने कहा कि अगर केसरिया आतंकवाद है तो हरा भी आतंकवाद ही है और ये काफी हद तक सही भी है। कुकी हरा रंग मुस्लिम का प्रतीक माना जाता है।  आइये जानते है क्या है भगवा आतंकवाद  भगवा आतंकवाद का सबसे पहला प्रयोग अंग्रेज़ी में सन् 2002 में फ़्रंटलाईन नामक अंग्रेज़ी पत्रिका के एक लेख में गुजरात दंगे को संबोधन करने के लिए हुअा था। लेकिन इस शब्द का अधिक प्रयोग 29  सितंबर सन् 2008 के मुंबई के मालेगाँव धमाके के बाद हुआ क्योंकि जांच के सिलसिले में धमाके से संबद्धित, कथित तौर पर, एक हिन्दू संगठन से जुङे लोगों को गिरफ्तार किया गया। हालांकि इस्लामी उग्रवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन पर भी दोष आया था क्योंकि इसी इलाके में सन् 2006 के धमाके में इंडियन मुजाहिदीन का हाथ होने की आशंका थी (असल में इंडियन मुजाहिदीन उस समय 'स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट आॅफ़ इंडिया' के नाम से जाना जाता था)। लेकिन, जांच आगे बढ़ने के बाद किसी हिन्दू संगठन के शामिल होने की कथित तौर पर​ पुष्टि हो गई। शिवस...