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Showing posts from July, 2017

सोनू के बाद अब लालू का गाना छाने लगा, लालू ... तुम्हे नितीश पे भरोसा नहीं क्या?

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लालू ... तुम्हे नितीश पे भरोसा नहीं क्या... नहीं क्या ...  नितीश बात लगे गोल गोल... गोल गोल... बेटे नें कर दिया है झोल झोल... झोल झोल... पब्लिक में इतना झूठ मत बोल... मत बोल... लालू ... तुम्हे नितीश पे भरोसा नहीं क्या... नहीं क्या ... नितीश ने पत्ते दिए खोल खोल... खोल खोल... गठबंधन में है हुआ होल होल... होल होल... नितीश अब खोलेंगे पोल पोल... पोल पोल... पब्लिक में इतना झूठ मत बोल... मत बोल... लालू ... तुम्हे नितीश पे भरोसा नहीं क्या... नहीं क्या ... राहुल को लगता इसमें झोल झोल... झोल झोल... कहते इसमें मोदी का खोल खोल... खोल खोल... मेरा भी माथा गया डोल डोल... डोल डोल... पार्टी उनसे कहती राहुल मत बोल... मत बोल... लालू ... तुम्हे नितीश पे भरोसा नहीं क्या... नहीं क्या ... नहीं क्या ...नहीं क्या ...नहीं क्या ...नहीं क्या ...???? देखें ये वीडियो 

आस्था के नाम पर ये कैसा खिलवाड़

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सावन का महीना खासकर हिन्दू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण होता है ये महीना भगवान शिव के लिए सबसे ज्यादा मशहूर है। प्रत्येक वर्ष लाखों करोड़ों लोग भगवान शिव को जल चढ़ाने श्रद्धालु देश के कोने कोने से जाते हैं। उनके अंदर भोलेनाथ के प्रति अटूट विश्वास रहता है चाहे कितनी भी तकलीफ हो सब सहकर महादेव पर जल चढाते हैं। रोजाना लाखों लोग हरिद्वार के हरकी पैड़ी से जल भरकर पुरे आस्था के साथ गाजे-बाजे लेकरअपने अपने क्षेत्रों  की अोर यात्रा प्रारम्भ करते हैं और वहां स्थानीय शिवलिंग पर जल चढाकर अपने मनोवांछित फल पाते हैं।  मगर कुछ कांवड़िये ऐसे भी हैं जिन्हे आस्था से दूर-दुर तक कोइ लेना-देना नही है वे सिर्फ घुमने-फिरने और मौज-मस्ती करने आते  हैं । जिसके कारण वहां के स्थानीय लोगों से लेकर आने जाने वाले लोगों को भी बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.                                                                                                बिना सायलेंस र की बाइक  कुछ कांवरिये अपने दोपहिया वाहन साथ लाते हैं अौर उसका साइलेंसर खोलकर शोर मचाते रहते हैं जिससे शांतिपूर्ण माहौल काफी शोर-शराबे के मा

धर्म और आस्था के प्रति भ्रम को तोड़ती पी. के. की कहानी

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जिस प्रकार से देश में लोग धर्म और आस्था के नाम से लड़ते झगड़ते आ रहे हैं उसके प्रति हो रहे भ्रम को तोड़ने का काम फिल्म पी के ने किया है हालांकि धर्म के प्रति अत्यधिक आस्था होने के कारण यह फिल्म काफी सुर्खियों में रही किन्तु इन सभी मुसीबतों के बावजूद इसे रिलीज कर समाज को एक नया सच दिखाने की कोशिश की है राज कुमार हिरानी ने। फिल्म के किरदार से लेकर सभी पक्ष मजबुत दिखें, आमिर खान के अभिनय की क्या बात की जाए उन्हे इसलिए ही मिस्टर परफेक्ट कहा जाता है क्योंकि जैसा किरदार होता है आमिर उय किरदार में पूर्णरूपेण समाहित हो जाते हैं। और किरदार में आसानी से ढ़ल जाते हैं। वहीं अनुष्का शर्मा दिन प्रतिदिन नई चुनौतियों को पार कर उसे अपने रूप में और अच्छे तरीके से करने की कोशिश करती है। अब फिल्म की कहानी की बात की जाए तो यह कहानी है एक ऐसे परग्रही जीव की जो पृृथ्वी पर कुछ खोज करने आता है और किसी कारणवश उसके स्पेशशिप का रिमोट चोरी हो जाता है । उसी रिमोट को खोजने के लिए वह दर दर भटकता है। इसी बीच पी के की मुलाकात टीवी पत्रकार जग्गु (अनुष्का शर्मा) से होती है और वह पूरी कहानी जग्गु को बताता है लेक

योग है सभी रोगों का समाधान, बदलें अपनी दिनचर्या

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योग के जन्मदाता महर्षि पतंजलि ने कहा है कि " योगश्चित्तवृत्त  निरोधः "  चित्त की वृत्तियों के निरोध ही योग है। योग करने से शरीर के सब रोग ठीक हो जाते हैं। वैसे आजकल लोग प्रतिदिन योग करते है। जब से विश्व योग दिवस 21 जून को मनाया जाने लगा है तब से लोगों में योग के प्रति जागरूकता ज्यादा उत्त्पन्न हो गयी है। लोग प्रतिदिन योग करते हैं किन्तु योग करने के पूर्व कुछ ऐसे नियम होते हैं जिन्हे निरंतर पालन करना चाहिए वार्ना योग करने का पूर्णरूपेण फायदा नहीं मिल पायेगा।  प्रथम नियम है दिनचर्या  दिनचर्या  :-  सर्वप्रथम जरुरी होता है कि आपकी दिचर्या कैसी है, सुबह कितनी जल्दी उठ जाते हैं, रात में कितनी जल्दी सो जाते हैं। पुरे दिन में जो कार्य कर रहे है वह नियमित होनी चाहिए इसके साथ साथ खानपान पर भी ध्यान देना जरुरी है। जैसे सुबह खाने के साथ जूस पीना चाहिए दोपहर को छांछ एवं रात्रि में हलके भोजन के साथ दूध का सेवन करना चाहिए। यह आहार-विहार का प्रथम नियम होता है। इस पथ पर चलने से मनुष्य ज्यादा समय तक निरोग जीवन जीता है।  दिनचर्या हमें किस प्रकार अपनानी चाहिए  जल्दी उठने की आदत :

देखा है मैंने

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देखा है मैंने एक बुढ़ी आँखों को तरसते हुए. जो कही दूर से खाने की तलाश में थी. देखा है मैंने ठिठुरते हुए हाथ को. जो राह ताक रही थी एक कपड़े के लिए. देखा है मैंने भूख से बिलखते छोटे बच्चे को. जिसे तलाश है की कोई एक वक़्त का खाना दे दे. देखा है मैंने उस बेबस बाप को. जो अपना पूरा समय बेटे की आस में गुजार दिया।

भाजपा शासित राज्य के मुख्यमंत्री का ये कैसा बयान

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बीफ को लेकर भले ही पूरे देश में बवाल मचा हो. इसके कारण ही बहुत से लोग गौ रक्षकों के हत्थे चढ़ के अपने जान से हाथ धो बैठें हों। यह मामला धर्म और आस्था से बढ़कर बहुत दूर निकल गया है अब सिर्फ धर्म का मामला नही बल्कि राजनैतिक सियासी और दलगत राजनीति का मुद्दा बन गया हैै दरअसल विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन ही गोवा के मुख्यमंत्री व भारत के पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने एक बयान देते हुए कहा है कि वो गोवा में बीफ की कमी नहीं होने देंगे। चाहे इसके लिए उन्हे दूसरे राज्य से खरीदना क्यूं न पड़े। हालांकि यह बयान उन्होने एक प्रश्न के जवाब में दिया यह जवाब भाजपा विधायक नीलेश कबराल के सवाल पर दिया गया उत्तर भारत में बीजेपी गौरक्षा का खुले तौर पर समर्थन करती है और बीफ की पाबंदी चाहती है. बीते कुछ महीनों में गौरक्षा के नाम मार पीट और हत्याएं भी हुई हैं। 17 जुलाई को अलीगढ़ में हुई एक संगठन के अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया ने भीे देशभर में गौवध पर बैन लगाने की भी मांग उठाई थी पर्रिकर के इस बयान पर कांग्रेस के विधायक राजीव शुक्ला ने चुटकी लेते हुए कहा कि बीफ की आपूर्ति पर आश्वस्

बदलते दौर के साथ-साथ बदलता सोशल मीडिया का सामाजिक दायरा

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तकनीकी विकास के हर दौर में मीडिया का सत्ता और सरकार से अहम रिश्ता रहा है। भारत में अंग्रेजों के शासनकाल के समय प्रिंट मीडिया यानी प्रेस की भूमिका का जिक्र हो या अंग्रेजों के जाने के बाद दूरदर्शन और आकाशवाणी के जरिये सरकारी योजनाओं व नीतियों का प्रचार प्रसार की बात हो, मीडिया सरकार की नीतियों व योजनाओं को व्यापक लोगों तक पहुंचाने में अहम योगदान करती रही है। इसमें निजी व सरकारी दोनों ही तरह की मीडिया शामिल रही है। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक के बाद अब ऑनलाइन मीडिया ने समाज में अपनी जगह पकड़ मजबूत करनी शुरू कर दी है। इसे भारत में सोशल मीडिया के प्रसार के रूप में देखा जा सकता है। साथ ही सरकार के स्तर पर भी ऑनलाइन मीडिया खासतौर से सोशल मीडिया व नेटवर्किंग साइटों को प्रोत्साहित करने की नीति दिख रही है। भारत में मोबाइल व इंटरनेट के जरिये सोशल मीडिया की पहुंच तेजी से बढ़ रही है, लेकिन अभी भी बहुत बड़ी आबादी इस माध्यम से दूर है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक 24.3 करोड़ लोग यानि करीब 19 प्रतिशत इंटरनेट उपभोक्ता हैं, जिसमें करीब 10.6 करोड़ लोग सक्रिय उपभोक्ता हैं। यह भारत की आबादी का महज 8 फीसदी हिस्स

जयप्रकाश नारायण : एक विद्रोही

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  जयप्रकाश नारायण आधुनिक भारत के इतिहास में एक अनोखा स्थान रखते हैं  क्योंकि वह अकेले ऐसे व्यक्ति हैं जिनको देश के तीन लोकप्रिय आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लेने का अनोखा गौरव प्राप्त है। उन्होंने न केवल अपने जीवन जोखिम में डालते हुए भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान ब्रिटिश औपनिवेशिक शासकों के खिलाफ लड़ाई लड़ी, बल्कि सत्तर के दशक में भ्रष्टाचार और अधिनायकवाद के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया और इसके पहले   50   और 60 के दशकों में लगभग दस वर्षों तक भूदान आन्दोलन में भाग लेकर हृदय परिवर्तन के द्वारा बड़े पैमाने पर सामाजिक परिवर्तन लाने का कार्य भी किया।      उनका जन्म 11 अक्टूबर  1902   को बिहार के सारण जिले के सिताब दियारा गाँव में हुआ था। 1920 में 18 वर्ष की उम्र में अपनी मैट्रिक परीक्षा पूरी करने के बाद वे पटना में काम करने लगे थे। उसी वर्ष उनका विवाह प्रभावती से हुआ। राष्ट्रवादी नेता मौलाना अबुल कलाम आजाद द्वारा अंग्रेजी शिक्षा त्याग देने के आह्वान पर परीक्षा से मुश्किल से 20 दिन पहले उन्होंने पटना कॉलेज छोड़ दिया ,    और डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा स्थापित एक कॉलेज, बिहार विद्यापीठ, में

1857 के आन्दोलन में उत्तर प्रदेश का योगदान

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 देश के स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन के समय उत्तर प्रदेश को संयुक्त प्रांत कहा जाता था। देश के स्वतंत्रता आंदोलन में इस प्रांत की भूमिका काफी अहम मानी जाती है। भौगोलिक स्थिति के अनुसार उत्तर प्रदेश देश का एक मुख्य राज्य है और इसकी देश के स्वतंत्रता संग्राम में प्रमुख भूमिका रही है। 1857 का विद्रोह हो या गांधीजी के नेतृत्व में चला स्वतंत्रता संग्राम, इन आंदोलनों को  प्रदेश में भरपूर समर्थन मिला। 1857 के विद्रोह ने अंग्रेजों के मन में भय  पैदा कर दिया था। इस विद्रोह के शुरू होने के कई कारण थे। जैसा कि अंग्रेजों के द्वारा सहायक संधि प्रणाली का आरंभ करना। इस संधि के अंतर्गत राजा को अपने खर्चे पर अंग्रेजों की सेना अपने राज्य में रखनी होती थी। राज्य के दिन-प्रतिदिन के कार्य में भी सेना का हस्तक्षेप होता था। गोद प्रथा की समाप्ति ने निसंतान राजाओं को बच्चा गोद लेने की प्रथा पर रोक लगा दी थी। 1856 में अवध राज्य का धोखे से विलय होने से संबंधित अंग्रेज सरकार के कदम ने आम जनता और अन्य राजघरानों को चिंता में डाल दिया था। अंग्रेजों के द्वारा सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक क्षेत्रों में किए गए कार्यो

गरीबों के उत्थान में सहायता प्रदान करने का महान साधन है जीएसटी

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संसद के भव्‍य केंद्रीय कक्ष में वस्‍तु एवं सेवा कर के शुभारम्‍भ के लिए राष्‍ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा उद्घाटित लघु और संक्षिप्‍त वीडियो में देश के अब तक के सबसे महत्‍वपूर्ण कर सुधार के स्‍पष्‍ट उद्देश्‍य को दर्शाया गया। जीएसटी किस तरह देश के सकल घरेलू उत्‍पाद को प्रोत्‍साहन देगा और व्‍यापार एवं उद्योग के लिए जीवन आसान बनाएगा ,   इस बारे में अर्थशास्त्रियों और अन्‍य टीकाकारों द्वारा हमें जो बताया जा रहा था ,   उसके विपरीत शुभारम्‍भ के अवसर पर प्रदर्शित फिल्‍म में आधुनिक कराधान के व्‍यापक पहलु को दिखाया गया ,   जिसके केंद्र में देश की जनता विशेषकर आर्थिक रूप से वंचित लोग हैं।        30 जून की मध्‍य रात्रि को ,   जीएसटी का शुभारम्‍भ करने से पहले अपने प्रेरक भाषण में ,   प्रधानमंत्री ने जीएसटी का उल्‍लेख गरीबों ,   विशेषकर पूर्वी उत्‍तर प्रदेश और अन्‍य पूर्वी राज्‍यों तथा पूर्वोत्‍तर के गरीबों के जीवन में बदलाव लाने के साधन के तौर पर किया। प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध होने के बावजूद ,   ये राज्‍य उन संसाधनों का उपयोग अपने विकास के ल