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बिहार की प्रचलित कुप्रथा 'पकड़ौआ विवाह' के पीछे की वजह और सच्चाई

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पकड़ौआ विवाह खासकर बिहार राज्य में प्रचलित एक कुप्रथा है। इसमें शादी योग्य लड़के को घर या उनके कार्यस्थल से अपहरण कर तय जगह पर ले जाते हैं और जितनी जल्दी (25-30 मिनट) में शादी कर देते हैं। शादी के लिए नहीं मानने पर लड़के के साथ मारपीट की जाती है। गोली मारने की धमकी दी जाती है। हथियार से आतंकित कर जबरदस्ती लड़की की मांग में सिंदूर डलवाया जाता है। क्यों:- इसके पीछे बड़ी वजह दहेज था। ज्यादा दहेज देने से सक्षम न होने के कारण गांव के लोग अपने जानने वालों से पता कर एक लड़के का चुनाव करते थे। जो ढंग का कमाता हो या जमीन-जयदाद ज्यादा हो। खेती बाड़ी खुद संभालता हो। उसके पीछे काफी मेहनत करते थे। जैसे- बार बार जाकर लड़के के पिता को कहना कि आपके लिए हमने एक लड़की देखी है अगर कहो तो आपके बेटे की शादी करवा देता हूं, लड़की अच्छी है। अगर नहीं माने तो फिर हंसी मजाक में कह देते थे कि आपके लड़के को उठवा लूंगा। इसके बाद वो तैयारी करना शुरू कर देते थे। मौका मिलते ही लड़के को हथियार के बल पर और दबंगों की सहायता से उठवा लिया जाता था। शादी के बाद:- शादी के बाद लड़का कहता है कि मैं फांसी पर चढ़ गया। अब लड़की और लड़के के गांव...

हैलो भाइयों बहनों, नमस्कार, मैं इरफ़ान आज आपके साथ हूँ भी और नहीं भी...

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कई बार कुछ कलाकार हीरोगीरी वाली लाइन पार करके आपके दिल में उतर जाते हैं. इतना उतर जाते हैं कि आप उनके डायलॉग रोजाना अपनी भाषा में इस्तेमाल करने लगते हैं और इरफ़ान हमारे लिए तुम वही थे. दुनिया के लिए रहे होंगे बहुत बड़े अभिनेता जिसने हॉलीवुड की फिल्मों में भी काम किया था लेकिन मेरे लिए "पान सिंह तोमर" के सूबेदार चचा थे. वही सूबेदार चचा जो कहते हैं कि "अंग्रेज भगे मुल्क से, पंडिज्जी परधानमंत्री बने और नव भारत के निर्माण के संगे-संगे हमाओ भी निर्माण शुरू भओ". आज सूबेदार चचा चले गए तो उनका ही एक डायलॉग याद रह गया जिसमे वो कहते हैं कि "जे बात को जवाब कौन देगा दद्दा, हम ऊपर आकर भी जवाब लेंगे". तुम वही कहते थे जो हमें सुनना था- तुम्हारे डायलॉग बर्फ की पहाड़ियों में खड़े किसी अभिनेत्री के साथ नहीं थे. बल्कि बीहड़ में घूम रहे एक बागी के डायलॉग थे जिन्हे सुनकर लगता था यार क्या ही बोल गया. ये तो मतलब मजा आ गया. चाहे बात हासिल के रणविजय सिंह की हो या फिर हिंदी मीडियम में साडी बेच रहे उस दुकानदार की, हर बार तुमने दिल जीता है. अब तुम्हारे चले जाने पर तरह-तरह के बयान आएँगे। ल...

दीपिका के JNU जाने पर मीडिया में क्यों मचा है बवाल?

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वरुण ग्रोवर ने सही कहा था। मीडिया बारूद और माचिस भी देती है। जरूरत पड़े तो आग भी लगाती है। आग लगने के बाद लोगों दिखाती भी है कि ये देखो हमारे देश में क्या हो रहा है। कल शाम जब से दीपिका JNU गई है तब से तथाकथित और SO CALLED पत्रकार फ़ेसबुक और ट्विटर पर शोर मचाए हुए हैं। कैसे पत्रकार हो बे...अगर तुम्हें क्रांति करनी है तो तुम भी जाकर छात्रों की तरह विरोध करो। लेकिन सोशल मिडिया पर आकर किसी को सपोर्ट और विरोध करना है तो मुख्यधारा में उतर जाओ लेकिन पत्रकार होने का ढोंग मत करो। पत्रकारिता समाज का आईना है और आईने में तुमने पहले ही प्रतिबिंब बना लिया है। तुमने वही भेड़ चाल को अपना लिया है जहां सभी जा रहे हैं। तब तुममें और आम आदमी में कोई अंतर नहीं है। तुमने दिमाग में बना लिया कि दीपिका का विरोध करना चाहिए या किसी द्वारा कह दिया गया कि सोशल मीडिया पर विरोध करो। तुम आंख मूंदकर उसी रास्ते पर चल पड़े। मुझे ये समझ मे नहीं आया कि दीपिका का विरोध किस बात पर किया जा रहा है। इसीलिए कि वो JNU गई? या छात्रों के विरोध में शामिल हुई? क्या किसी ने दीपिका को एक भी शब्द कहते सुना? नहीं न...

मशहूर गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का पटना के PMCH में निधन

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आज मशहूर गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का पटना के PMCH में निधन हो गया। 74 साल की ज़िंदगी में 44 साल तक वो मानसिक बीमारी सिजेफ्रेनिया से पीड़ित रहे। कहते हैं शुरुआती सालों में अगर गणितज्ञ की सरकारी उपेक्षा नहीं हुई होती तो आज वशिष्ठ नारायण सिंह का नाम दुनिया के महानतम गणितज्ञों में सबसे ऊपर होता। वशिष्ठ नारायण सिंह वशिष्ठ नारायण सिंह एक ऐसे गणितज्ञ थे जिन्होंने कई बार विश्व पटल पर गणितज्ञ का लोहा मनवाया था। इन्होंने ही आंइस्टीन के सापेक्ष सिद्धांत को चुनौती दी थी। उनके बारे में मशहूर है कि नासा में अपोलो की लांचिंग से पहले जब 31 कंप्यूटर कुछ समय के लिए बंद हो गए तो कंप्यूटर ठीक होने पर उनका और कंप्यूटर्स का कैलकुलेशन एक था। 1969 में उन्होंने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से पीएचडी की और वॉशिंगटन विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर बन गए। नासा में भी उन्होंने काम किया। भारत लौटने के बाद आईआईटी कानपुर, आईआईटी बंबई और आईएसआई कोलकाता में अपनी सेवा दी थी। उन्होंने साईकल वेक्टर स्पेस थ्योरी पर शोध किया। पिछले दिनों जब पटना के अस्पताल में भर्ती हुए थे तब सभी ने उनके स्वास्थ्य लाभ की कामना की थी। सभी ...

हिंदुओं की आस्था का संगम और संतों का समागम है कुंभ मेला

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आध्यात्मिक देश होने के कारण भारत में कई धार्मिक यज्ञ, मेला आदि समय समय पर आयोजित होते रहते हैं। कुंभ मेला भी आध्यात्मिक मेला है, जहाँ विधि- विधान के साथ पूजा पाठ, यज्ञ आदि होता है। ऐसा माना जाता है कि कुंभ  मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और वो जीवन- मरण के चक्र से मुक्त हो जाते हैं। दिसंबर 2017 में यूनेस्को ने भारत मे आयोजित इस मेले को ‘इनटैन्जिबल कल्चर हेरिटेज ऑफ़ ह्यूमैनिटी लिस्ट’ में शामिल किया है। इस तरह से यह मेला एक वैश्विक स्तर का आयोजन बन गया है। सनातन धर्म में कुंभ मेले का अपना आध्यात्मिक महत्व है। सदियों से कुंभ  के मेले में स्नान की प्रथा चली आ रही है। सनातन धर्म के अनुसार मनुष्य की मृत्यु के बाद उसका पुनर्जन्म होता है। ऐसा माना जाता है कि कुंभ मेले में स्नान करने वाले व्यक्ति जन्म बंधन से मुक्त होकर परमात्मा को प्राप्त कर लेता है। इस मेले में एक साथ असंख्य हिंदू श्रद्धालु एक स्थान पर आ पाते हैं। विभिन्न तरह के साधु, सिद्ध पुरुष, विद्वान और पंडित इस मेले में आकर पूजा पाठ, यज्ञ आदि का आयोजन करते हैं। इस मेले में शामिल होकर आध्यात्मिक ज्ञ...

बिगबॉस-12 की कुछ यादें जो कभी भुलाई नहीं जा सकती!

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आखिर वो 106 दिन का सफर एक विनर के साथ समाप्त हो गया। कई लोग सपने लेकर किस्मत आजमाने आए। कुछेक का सपना टूटता चला गया। वे घर से बेघर होते चले गए। इन सब के बीच हम जैसे दर्शक जो बड़ी शिद्दत से व्यस्त समय से एक घंटा निकाल लेते थे। कुछ ग्रुप में गॉशिप भी कर लेते थे। इसकी आदत बन गयी थी। लगता था हमारी दिनचर्या में एक काम ये भी शामिल है। रात के 12 बजे या एक बजे ऑफिस से आने के बाद पहला काम इस शो को देखना ही था। कुछ प्रतिभागी फेवरेट थे जैसे शिवशीष, रोमिल, सोमी, नेहा पेडसे, सृष्टि, श्रीशांत, दीपक, सुरभी, करणवीर और दीपिका। इन सब में कुछ का सफर जल्द ही समाप्त हो गया लेकिन छोटे शहर से आये लोगों ने सब के दिलों पर राज किया। सुरभी :- हिमाचल प्रदेश की लड़की जिसने सभी टास्क में योगदान दिया। 5 बार कैप्टन रही। एक बार नॉमिनेट हुई वो भी श्रीशांत ने किया था। टिकट टू फिनाले जीत चुकी थी। इतनी उपलब्धि के बाद 15 वें हफ्ते घर से बाहर हो जाना दर्शकों के लिए निराशाजनक था। रोमिल :- हरियाणा के रोहतक जिले के वकील बाबू के अंदर काफी जज्बा था। काफी दमखम रखते थे। लेकिन कमी एक ही थी उनके लिए कई बार मु...

जब पटना के छात्रों ने कोचिंग संस्थान के शिक्षकों के खिलाफ आवाज उठाई थी

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हर कोई उच्च शिक्षा पाने के लिए शहर की ओर रुख करता है। बिहार के छात्र भी 10वीं पास कर आंख में इंजीनियर या डॉक्टर बनने का सपना लेकर राजधानी पटना की ओर रुख करते हैं। यहां कोचिंग संस्थान में एडमिशन लेकर जीतोड़ पढ़ाई करते हैं। बड़ी संख्या में छात्र होने के बाद कोचिंग सेंटर वाले भी मनमानी पर उतारू हो जाते हैं। आखिर कब तक छात्र इनकी मनमानी सहते। एक कहावत है स्प्रिंग को जितना दबाओगे छोड़ने पर वह तेज गति से उछलती है। इसका उदाहरण वर्ष 2010 में देखने को मिला जब एक संस्थान में गार्ड की बंदूक से एक छात्र को गोली लग गयी और उपचार के दौरान उसकी मौत हो गयी। छात्रों के आक्रोश ने काफी तबाही मचाई थी। प्रतीकात्मक तस्वीर बात उन दिनों की है जब बिहार में शिक्षकों के खिलाफ छात्रों ने आवाज उठाई थी। पटना के अधिकांश कोचिंग में छात्रों द्वारा उत्पात मचाया जा रहा था। सभी शिक्षक अपने संस्थानों को बंद कर छात्रों को पढ़ाने से इन्कार कर चुके थे। छात्रों का इतना उग्र रूप जयप्रकाश नारायण के आंदोलन के बाद बिहार की राजधानी में पहली बार देखने को मिल रहा था। छात्रों के उग्र रूप की शुरुआत एक कोचिंग संस्थान से हुई। किस...

कोलकाता का ऐसा बाजार जहां नुमाइंदगी होती है जिस्म की

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उतनी गिनती भी नही आती, जितने लोग मेरे उपर चढ़ जाते हैं। मेरी चादर के फूल भी शर्म से लाल हो जाती है। बस एक चीज लाल नहीं होती...मेरी मांग! मुझे सोनागाछी में सस्ते पाउडर लिपिस्टिक की पर्तों में छुपी ज़िंदा लाशों का क्रंदन इस क़दर सुनाई देता है। लगता है, जैसे पूरा सोनागाछी एक श्मशान है ,जहाँ हर कदम एक लाश जल रही है या दफ़न हो रही है।  यहाँ लड़की जैसे ही अपनी दैनिक वृत्तियों को लेकर आत्मनिर्भर हो जाती है यानी फौरन औरत बन जाती है। माहवारी शुरू होने के पहले ही उसे ग्राहक को रिझाने औऱ देर तक उसे यौन के संलिप्त रखने के गुर सीख लेना ज़रूरी होता है क्योंकि कच्ची कली के पहली बार खिलने की खुशबू इस क़दर हमारे देश के कामुक पुरुषों को मतवाला करती है। जब यहाँ किसी लड़की का ज़िस्म पहली बार मंडी में उतरता है तो उसके ख़ैरख्वाहों और दलालों को तगड़ी रक़म ग्राहक से मिलती है।  बाक़ायदा लड़कियाँ बॉलीवुड के सस्ते आयटम गानों पर भड़काऊ ढंग से नाचना सीखती हैं। शाम होते ही उनकी नुमाइश शुरू हो जाती है और रात गुजरते हुए ये लड़कियां या अपना जिस्म हारती है या ज़िन्दगी की दौड़ में रोटी हार जाती है। पश्चिम बंगाल...

मेरठी हैं कूल डूड : टी शर्ट दिवस पर विशेष

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मेरठ के लोगों में स्वैग काफी होता है। वे खुद को कूल दिखाना पसंद करते हैं। अगर आपके टी शर्ट पर जाट, गुर्जर या सख्त लौंडा लिखा हो तो लोगों का ध्यान खुद ब खुद चला जाता है। 21 जून को टी शर्ट डे है। आइये जानते हैं मेरठ में टी शर्ट के चलन के बारे में... मेरठ शहर खास तौर पर स्पोर्ट्स और कैंची के लिए मशहूर है। इसके अलावा यहां स्पोर्ट्स वियर काफी मशहूर है। खेल से संबंधित कपड़ो की डिमांड देश ही नहीं विदेशों में भी है। मेरठ की धरती से ढेरों फैशन के चलन निकले हैं। आजकल के युवा टी शर्ट पहन कर कूल दिखने की कोशिश करते हैं और उन्हें कूल लगने के लिए बाजार में कई तरह के टी शर्ट्स उपलब्ध है जैसे जाट व गुर्जर समेत अन्य टीशर्ट्स लोग काफी पसंद कर रहे हैं। योग टी शर्ट की बढ़ रही डिमांड 21 जून को विश्व योग दिवस है इसे लेकर लोगों में काफी उत्साह है। इसे देखते हुए लोगों में योग से संबंधित टी शर्ट की डिमांड काफी बढ़ गयी है। टी शर्ट पर लिखे योगस्य चित्त वृति निरोध:, करो योग रहो निरोग के अलावा योगासन व संस्कृत के श्लोक  छपे टी शर्ट्स लोगों ने पहनने शुरू कर दिए हैं। मोदी-योगी की बढ़ी डिमांड युव...

क्या एक संपादक और एक जवान के मारने से अल्लाह खुश हो गया?

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14 जून 2018 की शाम अचानक मेरे फ़ोन पर एक अलर्ट आया। उस वक़्त मैं अपने ऑफिस में खबरों के साथ आंख मिचौली खेल रहा था यानी संपादन कर रहा था। फ़ोन उठा कर देखा तो बीबीसी का अलर्ट था। लिखा था कि कश्मीर के वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुखारी पर हुआ हमला, हालत गंभीर। उस वक़्त तो सिर्फ देखकर रह गया। थोड़ी देर में वाट्सएप पर अनगिनत मैसेज आने शुरू हो गए। एक मैसेज खोल कर देखा तब पता चला कि शुजात बुखारी की मौत हो चुकी है। शुजात बुखारी की हत्या आने वाले दिनों के लिए एक खतरनाक संकेत है। ये डरावने सिलसिले की एक कड़ी लगती है। इस कत्ल की निंदा और भर्त्सना के लिए सही शब्द नहीं मिल रहे हैं। क्या गलती थी उस संपादक की आखिर क्या गलती थी उस संपादक की जो थोड़ी देर पहले इफ्तार के लिए जा रहा था। क्या वे काफिर थे या यूं कहें तो वे आतंकवादियों की नजर में गुनाहगार थे। इन्हें मारने से अल्लाह खुश हो गया। कहा जाता है कि रमजान के पाक महीने में रोजा रखने से इंसान के ईमान में बरक्कत आती है। क्या यही बरक्कत दी थी आतंकवादियों को अल्लाह ने? कहा जाता है कि शुजात बुखारी कश्मीर में अमन और शांति चाहते थे। वे धारा 370 के समर्थक भी थे।...

खैनी...बिहार की पहचान : यहां लोगों का स्वागत स्वैग से नहीं खैनी से होता है

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एक पंडितजी रास्ते से जा रहे थे तभी सामने से आवाज आई अरे पंडितजी कहां जा रहे हैं खैनिया त खा के जाईं। पंडितजी तुनककर बोले... अरे भक मर्दे अभी जजमानी में दसो रुपिया नहीं हुआ है, आ सूरज भी माथा पर चढ़ आया है। का करें खैनी खा के, घर जाएंगे त मेहरारू फिर से चिल्लाएगी... कि आ गए खाली हाथ, कइसे जजमानी करते हैं कि दस गो रुपिया नहीं जुड़ता है आपसे। इतना बोलते ही शर्मा जी बोले.. अरे ऊ सब छोड़िये गुस्सा पहिले खटिया पर बईठीये। का बइठे शर्मा जी बहुते परेशान हैं बेटा नालायक निकल गया है। ससुरा दिल्ली कमाने चला गया अउर जब से शादी किया है तब से पईसे नहीं भेजता है। तभी शर्मा जी बोले अरे ऊ सब छोड़िये लीजिये ई चिनउटी आ खैनी बनाइये। शर्मा जी ने अपने बेटे को आवाज लगाई अरे जित्तन जरा एक लोटा पानी लेते आना अउर देखो त का बनाई है तोहर माई। ई लीजिये पंडित जी पानी पीजिये। अउर खाना भी आ रहा है अभी जित्तना के माई ले के आती ही होगी। जित्तन की माँ खाना लेते हुए आयी अउर बोली...गोर लागी पंडित जी ई ली खाना खायीं । पंडित जी बोले...जियत रहीं भगवान अईसे ही भंडार भरल रखे। अउर सब कुशल मंगल है न घर में। जीपंडितजी। जाईं क...

सुलग रहे हैं उत्तराखंड के जंगल, कैसे बचेंगे जान-माल

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उत्तराखंड के जंगल में लगी भीषण आग वर्षों से उपेक्षित रहे राज्य उत्तराखंड में काफी समस्या है। यहां  शिक्षा, स्वास्थ्य व बेरोजगारी के साथ संसाधनों की कमी के कारण लोग पलायन करने को मजबूर हैं। इसके साथ हरेक साल जंगलों में आग लग जाने के कारण यह समस्या बन गयी है।  छह राष्ट्रीय पार्क, सात अभयारण्य और चार कंजर्वेशन रिजर्व वाला उत्तराखंड इन दिनों जंगलों की आग से हलकान है। 71 फीसद वन भूभाग वाले राज्य में जंगल सुलग रहे हैं। इससे वन संपदा को तो खासा नुकसान पहुंच ही रहा है साथ ही बेजुबान जानवर भी अपनी जान बचाने को इधर-उधर भटक रहे हैं। यही नहीं, वन्यजीवों के आबादी के नजदीक आने से मानव और इनके बीच संघर्ष तेज होने की आशंका से भी इन्कार नहीं किया जा सकता। ऐसे में जंगल की दहलीज पार करते ही उनके शिकार की भी आशंका है। जंगल में लगी आग के कारण वन्यजीव ग्रामीण क्षेत्रों में आ रहे हैं और इससे आम लोगों के सुरक्षा के साथ वन्यजीव की सुरक्षा भी सूबे की अहम समस्या बन गयी है। हालांकि राज्य सरकार का दावा है कि राज्यभर में गांवों, शहरों से लगी वन सीमा पर चौकसी बढ़ा दी गई है। साथ ही जंगल में वन्यजीव...

दौलत के मामले में अनिल अंबानी से भी अमीर है बिहार का यह शख्स

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पिछले दिनों मशहूर पत्रिका फोर्ब्स ने भारत के 100 सबसे धनी लोगों की सूची जारी की थी. 60 वर्षीय मुकेश अंबानी फिर से भारत के सबसे दौलतमंद इंसान हैं. आपसे देश के सबसे अमीर व्यक्ति की बात की जाएं तो फट से मुकेश अंबानी का नाम बता देंगे. जी हां आप बिल्कुल सही हैं. पिछले दिनों मशहूर पत्रिका फोर्ब्स ने भारत के 100 सबसे धनी लोगों की सूची जारी की थी.  60 वर्षीय मुकेश अंबानी फिर से भारत के सबसे दौलतमंद इंसान हैं. फोर्ब्स के अनुसार उनकी कुल संपत्ति 39 बिलियन डॉलर है. इस सूची में दूसरे नंबर पर अजीज प्रेम जी, तीसरे पर हिन्दुजा फैमिली, चौथे पर लक्ष्मी मित्तल और पांचवें पर पी मिस्त्री हैं. जबकि इस लिस्ट में मुकेश अंबानी के छोटे भाई अनिल अंबानी 2.4 बिलियन डॉलर की संपत्ति के साथ 45वें नंबर पर हैं. अब बात करते हैं बिहार के उस शख्स की जिन्होंने संपत्ति के मामले में अनिल अंबानी को भी पीछे छोड़ दिया है.  बिहार के जहानाबाद में जन्मे संप्रदा सिंह फोर्ब्स की लिस्ट में 43वें नंबर पर हैं. फोर्ब्स के अनुसार उनकी कुल संपत्ति 3.3 बिलियन डॉलर (करीब 2 खरब 13 अरब 41 करोड़ 59 लाख रुपए) है. ...

100 रेपिस्ट के इंटरव्यू ने लड़की की सोंच को बदल दिया

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100 दोषियों के इंटरव्यू लेने के बाद पता चला कि अधिकतर लोगों को ये पता नहीं होता कि हमने रेप किया है  हमारे सामने हर रोज कोई न कोई खबर आती है जो रेप या शारीरिक शोषण से जुड़ी होती है. हमारे मन में भी तब यही सवाल आता है कि आखिर कोई ऐसी हैवानियत कैसे कर सकता है. ब्रिटेन की एंग्लिया रस्किन यूनिवर्सिटी में क्रिमिनोलॉजी की छात्रा मधुमिता पांडे ने इसी सवाल को लेकर तिहाड़ जेल में बंद 100 रेप के दोषियों से बात की. इंटरव्यू के बाद जो तथ्य सामने आए उसने मधुमिता को बलात्कारियों को लेकर दिमाग में बैठी घृणा भरी सोच को बदल कर रख दिया। वाशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, 2013 में हुए निर्भया कांड के बाद दिल्ली में पली-बढ़ी मधुमिता की अपने शहर के प्रति सोंचने का नजरिया बदल गया. उन्होंने बताया कि हम सभी के दिमाग में ये सवाल था कि जो इंसान ये सब करता है वह ऐसे घिनौने काम क्यों करता है? हम उन्हें राक्षस समझते हैं. हमें लगता है कि कोई सामान्य शख्स ऐसा कभी नहीं कर सकता. लेकिन ये गलतसोंचनाहै. मधुमिता ने बताया कि मेरे मन में भी यही सवाल था कि आखिर क्यों कोई ऐसा बन जाता है? ऐसी कौन सी परिस्थितियां होती है...

सड़क दुर्घटनाओं में हर 3 मिनट में एक मौत हो जाती है

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महानगर में रहने वाले ज्यादातर लोगों को ऑफिस से घर जाने में करीब घंटा भर या उससे ज्यादा समय लग जाता है. जरा सोच कर देखिए जितनी देर में आप ऑफिस से घर पहुंते हैं, उतनी ही देर में 17 लोग देश की खूनी सड़कों की भेंट चढ़ जाते हैं.  जी हां, ये सुनने में डरावना लगता है, मगर बिल्कुल सच है. सड़क परिवहन मंत्रालय ने सड़क दुर्घटनाओं की जो रिपोर्ट जारी की है उसके आंकड़ें इस बात की पुष्टि करते हैं.  आंकड़ों के मुताबिक, साल 2016 में 1,50,785 लोगों की सड़क दुर्घटनाओं में मौत हुई. जबकि घायल होने वालों की संख्या करीब पांच लाख थी. अधिकतर हादसे की वजह मोबाइल को बताया जा रहा है, मोबाइल के कारण  सड़क पर हर 3 मिनट में एक मौत हो जाती है, जबकि समय समय पर निर्देश दिए जाने के बावजूद लोग इसपर अमल नहीं कर रहे हैं  आंकड़ों के मुताबिक  हर दिन 413 मौत हो रही है    रिपोर्ट के मुताबिक देश में हर दिन 1317 सड़क दुर्घटनाएं होती हैं. इन हादसों में हर दिन 413 लोगों की मौत होती हैं. जबकि हर घंटे की बात की जाए तो मरने वालों की संख्या 17 है. 46 फीसदी युवा मरते हैं  सड़...

भगवा आतंकवाद है ? केसरीया आतंकवाद vs हरा आतंकवाद

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कुछ समय पहले की बात है भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संवित पात्रा ने कहा कि अगर केसरिया आतंकवाद है तो हरा भी आतंकवाद ही है और ये काफी हद तक सही भी है। कुकी हरा रंग मुस्लिम का प्रतीक माना जाता है।  आइये जानते है क्या है भगवा आतंकवाद  भगवा आतंकवाद का सबसे पहला प्रयोग अंग्रेज़ी में सन् 2002 में फ़्रंटलाईन नामक अंग्रेज़ी पत्रिका के एक लेख में गुजरात दंगे को संबोधन करने के लिए हुअा था। लेकिन इस शब्द का अधिक प्रयोग 29  सितंबर सन् 2008 के मुंबई के मालेगाँव धमाके के बाद हुआ क्योंकि जांच के सिलसिले में धमाके से संबद्धित, कथित तौर पर, एक हिन्दू संगठन से जुङे लोगों को गिरफ्तार किया गया। हालांकि इस्लामी उग्रवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन पर भी दोष आया था क्योंकि इसी इलाके में सन् 2006 के धमाके में इंडियन मुजाहिदीन का हाथ होने की आशंका थी (असल में इंडियन मुजाहिदीन उस समय 'स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट आॅफ़ इंडिया' के नाम से जाना जाता था)। लेकिन, जांच आगे बढ़ने के बाद किसी हिन्दू संगठन के शामिल होने की कथित तौर पर​ पुष्टि हो गई। शिवस...