खैनी...बिहार की पहचान : यहां लोगों का स्वागत स्वैग से नहीं खैनी से होता है


एक पंडितजी रास्ते से जा रहे थे तभी सामने से आवाज आई अरे पंडितजी कहां जा रहे हैं खैनिया त खा के जाईं। पंडितजी तुनककर बोले... अरे भक मर्दे अभी जजमानी में दसो रुपिया नहीं हुआ है, आ सूरज भी माथा पर चढ़ आया है। का करें खैनी खा के, घर जाएंगे त मेहरारू फिर से चिल्लाएगी... कि आ गए खाली हाथ, कइसे जजमानी करते हैं कि दस गो रुपिया नहीं जुड़ता है आपसे। इतना बोलते ही शर्मा जी बोले.. अरे ऊ सब छोड़िये गुस्सा पहिले खटिया पर बईठीये। का बइठे शर्मा जी बहुते परेशान हैं बेटा नालायक निकल गया है। ससुरा दिल्ली कमाने चला गया अउर जब से शादी किया है तब से पईसे नहीं भेजता है। तभी शर्मा जी बोले अरे ऊ सब छोड़िये लीजिये ई चिनउटी आ खैनी बनाइये। शर्मा जी ने अपने बेटे को आवाज लगाई अरे जित्तन जरा एक लोटा पानी लेते आना अउर देखो त का बनाई है तोहर माई। ई लीजिये पंडित जी पानी पीजिये। अउर खाना भी आ रहा है अभी जित्तना के माई ले के आती ही होगी। जित्तन की माँ खाना लेते हुए आयी अउर बोली...गोर लागी पंडित जी ई ली खाना खायीं । पंडित जी बोले...जियत रहीं भगवान अईसे ही भंडार भरल रखे। अउर सब कुशल मंगल है न घर में। जीपंडितजी।
जाईं कल पर गोर हाथ धो लीं... अरे जित्तन कल चला कर पंडित जी के गोर हाथ धोवा दे। ठीक है माई...। पंडित जी खैनी शर्मा जी को पकड़ाते बोले लीं शर्मा जी खुदे खा लीं। हम भोजन कर के आ रहे हैं। पंडित जी गोर हाथ धो के खाना खाने बैठ गए। अउर बेचारे शर्मा जी को आधी चुनियाई खैनी खाने को मजबूर होना पड़ा। खाना खाने के बाद पंडित जी गमछे में हाथ पोछते हुए बोले शर्मा जी अब चिनौटी दीजिये जरा हम भी खैनी खा लें। शर्मा जी चिनौटी देते हुए बोले पहिले आधा बना हुआ खैनी खिलाये न पंडित जी उससे मुँह तीत(कड़वा) हो गया। ई बार ठीक से बनाइयेगा। ठीक है अईसा रगड़ेंगे न कि मिजाज झनझना जाएगा।

तभी जित्तन के माई शर्मा जी से बोली... एजी सुनिए न बहु के गौना के तारीख निकलवा लीजिये। केतना दिन रहेगी नईहर में। शर्मा जी बोले... ई बात त ठीके याद करा दी हो। आ पंडित जी पत्तरा है का ऊ पुतोह के गौना करना है दिन देख देते त ठीके रहता। जा के जित्तन ले आता पुतोह के। पंडित जी खैनी रगड़ते हुए बोले... है न पत्तरा बस खैनिया खा के कोई अच्छा दिन बता देते हैं। खैनी खा के पंडित जी हाथ झाड़ते हुए अपनी झोली से पोथी-पत्तरा निकले अउर काफी देख सुन करने के बाद बोले जजमान अभी खरमास चल रहा है त अगला महीना के 21 तारीख ठीक रहेगा गौना के लिए...ठीक है। शर्मा जी खुश होकर 21 रुपया देते हुए बोले ई लीजिये पंडित जी रख लीजिए। पंडित जी बोले अरे...अरे इसकी तकलीफ काहे कर रहे हैं जजमान। शर्मा जी पैसा हाथ में थामते हुए बोले रख लीजिए पंडित जी पुतोह के आवे का अच्छा दिन निकले हैं अउर पुतोह जब आ जायेगी तब अउर देंगे, अभी एतना ही रखिए।

पंडित जी भी हँसी खुशी रुपया लेकर जेब में रखते हुए बोले ई खैनी के जरूर हम याद रखेंगे। अच्छा हम चलते हैं राम राम। शर्मा जी भी विदा करते हुए बोले ठीक है राम राम पंडित जी।

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