क्या एक संपादक और एक जवान के मारने से अल्लाह खुश हो गया?

14 जून 2018 की शाम अचानक मेरे फ़ोन पर एक अलर्ट आया। उस वक़्त मैं अपने ऑफिस में खबरों के साथ आंख मिचौली खेल रहा था यानी संपादन कर रहा था। फ़ोन उठा कर देखा तो बीबीसी का अलर्ट था। लिखा था कि कश्मीर के वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुखारी पर हुआ हमला, हालत गंभीर। उस वक़्त तो सिर्फ देखकर रह गया। थोड़ी देर में वाट्सएप पर अनगिनत मैसेज आने शुरू हो गए। एक मैसेज खोल कर देखा तब पता चला कि शुजात बुखारी की मौत हो चुकी है। शुजात बुखारी की हत्या आने वाले दिनों के लिए एक खतरनाक संकेत है। ये डरावने सिलसिले की एक कड़ी लगती है। इस कत्ल की निंदा और भर्त्सना के लिए सही शब्द नहीं मिल रहे हैं।

क्या गलती थी उस संपादक की
आखिर क्या गलती थी उस संपादक की जो थोड़ी देर पहले इफ्तार के लिए जा रहा था। क्या वे काफिर थे या यूं कहें तो वे आतंकवादियों की नजर में गुनाहगार थे। इन्हें मारने से अल्लाह खुश हो गया। कहा जाता है कि रमजान के पाक महीने में रोजा रखने से इंसान के ईमान में बरक्कत आती है। क्या यही बरक्कत दी थी आतंकवादियों को अल्लाह ने?
कहा जाता है कि शुजात बुखारी कश्मीर में अमन और शांति चाहते थे। वे धारा 370 के समर्थक भी थे। जो व्यक्ति अलगाववादी और पत्थरबाज के समर्थक थे आखिर कैसे आतंकवादी के निशाने पर आ गए यह एक विचारणीय प्रश्न है।
इसके अलावा एक और देश का सपूत, भारतीय सेना का जवान औरंगजेब सूली पर चढ़ा दिया गया। वह ईद की छुट्टी मनाने अपने घर जा रहा था, लेकिन रास्ते से ही उसे अगवा कर लिया गया और देर रात गोलियों से छलनी शव गुस्सू में मिला।

ईद से पहले औरंगजेब की हत्या
जम्मू-कश्मीर में ईद से ठीक पहले आतंकवादियों ने कत्लेआम कर दिया है। रमजान के पाक माह में आतंकियों ने अगवा किए गए जवान औरंगजेब की हत्या कर दी। ईद की छुट्टी मनाने घर जा रहे औरंगजेब को आतंकवादियों गुरुवार दोपहर को अगवा किया था। देर रात गोलियों से छलनी जवान का शव पुलवामा जिले के गुस्सू इलाके में मिला।

पुंछ जिले के सेना में रायफलमैन औरंगजेब को गुरुवार को आतंकियों ने अगवा कर लिया था। बताया जा रहा है कि आतंकी समीर टाइगर के खिलाफ सेना ने जो ऑपरेशन चलाया था, उस ऑपरेशन में औरंगजेब मेजर शुक्ला के साथ थे। औरंगजेब की पोस्टिंग 44RR शादीमार्ग में थी, वह पुंछ के ही रहने वाले थे। जिस दौरान वह घर जा रहे थे, तभी मुगल रोड पर उन्हें आतंकियों ने सुबह करीब 9 बजे किडनैप कर लिया था।

बताया जा रहा है कि औरंगजेब सुबह नौ बजे एक प्राइवेट व्हीकल से शोपियां की तरफ आ रहे थे। तभी कलमपोरा के पास आतंकियों ने वाहन को रुकवाया और उन्हें अगवा कर लिया।

ईद जैसे पाक मौके पर दोनों घटनाओं ने लोगों को अंदर तक झकझोड़ दिया है। कुछ लोग राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए अलगाववादी का भी साथ देते हैं और इस तरह की घटनाओं में भी सांत्वना देते हैं। ऐसे लोग कभी किसी का साथ नही दे सकते। इन्हें सिर्फ लोगों को भड़काना आता है।

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