छात्र छात्राओं को अब साफ़ सुथरा और पौष्टिक भोजन मिलेगा

उत्तराखंड के चार जिले देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल के सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में छात्र छात्राओं को अब अधिक साफ़ सुथरा और पौष्टिक भोजन उपलब्ध हो सकेगा और साथ ही बच्चे पठन-पाठन पर अधिक ध्यान दे सकेंगे, अब उन्हें दोपहर के भोजन को लेकर मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी। त्रिवेंद्र सरकार की मंत्रिमंडल ने इन चार जिलों में दोपहर का भोजन बनाने का जिम्मा अक्षय पात्र फाउंडेशन को सौंपा है। बुधवार को सचिवालय में हुई त्रिवेंद्र सरकार की मंत्रिमंडल की बैठक में कई निर्णय लिए गए । सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी दी । उन्होंने बताया कि दो मैदानी जिलों हरिद्वार व ऊधमसिंह नगर के साथ ही और दो जिलों में देहरादून व नैनीताल के मैदानी क्षेत्रों के विद्यालयों में मध्याह्न भोजन के लिए नई व्यवस्था पर सहमति बन गई है। 


चार जिलों के कक्षा एक से आठवीं तक 3,59,435 छात्र-छात्राओं को दोपहर का भोजन स्वयंसेवी संस्था अक्षय पात्र फाउंडेशन के जरिए मुहैया कराया जाएगा। इस वक़्त संस्था वर्तमान में दोपहर का भोजन बनाने पर हो रहे खर्च पर भी अधिक साफ-सुथरा और पौष्टिक भोजन छात्र-छात्राओं को उपलब्ध कराएगी। इससे भोजन बनाने को लेकर बर्बाद हो रहे शिक्षकों के कीमती वक्त को भी बचाया जा सकेगा और उन्हें बच्चों को पढ़ाने के लिए ज्यादा से ज्यादा वक्त मिलेगा। 


इस योजना के तहत केंद्रीयकृत रसोईघरों के लिए संस्था को सरकार की ओर से जमीन मुहैया कराई जाएगी।जिसके लिए ढाई एकड़ भूमि उपलब्ध कराने की प्रक्रिया चल रही है, जिलाधिकारियों को भूमि चिह्नीकरण के निर्देश दिए जा चुके हैं। संस्था रसोईघरों के 30-40 किमी के दायरे में विद्यालयों में भोजन उपलब्ध कराएगी। विद्यालयों में भोजन पहुंचाने के लिए संस्था की ओर से वाहनों का प्रबंध भी किया जाएगा। योजना पर अमल होने से भोजन माताओं के भविष्य पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा। वे भोजन परोसने व बर्तनों को सहेजने का कार्य जारी रख सकेंगी। 

रसोईघर के निर्माण के लिए कॉर्पोरेट सोशल रेस्पॉन्सिब्लिटी (सीएसआर) से आर्थिक सहायता मिलेगी और इस प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए फाउंडेशन और प्रारंभिक शिक्षा बिभाग के बीच राज्य स्तर और जिला स्तर पर समझौता होगा , फाउंडेशन एक बच्चें की डाइट पर डेढ़ रुपये अतिरिक्त खर्च भी करेगा अब नई व्यवस्था से बच्चों को और साफ-सुथरा खाना मिलने की उम्मीद है।





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