शॉर्टकट से नही चलती जीवनरूपी नैया

आज हमारा विधार्थी जीवन इस कदर हो गया है कि हम पढाई सिर्फ परीक्षा में पास होने के लिए करते हैं। वह परीक्षा जिसे न पढने वाले छात्र एक रात पढकर अच्छे नंबर से पास हो जाते हैं जिसे आजकल के छात्र इन्हे सरल शब्दों में ‘वन नाईट फाईट’ कहते हैं। वे यह नही जानते कि इस पढाई के बाद एक ऐसा मोड़ आएगा जहां सिर्फ संघर्ष होगा इसमें ‘वन नाईट फाईट’ नामक शाॅर्टकट इस्तेमाल नही किया जाएगा। न ही दोस्त साथ देंगे न साथी सभी अपने-अपने जीवन को बेहतर ढंग से जीने के प्रयास में लगे रहेंगे तभी जीवन की कड़वी सच्चाई का पता चलता है। तब पता चलता है कि पढने के समय में मैनें क्या गलतियां की है और यह उसी का परिणाम है। छात्र कॉलेज  पढने नही सिर्फ यह दिखाने जाते हैं कि वे कितने अमीर हैं। इंसान का आचरण उनके कपड़ों से नही बल्कि उनके विचार से दिखाई पड़ता है। सुभाषित जी ने कहा है कि जब दीपक बुझने लगता है तब उसकी लौ तेज हो जाती है। ठीक उसी प्रकार जब छात्र का जीवन गर्त की ओर जाने लगता है तो वह वर्तमान के बदलते परिदृश्य में संलिप्त होने लगता है। 

प्रत्येक मनुष्य चाहता है कि वह जीवन में उच्च स्थान प्राप्त करे। लोगों के बीच अपना मान-सम्मान स्थापित हो, समाज में एक साफ-सुथरी छवि हो जिसके लिए वह निरंतर कार्य करता है। किसी चीज की शुरूआत छोटे से होती है और निरंतर चलने से इंसान सफलता की ओर बढ़ता है। छोटे से शुरूआत करके ही व्यक्ति कामयाबी के शिखर तक पहुंचता है। जिसकी शुरूआत छोटे से नही होती वह आगे चलकर ताश के पत्ते की तरह धराशायी हो जाता है। बहुत कम ही ऐसे व्यक्ति हैं जो मुकाम हासिल करने के बाद उचित स्थान पर सही से टिक पाते हैं। हमारी सफलता हमारे कर्म व सोंच पर निर्भर होती है। जैसी हमारी सोंच होती है वैसी ही हमारी मानसिकता बनी रहती है। अच्छी मानसिकता सफलता की ओर ले जाती है और एक गलत मानसिकता असफलता की ओर सर्वप्रथम खुद पर काबु पाना सीखें  तभी विकास की ओर कदम बढ़ा सकेंगे। खुद को जो काबु कर सकता है दुनिया के सभी चीजों को हासिल कर सकता है। शंकराचार्य ने कहा था कि जब तक नीचे नही गिरोगे तब तक ऊंचे नही उठ सकते जीवन में असफलताऐं मिलती रहती है उससे घबराने के बजाय उसे स्वीकार करना सीखें और अपनी कमी को सुधारने का प्रयत्न करें तभी सफलता के शिखर तक पहुंच पाऐंगे। पंडित श्री राम शर्मा आचार्य ने कहा है कि असफलता एक चुनौती है उसे स्वीकार करो क्या कमी रह गयी है उसे सुधार करो।  जब तक अपनी कमी नहीं देखेंगे और नहीं सुधार करेंगे तब एक अच्छा मनुष्य नहीं बन पाएंगे 

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