उसकी यादों का घराना

एक और शाम ढल गयी उसकी याद के शामयानें में।

सो कर भी आँखे खुली रही उसकी यादो के आशियाने में ।

जाग जाग कर ना बीत जाये ज़िन्दगी बिना वजह के।

वरना लोग कहेंगे, कमीं तो थी इसके दिल के इश्क़ वाले घराने में ।

और कितना शहर करेगा मुझे बद से बदतर।

ज़िंदगी यूँ ही बितेगी तेरी इसी इश्क़ वाले घराने में ।

इज़्ज़त का ख़ौफ़ तो होगा ही तेरे पाक दिल-ए-घर में ।

बस थोड़ा सब्र कर फिर देख....

फिर क्या जशन होगा , इसी बेइज़्ज़त इश्क घराने में...

Comments

Popular Posts

कोलकाता का ऐसा बाजार जहां नुमाइंदगी होती है जिस्म की

100 रेपिस्ट के इंटरव्यू ने लड़की की सोंच को बदल दिया

दान और दक्षिणा में क्या अंतर है ?