अपराधों से घिरता बिहार

जब से गठबंधन की सरकार आयी है तब से बिहार में आए दिन कुछ न कुछ अपराधिक घटनाएं हो ही रही है।
चाहे वह विधायक प्रत्याशी की मौत हो या एम एल सी के बेटे का मामला हो ।
पिछले कुछ महीनो में अपराधिक धटना काफी बढ़ गई है। इसके कारण पुराने अपराधी प्रवृति के लोगों का भी हौसला बढ़ने लगा है। दिनदहाड़े लोगों को गोली मार दी जाती है, राह चलते बच्चों का अपहरण हो जाता है। शाम होते ही सुनसान रास्तों पर चोर सक्रिय हो जाते हैं और छीनतई करते हैं। जो लोग पिछले कुछ वर्षो में जो डर कर ये सब छोड़ चुके थे उनमें भी हौसलो के बीज पनप रहे हैं। आजकल के चोर इतने सक्रिय हो गये हैं आम आदमी तो दुर वे नेता मंत्री के घर को भी नही छोड़ते उनके घरो में भी अपना हाथ साफ कर देते हैं। आए दिन हो रहे अपराधों को लेकर कोई ठोस कदम नही उठाए जा रहे हैं। पुलिस सिर्फ शराब पकड़ने के अलावा कुछ नही कर रही है । सिर्फ शराब पकड़ना ही उनका कर्तव्य बन गया है, उसके अलावा सभी मामलों पर आंखे मूंद रहे हैं । लोगों के बीच प्रशासन के प्रति काफी रोष है , हालांकि वे प्रकट नही कर रहे है मगर ये चिंगारी धीरे-धीरे आग का रुप भी ले सकती है । अभी सिर्फ टाॅपर घोटाले के चर्चे हो रहे हैं प्रत्येक व्यक्ति की जुबान पर एक ही नाम होते हैं लालकेश्वर या रुबी राय इसके अलावा किसी भी मामलों का जिक्र नही है।यह शर्म की बात तो है मगर इसमें क्या और कैसे सुधार लाया जाए ये कोई नही सोंचता।
अब बिहार में आम आदमी के साथ-साथ पत्रकार भी सहज महसूस नही कर रहे है। हाल में हुई पत्रकार की मौत से सभी के अंदर एक डर बैठ गया है। लोग अपने बच्चों को पत्रकार नही बनाना चाहते है,कहते हैं कोई और काम कर लो मगर पत्रकार मत बनो।ऐसा कब तक चलेगा, क्या बिहार की जनता ने इसलिए गठबंधन की सरकार चुनी थी?

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