अभी नहीं तो कब सुधरोगे बिहार वालों?

CoronaVirus LockdownNow Bus owners breaks lockdown rules in patna ...

वर्तमान में सबसे ज्यादा लट्ठ बजाने की जरूरत बिहार में है। आज भी गांधी सेतु पर दरभंगा, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर आदि जगह जाने वाली बसों में खचाखच भीड़ है। लोग बस की छतों पर बैठकर सफर कर रहे हैं। ये ऐसे लोग हैं जो दिहाड़ी मजदूरी करते हैं और इसी जानबूझकर आस में अभी तक पटना में बैठे थे कि ये तामझाम एक दो दिन में खत्म हो जाएगा तो हम काम कर सकेंगे। जब बिहार लॉकडाउन हुआ तब जाकर समझ में आया कि अब कोई चारा नहीं है। अब बोरिया बिस्तर समेटकर घर पहुंचने नहीं भागने की फिराक में एक का तीन गुणा भाड़ा देकर घर जा रहे हैं। इन्होंने ये स्थिति जान बूझकर बनाई है। वैसे अमूमन दरभंगा जाने में 200-300 रुपये लगते हैं लेकिन वर्तमान में 600-700 रुपये देकर लोग घर जा रहे हैं।

दुःख इस बात का है कि पिछले 10 दिनों से सूचना दी जा रही है कि ज्यादा से ज्यादा खुद को बचाने की कोशिश करें फिर भी ये लोग नहीं मान रहे हैं। शायद इन लोगों को इस बात का अंदाजा नहीं है कि अगर ये महामारी गांव तक पहुंच गया तो स्थिति कितनी विकट होगी। वैसे भी स्वास्थ्य सेवा के मामले में बिहार फिसड्डी है। लोग अच्छे डॉक्टर से दिखाने के बजाय 10 रुपये में ठीक होने के लिए झोलाछाप डॉक्टरों के यहां चक्कर लगाते रहते हैं। बाद में हालत खराब होने पर PMCH, NMCH, IGIMS, AIIMS या जिला अस्पताल भागते हैं। लोगों को अंदाजा नहीं है कि वो लापरवाही बरतकर कितनी बड़ी भूल कर रहे हैं।

सभी से अपील है कि वो इस गंभीरता को समझें और घरों में बंद रहें। ज्यादा जरूरत हो तभी बाहर निकलें। दवाई दुकान, राशन दुकान, अस्पताल, पेट्रोल पंप आपकी जरूरत के लिए खुले रहेंगे। अनावश्यक भीड़ जुटाने से बचें। चौक चौराहों पर जाकर चाय पीने के बजाय घर पर ही चाय पीने की आदत डालें। मजबूरन पुलिस को डंडा बजाने का मौका न दें।


Be safe, stay safe

 

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