युवा जो राष्ट्र बदले
युवा वह जो राष्ट्र बदले, न तृष्णा में संलिप्त रहे ।
युवा वह जो सोंच बदले, न संसारिक मोह में लिप्त रहे।
युवा वह जो सबकी मदद करे, न किसी को ठेस पहुंचाए।
युवा वह जो अपना पुरुषार्थ बदले, न कुरीतियों के पथ पर जाए।
हे मानव तुम अाज के युवा हो, पहले तुम खुद को बदलो।
उठो, जागो, तभी संसार बदलेगा, देश बदलेगी ।
हुनर है तुममें तुम कुछ करो, युं हाथ पर हाथ रखकर बैठे न रहो।
भगवान ने यह शरीर मानव धर्म के लिए दिया है, पहले तुम बदलो फिर देश को बदलो।
तुम्हारा भविष्य अपने हाथ में है, यह धन-संपत्ति पाने कि इच्छा छोड़ दो ।
लोग तो पैसे कमाने के लिए सब कुछ छोड़ देते हैं, तुम अपना लक्ष्य पाने के लिए सबकुछ छोड़ दो ।
नवनीत कुमार जायसवाल
एम.ए पत्रकारिता एवं जनसंचार
देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार
नवनीत कुमार जायसवाल
एम.ए पत्रकारिता एवं जनसंचार
देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार
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