फोन के प्रति आशक्ति न रखें

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वर्तमान समय में इंटरनेट की दुनिया में अपना पैठ बना चुका हर व्यक्ति आज किसी न किसी सोशल नेटवर्किंग साइट से जुड़ा है।  सोशल मीडिया का मंच आज अभिव्यक्ति का नया और कारगर माध्यम बन चुका है। हालांकि, सोशल मीडिया के प्रति बढ़ती दीवानगी जहां कई मायनों में सार्थक नजर आती है।
एक दिन की बात है सुबह सुबह जब आँख खुली तो मेरा हाथ अचानक मोबाईल की ओर बढ़ा लेकिन देखा तो पाया कि मोबाईल है ही नही। गुस्सा तो बहुत आया कि कौन कमबख्त मोबाईल लेकर चला गया तभी याद आया कि मेरा मोबाईल तो कल रात को ही खराब हो चुका है। सबकी सुबह की शुरूआत चाय के साथ होती है लेकिन हमारी चाय के साथ हो या न हो लेकिन मोबाईल पर मैसेज देख लेने से जरूर होती है। मन को मारकर जैसे तैसे बिस्तर से उठा और तैयार हुआ रोज की भांति ऑफिस की ओर जाने लगा। हालांकि रोजाना ऑफिस जाने और आज के ऑफिस जाने में काफी अंतर था रोज अपने मन के अनुसार जाता था लेकिन आज मुझे सिर्फ फेसबुक चलाने के लिए जाना था। ऑफिस जाकर सबसे पहले अपना फेसबुक खोला, फेसबुक खुलते ही लगा कि जैसे मुझे ग्लुकोज मिल गया हो इससे मन को बहुत शान्ति मिली।
पता नही फोन के प्रति इतनी आशक्ति कैसे हो गयी कभी कभी मुझे यह सोंचने पर मजबूर कर देती है कि, पहले का जमाना ही बहुत बढ़िया था लोग चुपचाप गांव के चैपाल पर बैठकर गपशप किया करते थे। बाद में जब फीचर फोन आया तब भी उतनी समस्या नही थी जितनी समस्या आज किसी के पास फोन न होने पर होता है। पहले न सोशल साइट्स का झंझट था न मैसेज की चिन्ता  आज हरेक मिनट में मोबाईल को चेक करना पड़ता है कहीं किसी का मैसेज तो नही आ गया। ऐसा लगता है ये मोबाईल नही किसी छोटे बच्चे का डायपर हो गया है होता तो कुछ भी नही है लेकिन हरेक मिनट में चेक करना पड़ता है।
इससे पहले ऐसी व्याकुलता कभी नही हुई थी क्योंकि पहले आशक्ति की अनुभूति नही हुई थी। आज के समय में फोन के बिना एक पल भी रहा नही जाता है अगर कोई मांगता भी है तो लगता है कि वो हमसे हमारी बीवी मांग रहा है और एकपल ऐसा आता है जब हम खुद बेचैन हो उठते हैं वह समय है चार्ज करने का समय जब फोन की बैटरी खत्म हो रहा हो तो लोग चार्जर की तरफ ऐसे भागते हैं जैसे किसी को आॅक्सीजन की सख्त आवश्यकता है और वो फोन को ढांढस बंधा रहे होतेे हैं कि तुझे कुछ नही होने देंगे बस दो मिनट सब्र कर ले।

वैसे सामान्यतः कोई भी व्यक्ति सामने मिलने पर हाय हैलो भी नही बोलता लेकिन सोशल साइट्स के माध्यम से दिनभर बात करते रहते हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले दिनों में सिर्फ मैसेज पे ही बात होगी और संचार का माध्यम सिर्फ और सिर्फ फ़ोन बन जायेगा।


नवनीत कुमार

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