कभी सोंचा न था
दिल जो चाहे उसे अपना लुं मैं।
अपनी काबलियत को दिल से लगा लुं मैं।
कौन कहता है दुनिया मतलबी है।
अपने मतलब के लिए दुनिया को अपना लुं मैं।
दुनिया सफलता के लिए क्या-क्या न करे।
मगर सफलता के लिए क्या-क्या करुं मैं।
वो बीते दिन की बातें, परिश्रम की वो यादें।
बहुत याद आती है वो बीती बातें।
मगर दिन कैसे ढल गये पता नही चला हमें।
कभी सोंचा न था बड़ा बनुंगा मैं।
अपने परिश्रम से आगे बढुंगा मै।
सोंचा था आगे कुछ करूंगा मैं।
सफलता के कदम चुमुंगा मैं।
वो बीती बातें याद रखूंगा मैं।
कभी सोंचा न था बड़ा बनुंगा मै।
नवनीत कुमार जायसवाल
एम.ए.पत्रकारिता एवं जनसंचार
देव संस्कृति विश्वविद्यालय,हरिद्वार
नवनीत कुमार जायसवाल
एम.ए.पत्रकारिता एवं जनसंचार
देव संस्कृति विश्वविद्यालय,हरिद्वार
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