मेरी खोयी दुनिया
है कहीं खोयी सी दुनिया मेरी ,
न राह का पता,न मंजिल का।
न राह का पता,न मंजिल का।
कोशिश है मैं राह खुद बनाऊं,
आगे बढकर मंजिल खुद मै पाऊँ।
आगे बढकर मंजिल खुद मै पाऊँ।
यही सोंच लेकर बढ चला मैं,
राह की मुश्किलो को दुर करुं मैं।
राह की मुश्किलो को दुर करुं मैं।
पर पता नही किस ओर जा रहा हूं,
अपने मकसद से भटकता जा रहा हूं।
अपने मकसद से भटकता जा रहा हूं।
सोंचता हूं अाने वाले कल की,
यही सोंचकर डरता जा रहा हूं।
यही सोंचकर डरता जा रहा हूं।
होगी कोई अजीब सी दुनिया इसके बाद,
संधर्ष ही होंगे कुछ समय के बाद।
संधर्ष ही होंगे कुछ समय के बाद।
दुनिया के नक्सेकदम पर चलना पङेगा,
जो कहेगी दुनिया वह करना पङेगा।
जो कहेगी दुनिया वह करना पङेगा।
तब होगी असली जंग जिंदगी की,
तब शुरू होगी सफर जिंदगी की।
तब शुरू होगी सफर जिंदगी की।
घर वाले भी होंगे परेशान,
क्या कर रहा हूं मैं इससे होंगे अनजान।
क्या कर रहा हूं मैं इससे होंगे अनजान।
चुनौतियों का सामना करना पङेगा,
अपनी मंजिल खुद पाना पङेगा।
अपनी मंजिल खुद पाना पङेगा।
कुछ कर दिखाऊंगा अपनी जिंदगी को,
दुनिया याद रखेगी इस युक्ति को।
नवनीत कुमार जायसवाल
एम.ए. पत्रकारिता एवं जनसंचार
देव संस्कृति विश्वविद्यालय,हरिद्वार
दुनिया याद रखेगी इस युक्ति को।
नवनीत कुमार जायसवाल
एम.ए. पत्रकारिता एवं जनसंचार
देव संस्कृति विश्वविद्यालय,हरिद्वार
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