जिंदगी हमें
किधर ले जा रही है जिंदगी हमें।
धूमिल सी लग रही है जिंदगी हमें।
रास्ते का पता मगर मंजिल मिल नही रही हमें।
गुमनाम सी लग रही जिंदगी हमें।
कहाँ है वो शख्स जो राह दिखाए हमें।
पल-पल तड़पा रही जिंदगी हमें।
जिम्मेदारियों का बोझ न बढने दे रही हमें।
गिले-शिकवे तो बहुत है जिंदगी से हमें।
बार-बार एहसास दिलाती रहती हमें।
बैठा था सागर मे मोती ढूंढ़ने, हाथ कुछ न अाया हमें।
मन के अतरंगो ने बहुत समझाया हमें।
शाॅर्टकट का झोल-झाल कभी समझ न आया हमें।
मेहनत ही सफलता का मूलमंत्र लग रहा है हमें।
मगर पता नही किधर ले जा रही है जिंदगी हमें।
नवनीत कुमार जायसवाल
एम.ए.पत्रकारिता एवं जनसंचार
देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार
नवनीत कुमार जायसवाल
एम.ए.पत्रकारिता एवं जनसंचार
देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार
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