आज का बिहार डरता है


चले गए वो शांति के दिन आज का बिहार डरता है 

हो रहे हत्या और किडनैप चैन कही न आता है

बंद हुआ शराब यहाँ गलत परिणाम नजर आता है

भूखे मर रहे गरीब किसान फ्री का माल  सब खाता है

बात बात पर चलती गोली लालू के दिन याद दिलाता है

कहां गए नीतीश के वो दिन आज का बिहार डरता है

कहते है हो रहा विकास नजर कही न आता है

खुलेआम करते चोरी पकड़ किसी के न आता है

पैसों की खातिर करते लूटपाट डर इसका बैठ जाता है

डराते रहते कमजोरों को बाहुबली बन कुर्सी पर बैठ जाता है

यही वजह से आज का जंगलराज मुझे डरता है

                                                     नवनीत कुमार जायसवाल
                                                 एम ए पत्रकारिता एवं जनसंचार
                                             देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार




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