क्या ? देशभक्ति दिखाने के लिए एक दिन ही काफी है

आज हम बहुत ही हर्षोल्लास के साथ स्वन्त्रन्ता दिवस के 70 वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। आज ही के दिन 1947 में हमारा देश आजाद हुआ था और हर वर्ष की भांति इस वर्ष हम गर्व और उल्लास के साथ इस पर्व की मना रहे हैं। आजादी के लिए हम उन सभी अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों के ऋणी हैं जिन्होंने इसके लिए कुर्बानियां दी थीं।कित्तूर की रानी चेन्नम्मा, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, भारत छोड़ो आंदोलन की शहीद मातंगिनी हाज़रा जैसी वीरांगनाओं के अनेक उदाहरण हैं। देश के लिए जान की बाजी लगा देने वाले सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, तथा बिरसा मुंडा जैसे हजारों स्वतंत्रता सेनानियों को हम कभी नहीं भुला सकते।
आजादी की लड़ाई की शुरुआत से ही हम सौभाग्यशाली रहे हैं कि देश को राह दिखाने वाले अनेक महापुरुषों और क्रांतिकारियों का हमें आशीर्वाद मिला। उनका उद्देश्य सिर्फ राजनीतिक स्वतंत्रता प्राप्त करना नहीं था। महात्मा गांधी ने समाज और राष्ट्र के चरित्र निर्माण पर बल दिया था। गांधीजी ने जिन सिद्धांतों को अपनाने की बात कही थी, वे हमारे लिए आज भी प्रासंगिक हैं। राष्ट्रव्यापी सुधार और संघर्ष के इस अभियान में गांधीजी अकेले नहीं थे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने जब ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा’ का आह्वान किया तो हजारों-लाखों भारतवासियों ने उनके नेतृत्व में आजादी की लड़ाई लड़ते हुए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया। नेहरू जी ने हमें सिखाया कि भारत की सदियों पुरानी विरासतें और परंपराएं, जिन पर हमें आज भी गर्व है, उनका टेक्नॉलॉजी के साथ तालमेल संभव है, और वे परंपराएं आधुनिक समाज के निर्माण के प्रयासों में सहायक हो सकती हैं। सरदार पटेल ने हमें राष्ट्रीय एकता और अखंडता के महत्व के प्रति जागरूक किया; साथ ही उन्होंने यह भी समझाया कि अनुशासन-युक्त राष्ट्रीय चरित्र क्या होता है। बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर ने संविधान के दायरे मे रहकर काम करने तथा ‘कानून के शासन’ की अनिवार्यता के विषय में समझाया। साथ ही उन्होंने शिक्षा के बुनियादी महत्व पर भी जोर दिया।
इस प्रकार देश के कुछ ही महान नेताओं के उदाहरण हैं। मैं आपको और भी बहुत से उदाहरण दे सकता हूं। हमें जिस पीढ़ी ने स्वतंत्रता दिलाई, उसका दायरा बहुत व्यापक था, उसमें बहुत विविधता भी थी। उसमें महिलाएं भी थीं और पुरुष भी, जो देश के अलग-अलग क्षेत्रों और विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व करते थे। आज देश के लिए अपने जीवन का बलिदान कर देने वाले ऐसे वीर स्वतंत्रता सेनानियों से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ने का समय है। आज देश के लिए कुछ कर गुजरने की उसी भावना के साथ राष्ट्र निर्माण में सतत जुटे रहने का समय है।
किसी गांव में एक अपनेपन का भाव होता था, साझेदारी का भाव होता था, एक दूसरे की सहायता करने का भाव होता था। यदि आप जरूरत के समय अपने पड़ोसियों की मदद करेंगे तो स्वाभाविक है कि वे भी आपकी जरूरत के समय मदद करने के लिए आगे आएंगे। लेकिन आज बड़े शहरों में स्थिति बिल्कुल अलग है। बहुत से लोगों को वर्षों तक यह भी नहीं मालूम होता कि उनके पड़ोस में कौन रहता है। इसलिए गांव हो या शहर आज समाज में उसी अपनत्व और साझेदारी की भावना को पुनः जगाने की आवश्यकता है। इससे हमें एक दूसरे की भावनाओं को समझने और उनका सम्मान करने में तथा एक संतुलित, संवेदनशील और सुखी समाज का निर्माण करने में मदद मिलेगी।


क्या हम सब देश की निःस्वार्थ सेवा के इस भाव को आत्मसात नहीं कर सकते? हम यह अवश्य कर सकते हैं और यही देशभक्ति दिखाने का सही समय होगा

ढाई हजार वर्ष पहले, गौतम बुद्ध ने कहा था, ‘अप्प दीपो भव... यानि अपना दीपक स्वयं बनो...’ यदि हम उनकी शिक्षा को अपनाते हुए आगे बढ़ें तो हम सब मिलकर आजादी की लड़ाई के दौरान उमड़े जोश और उमंग की भावना के साथ सवा सौ करोड़ दीपक बन सकते हैं; ऐसे दीपक जब एक साथ जलेंगे तो सूर्य के प्रकाश के समान वह उजाला सुसंस्कृत और विकसित भारत के मार्ग को आलोकित करेगा।

बस अधिकार की बात ना सोचों, समझों कर्तव्य के भार को।
भुला न पायेगा काल, प्रचंड एकता की आग को।
शान से फैलाकर तिरंगा, बढ़ाएंगे देश की शान को।
बीत जायेगा वक्त भले, पर मिटा ना पायेगा देश के मान को।
ऐसी उड़ान भरेंगे, दुश्मन भी होगा मजबूर, ताली बजाने को।
एकता ही संबल हैं, तोड़े झूठे अभिमान को।
कंधे से कंधा मिलाकर, मजबूत करें आधार को।
इंसानियत ही धर्म हैं, बस याद रखें, भारत माता के त्याग को।
चंद पाखंडी को छोड़कर, प्रेम करें हर एक इंसान को।
देश हैं हम सबका, बस समझे कर्तव्य के भार को।
नव युग हैं आ गया, अब छोड़ो निराशा के विचार को।
Comments
Post a Comment