मध्य प्रदेश के सीधी में हुई घटना में जरूरी था कार्रवाई, यूसीसी से है सीधा संबंध

जब से यूसीसी की चर्चा शुरू हुई है तब से पीएम मोदी आदिवासी के पक्ष में बयान देते नजर आ रहे हैं। इसका उदाहरण आपको उनके ट्वीट और भाषण में दिख जाएगा। इस बिल को लेकर अगर किसी में नाराजगी है तो वो आदिवासी समाज ही है। आदिवासी समाज ही इस बिल का विरोध कर रहा है। यहां तक छत्तीसगढ़ और झारखंड सरकार भी विरोध जाता चुकी है। 

आदिवासियों का अपना नियम कानून और संविधान होता है। वो अपने दायरे में ही सीमित रहना पसंद करते हैं।

बीजेपी अपने मेनोफेस्टो में कह चुकी है कि वह यूसीसी लेकर आएगी और वह लेकर आ रही है। उन्हें पता है कि कहां विरोध होगा और कहां समर्थन मिलेगा। इसी वजह से द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाया गया है ताकि आदिवासी समाज में विरोधाभास कम हो जाए।
एक तरफ जहां बीजेपी आदिवासी समाज को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है। वहीं, मध्यप्रदेश में हुई इस घटना (पेशाब कांड) को कैसे बर्दास्त कर सकती है। वह चाहे बीजेपी कार्यकर्ता हो या कोई और कार्रवाई तो जरूरी था। आखिर बीजेपी की साख का सवाल था।

इस कार्रवाई से एक संदेश जा रहा है कि मध्य प्रदेश सरकार और बीजेपी आदिवासी के साथ है।

इसपर अपनी राय जरूर दीजियेगा

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