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ग्राउंड रिपोर्ट: जश्न में बदला मातम, चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर मौत की चीखें

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रिपोर्टर: बेंगलुरु से विशेष ग्राउंड रिपोर्ट बेंगलुरु | 4 जून 2025 | शाम 6:00 बजे बेंगलुरु के मशहूर एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में जब आरसीबी के खिलाड़ियों को सम्मानित किया जा रहा था, तब स्टेडियम के अंदर जश्न की गूंज थी और बाहर चीख-पुकार का समंदर उमड़ा हुआ था. चारों तरफ भगदड़, टूटते बैरिकेड्स, गिरते हुए लोग, लाठीचार्ज, और जमीन पर बेसुध पड़े कई शव... ये तस्वीरें किसी आतंकी हमले की नहीं, बल्कि एक क्रिकेट टीम की जीत के सेलिब्रेशन की हैं. लाशों के बीच बजता रहा डीजे स्टेडियम के अंदर रौशनी, म्यूज़िक और तालियों की गूंज थी, लेकिन बाहर सन्नाटा और मातम. जब कार्यक्रम के अंदर 'आरसीबी! आरसीबी!' के नारे लग रहे थे, ठीक उसी वक्त गेट नंबर 18 और 12 के पास लोग चीख रहे थे, ‘बचाओ!’ ‘हटाओ मुझे!’ ‘साँस नहीं ले पा रहा!’ एक महिला की चीख गूंजती रही, लेकिन DJ का शोर उस आवाज़ को निगल गया. भगदड़ में गिर चुकी वो महिला बाद में अस्पताल में मृत घोषित हुई. "हम तो बस अंदर जाना चाहते थे..." स्टेडियम के गेट नंबर 6 के बाहर खड़े रामनाथ नाम के युवक ने रोते हुए कहा, “हम तो बस खिलाड़ियों को देखना चाहते थे...

पाकिस्तान ने तुर्की के SONGAR ड्रोन से भारत पर किया हमला, सेना ने 400 में से अधिकांश को मार गिराया

भारत-पाक सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच एक खतरनाक साजिश का पर्दाफाश हुआ है. शुक्रवार को विदेश मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस में विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने बताया कि पाकिस्तान ने भारत के एयर डिफेंस सिस्टम की जानकारी इकट्ठा करने के लिए तुर्की के SONGAR ड्रोन का इस्तेमाल किया. भारतीय सेना ने इन्हें सीमा पर मार गिराया और फिलहाल उनके मलबे की जांच की जा रही है. कर्नल सोफिया कुरैशी के मुताबिक, 8-9 मई की रात पाकिस्तान ने 36 अलग-अलग जगहों पर एक साथ 300 से 400 तुर्की ड्रोन भारत पर छोड़े. इनका मकसद सीमावर्ती इलाकों में भारतीय सैन्य ठिकानों को निशाना बनाना था. लेकिन भारत की वायु रक्षा प्रणाली ने अधिकतर ड्रोन को हवा में ही तबाह कर दिया. क्या है SONGAR ड्रोन? असीसगार्ड सोंगर एक कम ऊंचाई पर उड़ने वाला, क्वाडकॉप्टर डिजाइन वाला, अत्याधुनिक मानव रहित लड़ाकू ड्रोन है, जिसे तुर्की की रक्षा तकनीकी कंपनी Asisguard ने विशेष रूप से तुर्की सशस्त्र बलों के लिए विकसित किया है. इसका निर्माण अंकारा में किया गया है और यह आधुनिक युद्ध की ज़रूरतों के अनुरूप तकनीकी रूप से बेहद सक्षम है. यह ड्रोन सिस्टम तीन प्रमुख हिस्सों स...

तहव्वुर राणा की वापसी: क्या 26/11 हमले के पीछे की सच्चाई अब सामने आएगी?

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एक ऐतिहासिक मोड़ पर खड़ी है भारत की न्यायिक और सुरक्षा व्यवस्था। मुंबई में हुए 26/11 के दिल दहला देने वाले आतंकी हमलों के एक बड़े किरदार, तहव्वुर हुसैन राणा को आखिरकार अमेरिका से भारत लाया गया है। गुरुवार को जैसे ही राणा दिल्ली पहुंचा, पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया और उसे एनआईए की 18 दिन की हिरासत में भेज दिया गया। 🇮🇳 अमेरिका से प्रत्यर्पण – एक लंबी लड़ाई का नतीजा राणा का भारत आना किसी छोटे-मोटे कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा नहीं था। यह भारत और अमेरिका के बीच कूटनीतिक और कानूनी सहयोग का बड़ा उदाहरण है। सालों की कानूनी प्रक्रिया, दस्तावेज़ी साक्ष्य और भारत की मजबूत इच्छाशक्ति ने आखिरकार राणा को हमारे हवाले कर ही दिया। 🕵️‍♂️ अब क्या करेगी एनआईए? राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को अब 18 दिन का वक्त मिला है, और इस दौरान वह तहव्वुर राणा से विस्तार से पूछताछ करेगी। मकसद सिर्फ यह नहीं कि राणा की भूमिका तय हो—बल्कि यह भी जानना कि इस हमले के पीछे और कौन लोग थे, किन-किन देशों से तार जुड़े हुए थे, और भारत की सुरक्षा कैसे भेदी गई थी। ⚖️ कोर्ट के आदेश – मेडिकल जांच जरूरी कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिय...

निकोलस कॉपरनिकस: जिसने ब्रह्मांड की सेटिंग ही बदल दी!

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एक छोटे से पोलिश शहर में एक जिज्ञासु बच्चा पैदा हुआ – निकोलस कॉपरनिकस। बाकी बच्चे खेल-कूद में लगे रहते, लेकिन कॉपरनिकस की दुनिया अलग थी। उसे आसमान में झांकने और सितारों से बातें करने का शौक था। उसके दिमाग में बस एक ही सवाल घूमता रहता – "क्या जो सब मान रहे हैं, वो सही भी है या बस माने जा रहे हैं?" अब सुन, उस वक्त लोगों का belief सेट था – पृथ्वी ही ब्रह्मांड का बॉस है, सूरज और बाकी सारे ग्रह इसके चारों ओर घूमते हैं। लेकिन यार, कॉपरनिकस का दिमाग तो सच में एकदम अलग था! 🤯 उसने अपनी studies में कुछ ऐसा पकड़ लिया जो किसी ने सोचा भी नहीं था। 🛸 Theory जो दिमाग घुमा दे! कॉपरनिकस ने जब गणना की, तो उसकी calculation साफ कह रही थी – "भाई, मामला उल्टा है! पृथ्वी नहीं, सूरज सेंटर में है और सारी दुनिया उसी के चारों ओर घूम रही है!" ☀️🌍 अब सोचो, जो चीज़ें सदियों से लोगों के belief system में पक्की थीं, उसे कोई एक बंदा आकर challenge कर रहा था! लोगों को लगा ये तो साइंस की बत्ती गुल करने वाला है! कुछ लोगों का reaction था– "अरे, ये क्या बकवास है!" पर कॉपरनिकस को अ...

टीपू से सुल्तान बनेंगे अखिलेश यादव? राम मनोहर लोहिया से लेकर मुलायम सिंह यादव की पगड़ी बचाने की है जिम्मेदारी

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उत्तर प्रदेश में सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बनने का ख़िताब अखिलेश यादव के पास है। कन्नौज सीट से चौथी बार नामांकन दाखिल करने वाले अखिलेश यादव ने राम मनोहर लोहिया से लेकर मुलायम सिंह यादव की साख बचाने की जिम्मेदारी ली है। इस सीट पर पहले वह लालू यादव के दामाद तेज प्रताप यादव को उतारा था, बाद में कार्यकर्ताओं के दवाब के कारण खुद चुनाव लड़ने का निर्णय किया। इस एपिसोड में हम बात करेंगे समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव की। जो अपने चाचा राजपाल के साथ बैठकर स्‍कूल आया जाया करते थे। उन्होंने अपने दोस्त को जीवन साथी बनाया और अब दोनों की दो बेटियां और एक बेटा है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव का जन्म एक जुलाई 1973 को इटावा के सैफई में हुआ था। इनके पिता का नाम मुलायम सिंह यादव है जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। इनकी माता का नाम मालती देवी है। जब अखिलेश का जन्म हुआ तब मुलायम सिंह यादव जन संपर्क के साथ जैन इंटर कॉलेज में लेक्चरर भी थे। अखिलेश के चाचा अभय राम को उनका बचपन अच्‍छे से याद है। वह बताते हैं कि अख...

पीयूष गोयल कैसे बने पीएम मोदी के विंगमैन? जानिए उनका राजनीतिक सफर

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एक ऐसे राजनेता जो मोदी कैबिनेट में सबसे अहम पदों पर रहे हैं और तीन बार से राज्यसभा सांसद भी रहे हैं। वह आजतक एक भी लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में नहीं उतरे। जब उन्हें राज्यसभा सांसद बनने की इच्छा जागी तब उन्होंने अपने पिता और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय जहाजरानी मंत्री रहे वेदप्रकाश गोयल से सिफारिश की थी। आज हम बात करेंगे भारत के रेल, कपड़ा, वाणिज्य और कोयला मंत्रालय के मंत्री रह चुके पियूष गोयल की... पीयूष गोयल का जन्म 13 जून, 1964 को महाराष्ट्र के मुंबई में हुआ था। उनका पूरा नाम पीयूष वेदप्रकाश गोयल है और उनके पिता का नाम वेदप्रकाश गोयल जो अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय जहाजरानी मंत्री रहे थे। जबकि उनकी माता चंद्रकांता गोयल 1990 से लेकर 2004 तक तीन बार महाराष्ट्र में भाजपा के टिकट पर विधायक चुनकर आईं थीं। पीयूष गोयल की पत्नी का नाम सीमा है। उन्हें एक बेटा और बेटी हैं, जिनके नाम ध्रुव गोयल और राधिका गोयल है। पीयूष गोयल को मुंबई के डॉन बोस्को हाई स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा मिली। बाद में उन्होंने 1984 में एचआर कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स से बीकॉम किया ...

मजलिस का कमान संभालने वाली ओवैसी परिवार की तीसरी पीढ़ी हैं असदुद्दीन ओवैसी

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भारत में सबसे चर्चित सांसदों की सूची तैयार होगी तो हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी का नाम भी लिया जायेगा। राजनीति में आने से पहले वह लंदन में कानून की पढ़ाई कर रहे थे। लौटने के बाद वह 2004 में पहली बार हैदराबाद से सांसद बने और अब तक वह चार बार यहां के सांसद रह चुके हैं। जब उन्होंने पार्टी की जिम्मेदारी संभाली तो उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी का एहसास कराने की कोशिश की। इस एपिसोड में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के बारे में जानने की कोशिश करेंगे। ओवैसी की राजनीति की शुरुआत के बारे में जानने से पहले उनकी उनकी पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के इतिहास के बारे में जानते हैं। इस पार्टी की शुरुआत के बारे में जानने के लिए आपको लगभग 96 साल पीछे चलना पड़ेगा। साल 1928 में नवाब महमूद नवाज़ खान ने मजलिस की स्थापना की थी। साल 1948 तक उनके पास ही संगठन की कमान रही। भारत की स्वतंत्रता के बाद ये संगठन हैदराबाद को एक अलग मुस्लिम राज्य बनाए रखने की वकालत करते आ रहा था। जब 1948 में हैदराबाद राज्य का भारत में विलय हुआ तब भारत सरकार ने इस संगठन पर प्रतिबंध लगा ...

मध्य प्रदेश के सीधी में हुई घटना में जरूरी था कार्रवाई, यूसीसी से है सीधा संबंध

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जब से यूसीसी की चर्चा शुरू हुई है तब से पीएम मोदी आदिवासी के पक्ष में बयान देते नजर आ रहे हैं। इसका उदाहरण आपको उनके ट्वीट और भाषण में दिख जाएगा। इस बिल को लेकर अगर किसी में नाराजगी है तो वो आदिवासी समाज ही है। आदिवासी समाज ही इस बिल का विरोध कर रहा है। यहां तक छत्तीसगढ़ और झारखंड सरकार भी विरोध जाता चुकी है।  आदिवासियों का अपना नियम कानून और संविधान होता है। वो अपने दायरे में ही सीमित रहना पसंद करते हैं। बीजेपी अपने मेनोफेस्टो में कह चुकी है कि वह यूसीसी लेकर आएगी और वह लेकर आ रही है। उन्हें पता है कि कहां विरोध होगा और कहां समर्थन मिलेगा। इसी वजह से द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाया गया है ताकि आदिवासी समाज में विरोधाभास कम हो जाए। एक तरफ जहां बीजेपी आदिवासी समाज को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है। वहीं, मध्यप्रदेश में हुई इस घटना (पेशाब कांड) को कैसे बर्दास्त कर सकती है। वह चाहे बीजेपी कार्यकर्ता हो या कोई और कार्रवाई तो जरूरी था। आखिर बीजेपी की साख का सवाल था। इस कार्रवाई से एक संदेश जा रहा है कि मध्य प्रदेश सरकार और बीजेपी आदिवासी के साथ है। इसपर...

कुंभ कथा-5: अपने नंबर पर आए और कुंभ में गंगा नहाए देवी-देवता

कोरोना वायरस के संक्रमण की चुनौतियों के बीच हुए हरिद्वार कुंभ में गंगा नहाने आए श्रद्धालुओं के लिए तरह-तरह की पाबंदियां थी। हरिद्वार आने के लिए सबसे पहले तो श्रद्धालुओं के पास कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट होनी चाहिए थी और उसके बाद हरिद्वार में हरकी पैड़ी तक पहुंचने के लिए कड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा था। जिन दिनों में शाही स्नान पड़ रहे थे, उन दिनों आम श्रद्धालुओं के लिए हरकी पैड़ी को बंद कर दिया गया था। शाही स्नान के दिन हरकी पैड़ी पर केवल अखाड़े स्नान कर सकते थे। अखाड़ों  के साधुओं के लिए स्नान का क्रम तय किया गया था। यानी सबसे पहले किस अखाड़े के संत स्नान के लिए जाएंगे और कितनी देर हरकी पैड़ी पर स्नान कर सकेंगे यह सब कुछ मेला प्रशासन ने तय कर दिया था। महाशिवरात्रि पर पहले शाही स्नान में सबसे पहले जूना अखाड़े के संतों ने स्नान किया था और 12 तथा 14 अप्रैल को हुए शाही स्नान में सबसे पहले श्री निरंजनी अखाड़े के संतों ने हरकी पैड़ी पर गंगा में डुबकी लगाई।  हम सब जानते हैं कि सभी तेरह अखाड़ों के लिए स्नान का क्रम निर्धारित था लेकिन आपको जानकर आश्चर्य हो सकता है कि अखाड़ों की तर...

कुंभ कथा -4 :एक फोन कॉल और कुंभ मेले का विसर्जन

हरिद्वार में कुंभ एक अप्रैल से शुरू हुआ था। 16 अप्रैल आते आते हरिद्वार में कोरोना का कहर दिखना शुरू हो गया था।हर रोज कोरोना के 500- 600 या इससे भी अधिक पॉजिटिव मामले सामने आने लगे। हालांकि इसके पीछे कुंभ के चलते हरिद्वार में टेस्टिंग बढ़ाया जाना एक बड़ी वजह रही। ज्यादा टेस्टिंग हुई तो कोरोना के पॉजिटिव केस भी ज्यादा आने लगे। बहरहाल पूरे देश में यह बात फैल गई कि हरिद्वार कुंभ कोरोना का बड़ा संवाहक बन रहा है। राजनेताओं ने हरिद्वार कुंभ में कोरोना के संक्रमण फैलने को लेकर विवादित बयान दिए तो सोशल मीडिया पर भी कुंभ और कोरोना को लेकर चटकारे लिए जाने लगे। हरिद्वार से लौटने वाले लोगों को कोरोना के संभावित संवाहक के तौर पर देखे जाने लगा। सोशल मीडिया पर तो एक मैसेज खूब वायरल हुआ जिसमें कहा गया कि हरिद्वार से लौटे लोगों से दूरी बनाकर रखें, नहीं तो लोटे(अस्थियां) में हरिद्वार जाना पड़ेगा। संतों के बीच से भी कुंभ मेले को समय से पहले संपन्न किए जाने की बात उठने लगी थी। लेकिन अखाड़ों का एक धड़ा इसका प्रबल विरोध कर रहा था। श्री निरंजनी और आनंद अखाड़े ने 15 अप्रैल को घोषणा कर दी थी कि उनकी ओर से कुंभ ...